कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के काफिले को उनके ही संसदीय क्षेत्र श्योपुर (मध्य प्रदेश) में कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के प्रदर्शन का सामना करना पड़ा। प्रदर्शनकारियों ने काले झंडे दिखाकर उनके काफिले का विरोध किया जहां पुलिस से उनकी नोंक झोंक भी हुई। खबर है कि एक पुलिस कलेक्टर ने प्रदर्शन कर रहे एक किसान को धक्का देकर उसे एक थप्पड़ भी मारा। इस खबर पर किसान आंदोलन के अग्रणी नेता राकेश टिकैत भड़क गए और उन्होंने कहा है कि सत्ता की भक्ति में अधिकारी अपना दायरा भूल जाते हैं।
राकेश टिकैत ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से किसान को थप्पड़ मारने की अखबार की एक खबर को शेयर किया है। खबर शेयर करते हुए राकेश टिकैत ने ट्वीट किया, ‘सत्ता भक्ति में अधिकारी भी अपना दायरा भूल जाते हैं। अगर यही सब करना था तो फिर आईएएस के लिए क्यों पापड़ बेले। किसान एकता जिंदाबाद।’
राकेश टिकैत के इस ट्वीट कर यूजर्स की भी खूब प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। दयाल डांगी नाम से एक यूजर ने लिखा, ‘किसानों के साथ यह गलत रवैया खतरनाक है। किसान हमेशा जीता है और जीतता रहेगा।’ गढ़िया नाम से एक यूजर ने टिकैत की जवाब दिया, ‘जब अधिकारी संविधान के प्रति समर्पित न होकर सत्ता के लिए होता है तो यही होता है।’
सत्ता भक्ति में अधिकारी भी अपना दायरा भूल जाते है।अगर यही सब करना था तो फिर IAS के लिए क्यो पापड़ बेलें।
किसान एकता जिंदाबाद#FarmersProtest #@Kisanektamorcha @OfficialBKU @ajitanjum pic.twitter.com/MVYDHcCz3z— Rakesh Tikait (@RakeshTikaitBKU) May 19, 2021
नागेंद्र कुमार नाम से एक यूजर ने लिखा, ‘किसान आंदोलन को कुचलने की सरकार ने बहुत कोशिश की और अब भी जारी है। लेकिन किसान एक कदम भी पीछे नहीं हटे और न ही हटने की तैयारी है।’ निर्मल कुमार लिखते हैं, ‘क्या किसी कलेक्टर की अपनी मांगों के लिए प्रदर्शन करने वाले नागरिकों के साथ हाथापाई करने का अधिकार है? ब्यूरोक्रेट्स अपनी शक्तियों का दुरुपयोग बंद करें।’
आपको बता दें कि नरेंद्र सिंह तोमर श्योपुर में जिला अस्पताल के निरीक्षण के लिए जा रहे थे तभी संयुक्त किसान मोर्चा के दर्जन भर किसान उनके काफिले के सामने आए और ‘नरेंद्र सिंह तोमर मुर्दाबाद’ के नारे लगाने लगे। किसानों ने कृषि मंत्री से कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की।
वहीं तोमर में किसानों ने कहा कि वो उनसे मिलने के लिए हर वक्त तैयार हैं लेकिन जो लोग जान बूझकर किसानों के हितों की बात नहीं मान रहे, उनका इलाज सरकार के पास नहीं है।
