हिंदी सिनेमा जगत की फीमेल सुपरस्टार के देहांत को आज 5 साल पूरे हो गए हैं। साल 2018 में इसी दिन दुबई के होटल में उनकी संदिग्ध मौत हो गई थी। उनका शव बाथटब में पड़ा मिला था। ये खबर उनके फैंस और परिवार के लिए बड़ा सदमा था। वह परिवार की एक शादी में शामिल होने दुबई गई थीं, जहां बाथरुम में उनकी मौत हो गई थी।
कहा जाता है कि उनकी मौत कार्डियक अरेस्ट आने से हुई थीं। वहीं उनकी बेटी और एक्ट्रेस जान्हवी कपूर ने कहा था कि उनकी मां की मृत्यु बाथरूम में गिरने से हुई थी। ये बाद कितनी अजीब है। जो श्रीदेवी अपनी बेटियों को बाथरूम में लॉक नहीं लगाने देती थीं, उनकी मौत बाथरूम में ही हुई। आज उनकी पुण्यतिथि है, इस मौके पर हम आपको उनके जीवन से जुड़ी कुछ अनसुने किस्से बताने वाले हैं।
बेटियों को बाथरूम लॉक नहीं करने देती थीं एक्ट्रेस
श्रीदेवी एक अच्छी मां थीं, उन्हें अपनी बेटियों के लिए प्रोटेक्टिव होते देखा गया था। हाल ही में उनकी बेटी जान्हवी कपूर ने अपने चेन्नई स्थित घर का वीडियो दिखाया था, जिसमें उन्होंने बताया था कि उनकी मां ने बाथरूम के लॉक हटवा दिए थे। वह नहीं चाहती थीं कि उनके बच्चे बाथरूम में मोबाइल का इस्तेमाल न करें, इसलिए वह उन्हें दरवाजा लॉक नहीं करने देती थीं।
एक्ट्रेस के लिए पायलट ने बदल दी थी फ्लाइट की दिशा
श्रीदेवी अपने पति बोनी कपूर के लिए करवा चौथ का व्रत करती थीं। लेकिन एक बार इस व्रत के दिन वह और बोनी कपूर मैक्सिको से लॉस एंजिलिस सफर कर रहे थे। उनका व्रत खोलने का समय हो गया था, उन्हें चांद देखना था लेकिन फ्लाइट से चांद नहीं दिख रहा था। ऐसे में उन्होंने पायलट से गुजारिश की और पायलट ने उनकी बात मानकर फ्लाइट का डायरेक्शन बदला और उन्हें चांद दिखा।
हाईएस्ट पेड चाइल्ड एक्ट्रेस थीं श्रीदेवी
श्रीदेवी ने अपने करियर में 300 से अधिक फिल्मों में काम किया था। वह 4 साल की उम्र में ही एक्टिंग करने लगी थीं। उन्होंने साल 1967 में पहली फिल्म में बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट काम किया था। श्रीदेवी सबसे अधिक फीस लेने वाली चाइल्ड एक्ट्रेस थीं। इसके अलावा श्रीदेवी 80 के दशक में भी आज की हाईएस्ट पेड एक्ट्रेस से अधिक फीस लेती थीं। वह एक फिल्म के लिए 1 करोड़ चार्ज करती थीं।
नागिन बनकर जब आंखें खराब हुईं तो मन्नत मांगकर बनवाई धर्मशाला
श्रीदेवी का नागिन रूप हर किसी को याद होगा। उस किरदार के लिए उन्होंने कई घंटों तक आंखों में लेंस लगाने पड़ते थे, जिससे उनकी आंखे खराब हो गई थीं। इसके बाद वह उत्तराखंड के ऋषिकेश में स्थित नीलकंठ मन्नत मांगने गई थीं। जब उनकी आंखें ठीक हुई तो उन्होंने वहां धर्मशाला बनवाई थी।