Republic Bharat के शो पूछता है भारत में अर्नब गोस्वामी किसानों के समुदाय के बीच गाए जाने वाले मोदी विरोधी गानों से बेहद नाराज नजर आए। ये वो गाने थे जिसमें पीएम मोदी की मौत की दुआए मांगी जा रही थीं। अर्नब गोस्वामी ने कहा कि ये किसान नहीं हो सकते जो किसी की मौत की दुआ मांगे। किसान तो अन्नदाता होते हैं जो पूरे देश का पेट भरते हैं।

अर्नब गोस्वामी ने कहा- ‘किसान आंदोलन के बीच से कुछ ऐसी तस्वीरें सामने आई हैं जिसे देख कर पूरा भारत डर गया है। किसानों के बीच इनके नाम पर देशविरोधी नारे लगाए जा रहे हैं। पीएम मोदी के लिए व्यक्तिगत तौर पर जहर उगला जा रहा है, मौत की दुआ मांगी जा रही है। ये किसान हैं? ये किसान हो सकते हैं? जो देश का पेट भरते हैं वह किसी की मौत की दुआ कैसे मांग सकते हैं। मैं दावे से कह सकता हूं दोस्तों, ये किसान तो नहीं हो सकते।’

अर्नब गोस्वामी ने कहा-‘ ये श्रॉप देने वाले कौन हैं? ये अराजक लोग हैं। आखिर कब तक बर्दाश्त की जाएगी ये अराजकता। ये वेश बदलकर किसानों के बीच घुस आए हैं। इसे बंद करो। ये वो लोग हैं जो देश में अलग तरह की प्रयोगशाला चलाते हैं, देश को तोड़ने, जलाने बांटने की प्रयोगशाला। इनकेलिए हर आंदोलन एक मौके की तरह होता है। शाहीनबाग में भी यही कहा था इन्होंने।’

उन्होंने आगे कहा- ‘तब पीएम मोदी ने कहा था- शाहीन बाग सहयोग नहीं प्रयोग है। वो बात सच होती दिख रही है। मैं तो सच कहूंगा-जो शाहीनबाग था उसे बड़ा करके ये बनाया गया है। नहीं तो ये टुकड़े-टुकड़े कहां से घुस गए, कहां स आ गए इनके नारे? किसानों के नारे लगने चाहिए थे।’

पूछता है भारत शो का ये वीडियो देखने के बाद लोगों ने भी अपने रिएक्शन देने शुरू कर दिए। एक यूजर ने लिखा- ‘महाराष्ट्र में माफिया राज चलाने वालो की बुरी नजर अब पूरे देश पर है। इनको पहचानो और भगाओ। यह सब अराजकता फैलाना चाहते हैं जय जवान जय किसान।’ एक ने कहा- ‘महात्मा गांधी की मूर्ति तोड़ दी। खालिस्तान समर्थको ने, इस पर राहुल गांधी चुप है अभी तक?

पप्पू के सीने में अब आग नहीं लग रही?’ एक यूजर ने अर्नब की बाद का सपोर्ट कर लिखा- ‘सब सच्चाई जान चुका हैं अर्णब जी दाल में कुछ काला है। जय जवान जय किसान।’ एक ने कहा- ‘किसान पूजनीय है। वह अन्यदाता है। मगर कुछ लोग किसान आंदोलन का सहारा लेकर राजनीति क्यों कर रहे हैं? और खालिस्तान जिंदाबाद के नारे क्यों?’ एक ने कहा- ‘जिनकी दुकान मोदी जी ने बन्द कर दी थी … वही लोग किसानों के कंधे पर अपनी दुकान सजाए हुए हैं।’