सलमान खान के लिए शुक्रवार का दिन राहत भरा रहा। एक ओर मुंबई हाई कोर्ट ने उनकी अपील स्वीकार करते हुए सत्र न्यायालय की सुनाई गई पांच साल की सजा स्थगित कर दी वहीं दूसरी ओर उन्हें नियमित जमानत भी मिल गई।

28 सितंबर की रात को बांद्रा स्थित अमेरिकन एक्सप्रेस बेकरी के पास सलमान खान की लैंड क्रूजर अनियंत्रित होकर फुटपाथ पर सोए लोगों पर चढ़ गई थी। इस घटना में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी जबकि चार अन्य घायल हो गए थे। सत्र अदालत ने बुधवार को इस मामले में सलमान को पांच साल के सश्रम कारावास की सजा और 25 हजार जुर्माना भरने का फैसला सुनाया था। इसके खिलाफ सलमान ने हाई कोर्ट में अपील की थी।


फैसले की प्रति नहीं मिलने के कारण सलमान को हाई कोर्ट से दो दिनों की अंतरिम जमानत मिली थी। सलमान ने सत्र अदालत के फैसले की प्रति के साथ शुक्रवार को मुंबई हाई कोर्ट में अपील दायर की, जिसे स्वीकार करते हुए अदालत ने सत्र अदालत की पांच साल की सजा स्थगित कर सलमान को जमानत दे दी।

शुक्रवार को मुंबई हाई कोर्ट के न्यायाधीश अभय ठिप्से ने सलमान खान की अपील स्वीकार करते हुए कहा कि ऐसे मामलों में अपील स्वीकार कर जमानत दे दी जाती है। सलमान लंबे समय से जमानत पर रहे हैं इसलिए उनकी आजादी को बाधित नहीं किया जा सकता। अदालत ने उन्हें सत्र न्यायालय में नए सिरे से 30 हजार रुपए का जमानत मुचलका भरने के लिए कहा। हाई कोर्ट ने निर्देश देते हुए कहा कि सलमान को अपना पासपोर्ट अदालत में जमा करवाना होगा और विदेश जाने के लिए अदालत की पूर्व मंजूरी लेनी होगी।

इससे पहले सलमान खान की जमानत के लिए बुधवार को वकील हरीश साल्वे ने पैरवी की थी। लेकिन शुक्रवार को सलमान ने उनके बजाए अमित देसाई को पैरवी के लिए भेजा। बचाव पक्ष ने इस मामले में हुई जांच को कमजोर बता अपनी बात जोरदार तरीके से अदालत के सामने रखी। रवींद्र पाटील की गवाही पर सवाल उठाए।

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सलमान पर गैरइरादतन हत्या की धारा 304 (2) लगाने को गलत बताते हुए देसाई ने दलील दी कि ऐसे आरोप में उद्देश्य स्पष्ट होना जरूरी होता है। लेकिन अभियोजन इस बात के कोई सबूत पेश नहीं कर सका है। सलमान का इरादा किसी को मारने का नहीं था और उन्हें सिर्फ इसलिए जेल नहीं भेजा जाना चाहिए कि वे सुपर स्टार हैं। इसके बाद सत्र न्यायालय द्वारा दी गई सजा स्थगित कर नए सिरे से मुकदमे की सुनवाई के लिए अदालत तैयार हो गई।

हाई कोर्ट में मुकदमे का फैसला आने तक सलमान खान को जमानत दी गई है। लेकिन इसकी प्रक्रिया सत्र अदालत में पूरी होगी। सात साल से कम सजा होने और मुकदमे के हाई कोर्ट में आने के बाद आम तौर पर आरोपी को जमानत मिल जाती है। अदालत ने कहा कि अगर अभियोजन के पास आरोपी को जमानत न दिए जाने को लेकर कोई विशेष मुद्दे हों तो वह उन्हें प्रस्तुत कर सकता है।

अभियोजन की ओर से संदीप शिंदे ने कहा कि अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 313 के तहत सलमान खान ने मुकदमे के अंत में बयान दिया था कि गाड़ी वे नहीं बल्कि उनका ड्राइवर अशोक सिंह चला रहा था और उन्होंने शराब नहीं पी थी। शिंदे ने कमाल खान को गवाह न बनाने की वजह बताते हुए कहा कि कमाल ब्रिटेन के नागरिक हैं और घटना के बाद वे गवाही के लिए उपलब्ध नहीं हो सके थे। शुक्रवार को अदालत ने निर्देश दिया कि बचाव और अभियोजन पक्ष जुलाई तक अपनी दलीलें पूरी कर लें। मामले की अगली सुनवाई 15 जून को रखी गई है।

 

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सलमान के वकील की दलील:

* कार में तीन नहीं चार लोग थे। निचली अदालत ने इस तथ्य की उपेक्षा की कि ड्राइवर अशोक सिंह कार चला रहे थे।
* रवींद्र पाटील गवाही नहीं देना चाहते थे। उनके बयान बदलते रहे हैं। उन्होंने एक अखबार को दिए साक्षात्कार में कहा था कि हादसे के वक्त सलमान का ड्राइवर अल्ताफ कार चला रहा था।
* कार में मौजूद कमाल खान को बतौर गवाह नहीं बुलाया गया।
* आरोप है कि गाड़ी की गति 90-100 किमी प्रति घंटा थी। इस गति से लैंड क्रूजर को जुहू स्थित होटल मेरियट से घटनास्थल तक पहुंचने में आधा घंटा कैसे लगा।
* गैरइरादतन हत्या के मामले में उद्देश्य स्पष्ट होना जरूरी है। इस मामले में अभियोजन उद्देश्य साबित नहीं कर सका है। उन्हें सिर्फ इसलिए जेल नहीं भेजा जाना चाहिए कि वे सुपरस्टार हैं।

 

इनपुट भाषा से