राजेश खन्ना (Rajesh Khanna) की जिंदगी किसी पहेली से कम नहीं थी। सिर्फ 28 साल की उम्र में ‘सुपरस्टार’ का तमगा हासिल करने वाले ‘काका’ जब गुमनामी के अंधेरे में खोए तो आखिरी दम तक इस अंधेरे से निकलने के लिए रोशनी की किरण ढूंढते रहे। 16 साल की डिंपल कपाड़िया से शादी करने वाले राजेश खन्ना की निजी जिंदगी भी कशमकश से भरी रही। शादीशुदा जिंदगी में तो भूचाल आया ही, उनका बचपन भी कुछ खास नहीं गुजरा था। यही वजह थी कि काका अपने बचपन के बारे में बात करने से कतराते थे। कई बार तो पत्रकारों से साफ कह देते कि वे तभी इंटरव्यू देंगे जब उनसे उनके बचपन को लेकर सवाल नहीं किया जाएगा।

6 भाई-बहन थे काका: 29 दिसंबर 1942 को लाहौर में जन्मे राजेश खन्ना के पिता का नाम नंदलाल खन्ना और माता का नाम चांदरानी खन्ना था। राजेश खन्ना की जीवनी ”कुछ तो लोग कहेंगे” में लेखक और वरिष्ठ पत्रकार यासिर उस्मान लिखते हैं कि नंदलाल और चांदरानी के कुल 6 बच्चे थे। सबसे बड़े नरिंदर खन्ना, उनके बाद बहन चंचल, तीसरे नंबर पर राजेश खन्ना और फिर तीन बहनें- विजय, कमलेश (कमली) और सबसे छोटी मंजू खन्ना।

चाचा ने ले लिया ‘जतिन’ को गोद: राजेश खन्ना के बचपन का नाम जतिन था। उनके पिता नंदलाल खन्ना के बड़े भाई चुन्नीलाल और उनकी पत्नी लीलावती को कोई बच्चा नहीं था और उन्होंने राजेश खन्ना को गोद ले लिया। बाद में राजेश अपने नए माता-पिता के साथ मुंबई आ गए। वक्त बीतता गया और राजेश खन्ना की अपने सगे माता-पिता से दूरी भी बढ़ती गई। उन्होंने खुलकर कभी अपने बचपन और माता-पिता से रिश्तों के बारे में बात नहीं की। राजेश खन्ना के बड़े भाई नरिंदर खन्ना भी थियेटर आदि में हिस्सा लिया करते थे और बाद में वे भी मुंबई में आ गए।

किसी को नहीं बताया नरिंदर सगा भाई है: मुंबई में अक्सर दोनों भाईयों की मुलाकात भी होती थी। राजेश खन्ना को करीब से जानने वाले कहते हैं कि वह नरिंदर को अपनाकर कजिन बताकर परिचय कराते थे। किसी को नहीं बताया कि नरिंदर उनका सगा भाई है। यासिर उस्मान एक दौर में राजेश खन्ना के बेहद करीबी रहे प्रशांत कुमार रॉय के हवाले से उनकी जीवनी में लिखते हैं, ‘हम सब जानते थे कि नरिंदर खन्ना उनके सगे भाई हैं। वह अक्सर ‘आशीर्वाद’ (काका के बंगले) में भी आते थे। हम सब उन्हें खन्ना पापा कहकर बुलाते थे।

सगी बहनों को चोरी-छिपे भिजवाते थे पैसे: प्रशांत कुमार रॉय कहते हैं कि काका जी अक्सर मेरे जरिये अपनी सगी बहनों को पैसे भी भिजवाते थे, लेकिन उन्होंने साफ मना किया था कि मैं इसका जिक्र खन्ना पापा यानी उनके बड़े भाई नरिंदर से ना करूं। हालांकि इसकी वजह साफ नहीं हो पाई। प्रशांत कहते हैं कि, ‘हम सभी जानते थे कि उनका एक सगा परिवार भी है लेकिन उन्होंने कभी इसका जिक्र नहीं किया। और घर में एक फोटो तक नहीं देखी’।

बहन के निधन पर फूट-फूटकर रोए थे काका: राजेश खन्ना की सबसे छोटी बहन मंजू की शादी दिल्ली में हुई थी। जीवनी में यासिर उस्मान प्रशांत कुमार रॉय के हवाले से लिखते हैं, ‘जब मंजू की मौत हुई तो काका ने यह बात किसी को नहीं बताई और चुपचाप दिल्ली चले गए। वहां अंतिम संस्कार में शामिल होने के बाद जब देर रात लौटे तो अपनी कुर्सी में धंस गए। और थोड़ी देर बाद जोर-जोर से रोने लगे।’

उस्मान लिखते हैं कि राजेश खन्ना के बचपन की कहानी किसी उलझी हुई फिल्म की स्क्रिप्ट की तरह थी। बचपन में जिस तरह की घटनाएं उनके साथ हुईं शायद उसने उनके मन मस्तिष्क पर बेहद गहरा असर डाला। पहले अपने माता-पिता से बिछड़े। फिर भाई-बहनों का साथ छोड़ मुंबई आना पड़ा। इसका उनपर बेहद गहरा असर पड़ा। संभवत: इन्हीं कड़वी यादों के चलते वे अपने बचपन के बारे में बात करने से कतराते थे।