दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि पिछले 24 घंटे में दिल्ली में कोविड के करीब 2200 मामले सामने आए हैं और संक्रमण दर घटकर 3.5 फीसद रह गई है। कुछ दिनों पहले जहां प्रदेश में ऑक्सीजन, दवाईयों, हॉस्पिटल बेड्स की कमी से कोरोना संक्रमित मरीजों के मरने की खबरें आ रही थीं, अब वो सिलसिला थमता नजर आ रहा है। इस बीच कई मुद्दों को लेकर दिल्ली सरकार और केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार आमने- सामने थे। अब वैक्सीन को लेकर भी यही स्थिति दिख रही है। इन्हीं मुद्दों पर राजनीतिक विश्लेषक ममता काले ने आम आदमी पार्टी की प्रवक्ता रीना गुप्ता पर जमकर निशाना साधा और केजरीवाल को भी निशाने पर लिया।

रिपब्लिक टीवी के डिबेट शो, ‘पूछता है भारत’ में बोलते हुए ममता काले ने कहा कि अरविंद केजरीवाल कोई भी काम पूरा नहीं करते और बीच में ही छोड़ देते हैं। उन्होंने दिल्ली के मोहल्ला क्लिनिक्स पर भी सवाल उठाए और पूछा कि दिल्ली सरकार की 1000 मोहल्ला क्लिनिक कहां है।

ममता काले ने कहा, ‘दिल्ली के मुख्यमंत्री ने गुरिल्ला वॉरफेयर कुछ ज्यादा ही पढ़ी है, छापा मारो और निकल जाओ। कोई भी काम ये पूरा नहीं करते हैं। चाहे ये प्रशासनिक अधिकारी थे उस वक्त भी ये आधे में छोड़कर निकल गए। अन्ना हज़ारे जी के साथ उन्होंने जो आंदोलन शुरू किया था, उसको आधे में छोड़कर निकल गए। अब मुख्यमंत्री हैं तब भी हर काम को आधे में छोड़कर निकल जाते हैं। छापा मारो और निकल जाओ।’

 

उन्होंने आगे कहा, ‘ये उनकी नीति रही है कि पैनिक क्रिएट करो और निकल जाओ, अपनी राजनीति चमकाओ। हर बार बाहर आकर कह देते हैं कि मेरे पास ऑक्सीजन नहीं है, बेड्स नहीं है। आप मीडिया में बोलकर क्या प्रूफ करना चाहते हैं, यही कि लोगों में पैनिक क्रिएट हो, समस्या हो। मैं ये जानना चाहता हूं कि आप ने कहा था कि 2020 तक दिल्ली में हजार मोहल्ला क्लिनिक बनेगी, एक भी मोहल्ला क्लिनिक दिखाई नहीं देता आज।’

 

ममता काले ने आरोप लगाया कि दिल्ली के टैक्स पेयर्स का पैसा दिल्ली सरकार गबन कर गई। वहीं डिबेट में आप नेता रीना गुप्ता ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा।

 

वैक्सीन की किल्लत पर वो बोलीं, ‘केंद्र सरकार ने क्यों नहीं एक डैश बोर्ड बनाया जिस पर यह साफ साफ लिख दिया जाता कि किस राज्य को कितनी वैक्सीन कब मिली, कौन से फॉर्मूला के आधार पर मिली और किस राज्य को कितनी वैक्सीन आगे कब मिलेगी। आप पारदर्शिता क्यों नहीं अपनाते। ये बात सुप्रीम कोर्ट ने भी कही है।’