दिवंगत अभिनेता धर्मेंद्र ने फिल्मों में नाम कमाने के बाद पॉलिटिक्स में भी हाथ आज़माया था और 2004-2009 तक एक टर्म मेंबर ऑफ़ पार्लियामेंट रहने के बाद अभिनेता ने पॉलिटिक्स छोड़ दी। हाल ही में एक इंटरव्यू में, शत्रुघ्न सिन्हा ने बताया कि पॉलिटिकल पार्टियां अक्सर सेलिब्रिटीज़ को लाती हैं और चुनाव जीतने के लिए उनका “इस्तेमाल” करती हैं, लेकिन वे शायद ही कभी एक्टर्स को पॉलिटिशियन के तौर पर ट्रेन करती हैं।

जब पूछा गया कि धर्मेंद्र ने एक टर्म MP रहने के बाद पॉलिटिक्स क्यों छोड़ दी, तो उन्होंने कहा, “मैं कहूंगा कि इसके लिए हमारे लोग भी ज़िम्मेदार हैं। जिन्होंने उन्हें पार्टी में शामिल किया, और चुनाव लड़ने के लिए उनका इस्तेमाल किया… ये लोग (पॉलिटिकल पार्टियां) फिल्मों से सेलिब्रिटीज़ को ला रहे हैं, लेकिन उन्हें सही तरीके से ब्रीफ नहीं करते।” उन्होंने कहा, “जब आप मशहूर हस्तियों को लाते हैं, तो आप उनका इस्तेमाल केवल तभी करते हैं जब आप चुनाव जीतना चाहते हैं।”

सिन्हा ने कहा कि पार्टियाँ सेलिब्रिटीज़ को राजनीति में लाती हैं, लेकिन उन्हें ऐतिहासिक और राजनीतिक तथ्यों की ठीक से जानकारी नहीं देतीं। उन्होंने कहा कि कम से कम इतना सिखा देना चाहिए कि भारत को 2014 में आज़ादी नहीं मिली थी।

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कंगना रनौत ने पहले कहा था कि देश को 1947 में “भीख” मिली थी और “असल आज़ादी” 2014 में आई। सिन्हा ने बिना नाम लिए इसी बयान पर निशाना साधा।

सिन्हा ने धर्मेंद्र और सनी देओल का उदाहरण देते हुए कहा कि दोनों ने एक–एक कार्यकाल के बाद राजनीति छोड़ दी, क्योंकि वे सिस्टम से बेहद निराश हो गए थे।उन्होंने यह भी कहा कि हेमा मालिनी, जो लंबे समय से राजनीति में सक्रिय हैं, उन्हें आज तक वह सम्मान और पद नहीं मिला जिसकी वे हक़दार हैं।

अंत में सिन्हा ने कहा कि धर्मेंद्र ने बाड़मेर से बड़ी जीत हासिल की थी और पार्टी को चाहिए था कि वह नियमित रूप से उनसे जुड़ी रहती।

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