केंद्र सरकार द्वारा लाए कृषि कानूनों के विरोध में किसान लगातार दिल्ली के बॉर्डर पर धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। बीते दिन उन्हें आंदोलन करते हुए सात महीने पूरे हो गए, ऐसे में किसानों की तरफ से बीते दिन ट्रैक्टर मार्च भी निकाला गया था। वहीं दूसरी ओर किसान नेता युद्धवीर सिंह दिल्ली में 8 से 10 लोगों के साथ उपराज्यपाल के घर के पास पहुंचे, लेकिन पुलिस ने उन्हें राजभवन नहीं जाने दिया और अपने साथ ले गई। ट्रैक्टर मार्च को लेकर किसान नेता राकेश टिकैत ने भी न्यूज 24 को इंटरव्यू दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि सरकार ऊंचा सुनती है, ऐसे में उन्हें ट्रैक्टर की आवाज सुनानी पड़ती है।

दरअसल, शो में किसान नेता राकेश टिकैत से सवाल किया गया कि जो आपने ट्रैक्टर मार्च निकाला है, उससे आप संतुष्ट हैं? आपको लगता है कि आपकी आवाज सरकार तक पहुंची है? इसके जवाब में उन्होंने कहा, “भारत सरकार ऊंचा सुनती है, ऐसे में उन्हें ट्रैक्टर की आवाजें ही सुनानी पड़ती हैं। क्योंकि हमारे पास एसी बसें तो हैं नहीं।”

किसान नेता ने ट्रैक्टर मार्च पर बात करते हुए आगे कहा, “हमारे पास बसें तो हैं नहीं कि आरटीओ को पकड़ा, अपने कागज दिये और कहा कि हमारी रैली हो गई अब जाओ। राजनेता लोग, जिनकी सरकारें होती हैं वही ऐसा कर सकते हैं। हमारे पास तो केवल ट्रैक्टर है, हम इसी में ही तेल गिरा लेते हैं, इन्हीं को ही खेत में चला लेते हैं और इसको ही दिल्ली तक ले आते हैं।”


किसान ट्रैक्टर मार्च के बीच राकेश टिकैत की गिरफ्तारी की भी कुछ खबरें सामने आई थीं, हालांकि बाद में खुद किसान नेता ने ही उन अफवाहों को खारिज किया। इसपर चर्चा करते हुए राकेश टिकैत ने कहा, “हमारे दिल्ली से कार्यकर्ता युद्धवीर सिंह को पुलिस साथ लेकर गई तो उसमें किसी ने खबर चला दी कि टिकैत साहब भी साथ में हैं।”

किसान नेता ने इस विषय पर आगे कहा, “युद्धवीर सिंह की जगह गलती से हमारा नाम डाल दिया गया था। बाकी इस देश में रह रहे हैं तो गिरफ्तार पुलिस कर ही सकती है।” 26 जनवरी के दिन लाल किला पर हुई घटना पर चर्चा करते हुए राकेश टिकैत ने कहा, “वो सब करवाया किसने था। कोई जांच एजेंसी है देश में जो उसकी जांच कर सके।”

ट्रैक्टर मार्च से इतर बता दें कि दिल्ली के उप राज्यपाल अनिल बैजल के साथ किसानों की नॉर्थ ईस्ट डीसीपी दफ्तर में वर्चुअल मीटिंग हुई। इस मामले को लेकर राकेश टिकैत ने ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने बताया कि राज्यपाल महोदय के सचिव ने डीसीपी दफ्तर आकर ज्ञापन लिया। ऐसे में उन्होंने दिल्ली कूच न करने का फैसला किया।