शाहरुख खान की आगामी फिल्म रईस को गुजरात के कुख्यात शराब माफिया और मुंबई बम धमाकों से जुड़े आतंकी अब्दुल लतीफ के जीवन पर आधारित बताया जाता रहा है। हालांकि खुद खान और फिल्म के निर्देशक राहुल ढोलकिया ने इससे साफ इनकार किया है। फिल्म से जुड़े लोग भले ही इनकार करें लेकिन रईस के ट्रेलर से फिल्मी किरदार और लतीफ के जीवन के बीच कई समानताएं दिख रही हैं। रईस में कितना सच है कितनी कल्पना इसका पूरा सच तो फिल्म रिलीज होने के बाद ही सामने आएगा लेकिन तब तक आप लतीफ के जीवन के कुछ असल किस्से सुनें और  देखें उससे जुड़ी वास्तविक तस्वीरें।

अब्दुल लतीफ का जन्म अक्टूबर 1951 में हुआ था। आठ भाई-बहनों के परिवार में पले-बढ़े लतीफ ने बारहवीं तक की पढ़ायी की थी। कई दूसरे अपराधियों की तरह लतीफ के भी अब्दुल अजीज, मोहम्मद इलियास, मोहम्मद हनीफ और रहमान जैसे कई नाम थे जिनका वो वक्त-वक्त पर इस्तेमाल करता था। उसने गैर-कानूनी शराब बेचने वालों के यहां काम करने से अपना करियर शुरू किया था। धीरे-धीरे वो गुजरात का सबसे बड़ा शराब माफिया बन गया।  अपराध की दुनिया में अपनी मजबूत जगह बनाने के बाद लतीफ ने राजनीति में भी कदम रखा है। 1986-87 में लतीफ ने गुजरात की पांच नगरपालिका सीटों (दरियापुर, जमालपुर, कालुपुर, राखांड़ और शाहपुर) से चुनाव लड़ा। लतीफ का दबदबा इसी से समझा जा सकता है कि उसे सभी सीटों पर जीत मिली।

शराब माफिया अब्दुल लतीफ ने 1980 के दशक में गुजरात की पांच नगरवपालिकाओं से चुनाव लड़ा और पांचों जगह जीत हासिल की। (फाइल फोटो)

लतीफ के आपराधिक जीवन में बडा़ मोड़ तब आया जब उसका संपर्क अंडरवर्ड के सरगना दाऊद इब्राहिम से हुआ। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार दाऊद ने उसे कुरान की कसम दी थी कि वो हमेशा एक-दूसरे से वफादार बने रहेंगे। 1993 के मुंबई बम धमाकों से पहले दाऊद ने बड़ी गुजरात के पोरबंदर बंदरगाह से रास्ते अत्याधुनिक हथियारों और विस्फोटकों की बड़ी खेप पाकिस्तान से मंगवाई थी। हथियारों के इस जखीरे को सुरक्षित लेने और मुंबई पहुंचाने का जिम्मा लतीफ का था। पुलिस के अनुसार इनमें से कई हथियारों और विस्फोटकों का इस्तेमाल 1993 के बम धमाकों में किया गया था।

पुलिस ने लतीफ पर आतंकी गतविधियों से जुड़े होने के मामले में टाडा और राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत मामला दर्ज किया लेकिन गिरफ्तार होने से पहले ही लतीफ विदेश फरार हो गया। लतीफ 1995 में भारत वापस आया और दिल्ली में छिपकर रहने लगा। गुजरात के एंटी-टेररिज्म स्क्वायड ने उसी साल दिल्ली के एक पुलिस बूथ से गिरफ्तार किया।  लतीफ करीब दो साल तक गुजरात के साबरमती जेल में रहा। माना जाता है कि उस दौरान वो जेल से ही अपने धंधे चलाता रहा।

1995 में अब्दुल लतीफ को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया और उसे गुजरात लाया गया। (फाइल फोटो)

29 नवंबर 1997 को लतीफ को पूछताछ के लिए जेल से बाहर ले जाया गया। पुलिस के अनुसार जेल वापस लौटते समय उसने पेशाब लगने का बहाना करके भागने की कोशिश की। भागने की कोशिश कर रहे लतीफ की उसी समय मुठभेड़ में मौत हो गयी। मौत के समय उसकी उम्र महज 46 साल थी।

पुलिस के अनुसार भागने की कोशिश कर रहा अब्दुल लतीफ जिस मकान में मुठभेड़ में मारा गया।