वैसे तो ‘रामसेतु’के निर्देशक अभिषेक शर्मा ने इस फिल्म को वैज्ञानिकता के आवरण में पेश किया है लेकिन ये फिल्म दरअसल एक धार्मिक फिल्म है। हालांकि इस फिल्म में पुरातत्ववेत्ता यानी आर्कियोलाजिस्ट आर्यन कुलश्रेष्ठ की भूमिका निभानेवाले अक्षय कुमार शुरू में इसमें एक नास्तिक बने हैं। लेकिन आगे चल कर आस्तिक बन जाते हैं।

ये होता है जब आर्यन कुलश्रेष्ठ राम सेतु की वैज्ञानिकता प्रमाणित करने के लिए जी-जान की बाजी लगा देता है। और साथ ही ऐसा करने के लिए वो गैरकानूनी रूप से श्रीलंका पहुंच जाता है क्योंकि रावण वहीं का था। और वहां उसकी कौन मदद करते हैं? साक्षात हनुमान जी। हनुमान जी यहां एपी नाम के टूरिस्ट गाइड के रूप में आए हैं। दर्शक आखिर में ये समझ लेता है कि ये कोई और नहीं अंजनी पुत्र हनुमान हैं।

जहां हनुमान जी होंगे वहां संजीवनी बूटी भी हो तो क्या आश्चर्य। और आखिर में हनुमान चालीसा का सस्वर पाठ तो है ही। इसमें शक नहीं कि दक्षिण भारतीय फिल्म अभिनेता सत्यकेतु ने एपी की जो भूमिका निभाई है वो अपने में दमदार है और वही फिल्म को सबसे ज्यादा बांधे रहता है। जहां तक अक्षय कुमार का सवाल है अतिव्यस्तता की वजह से वे अपनी हर फिल्म में जल्दबाजी में रहते हैं। इसलिए उनका लुक तो एक पुरातत्ववेत्ता का लगता है लेकिन अभिनय वे हड़बडी वाले एक्शन हीरो का करते नजर आते हैं।

वैसे उनका उनका अपना बिजनेस मॉडल है और वे तीन चार सौ नहीं सत्तर पतहत्तर करोड़ कमाने में ही दिलचस्पी रखते है क्योंकि एक साल में वे तीन चार फिल्में कर लेते हैं। और इतनी कमाई तो य़े फिल्म कर सकती है। जैक्लीन फर्नांडीस इसमें गोवा की पर्यावरणविद के रूप में हैं हालांकि पर्यावरण की खास बात वे पूरी फिल्म में नहीं करतीं। इस फिल्म को श्रीलंका में भी कमाई का अवसर मिले शायद इसीलिए उनको इसमें रखा गया है। नुसरत भरूचा अक्षय कुमार की पत्नी हैं और इतिहास की प्रोफेसर। लेकिन बेहद आस्तिक।