Ramayan: कोरोना वायरस की वजह से देश में इन दिनों लॉक डाउन घोषित किया गया है। इस बीच दूरदर्शन पर रामायण, महाभारत और चाणक्य जैसे पुराने सीरियल्स का दोबारा प्रसारण किया जा रहा है। खासकर रामायण को दर्शक खूब पसंद कर रहे हैं। श्रीराम के राज्याभिषेक के बाद अब आगे की कहानी यानी लव-कुश कांड को ‘उत्तर रामायण’ के नाम से प्रसारित किया जा रहा है। रामानंद सागर कृत ‘रामायण’ में राम की भूमिका निभाने वाले एक्टर अरुण गोविल ने Jansatta.Com से खास बातचीत की और तमाम यादें साझा कीं।

चुनावी अखाड़े में क्यों नहीं उतरे? : रामायण (Ramayan) में ‘सीता’ की भूमिका निभाने वाली दीपिका चिखलिया, ‘हनुमान’ की भूमिका निभाने वाले दारा सिंह और ‘रावण’ की भूमिका निभाने वाले अरविंद त्रिवेदी चुनावी मैदान में भी उतरे। दीपिका जहां बीजेपी के टिकट पर बड़ौदा सीट से चुनाव जीतकर लोकसभा में पहुंचीं। तो वहीं, दारा सिंह भी भाजपा के साथ जुड़े और 2003 से 2009 तक राज्यसभा के नामित सदस्य रहे। हालांकि रामायण में राम की भूमिका निभाने वाले अरुण गोविल (Arun Govil) की सियासी पारी को लेकर हमेशा चर्चा होती रही, लेकिन वे राजनीति के अखाड़े में नहीं उतरे।

पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में भी खबर आई थी अरुण गोविल कांग्रेस के टिकट पर मध्यप्रदेश की इंदौर सीट से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे, उन्होंने आज तक राजनीति से दूरी बनाकर रखी है। राजनीति में उतरने के सवाल पर अरुण गोविल कहते हैं, ‘रामायण के प्रसारण के बाद से ऐसा कोई चुनाव नहीं रहा है जब मेरे पास चुनाव लड़ने का ऑफर ना आया हो। यहां तक कि पिछले लोकसभा चुनाव में भी ऑफर आया, लेकिन मैंने साफ मना कर दिया…’। वे कहते हैं कि ‘कभी सियासत में उतरने का मेरा मन ही नहीं किया और न ही संयोग बना। मैंने उस रूप में अपने आप को देखा ही नहीं…’।

सिगरेट-तंबाकू नहीं पीता, भावनाओं की करनी पड़ती है कद्र: अरुण गोविल (Arun Govil) कहते हैं कि ‘रामायण’ में राम की भूमिका निभाने के चलते निजी जिंदगी में भी तमाम बंदिशों और मर्यादा का पालन करना पड़ता है। वे कहते हैं कि मैं सिगरेट-तंबाकू जैसी किसी चीज का सेवन नहीं करता। हमेशा इस बात का ध्यान रखता हूं कि किसी की भावना आहत ना हो। यह बहुत संवेदनशील मामला है।

‘रामायण’ से करियर पर फर्क तो पड़ा: इस सवाल पर कि क्या रामायण की वजह से उनके करियर पर असर पड़ा, अरुण गोविल कहते हैं कि ‘किसी भी चीज को परखने का पैमाना यही है कि देखें कि पलड़ा किस तरफ भारी है। रामायण की वजह से फर्क तो पड़ा है। मन में कहीं न कहीं कसक तो है, लेकिन पीछे मुड़कर देखता हूं तो लगता है कि रामायण की वजह से जो मिला वह फिल्मों से नहीं हासिल होता। इतने सालों बाद भी लोग मुझे याद रखे हैं, ये मेरी खुशकिस्मती है…’।