बॉलीवुड के पहले मेगा स्टार राजेश खन्ना साल 1991 में सियासत में अपनी किस्मत आजमाने दिल्ली पहुंचे। काका राजीव गांधी के दोस्त तो थे ही, उनका अपना स्टारडम भी था। ऐसे में मुंबई की तरह यहां भी सैकड़ों लोगों से घिरे रहते। इसमें युवा कांग्रेस के भी तमाम नेता हुआ करते थे।

राजेश खन्ना दिल्ली में अपनी पैठ और पहचान बनाने की कोशिश कर रहे थे। ऐसा कोई मौका नहीं छोड़ते, जिससे उन्हें पब्लिसिटी मिले। ऐसा ही एक मौका तब आया जब एक मामले को लेकर युवा कांग्रेस के कुछ नेताओं के कहने पर वे दिल्ली के तिलक मार्ग पर बीच सड़क पर ही धरने पर बैठ गए।

…तो खाली कर दी सड़क: काका जिद पर अड़े थे कि दिल्ली के पुलिस कमिश्नर को बुलाया जाए और उनकी बात कराई जाए। इधर तिलक मार्ग पर भीषण जाम लग गया। वरिष्ठ पत्रकार जुबैर अहमद ने बीबीसी के लिए लिखे एक लेख में इस घटना का जिक्र करते हुए लिखा है, ‘मैंने महसूस किया कि खुद राजेश खन्ना भी अपने इस फैसले (सड़क पर धरने पर बैठने के फैसले) से खुश नहीं दिख रहे हैं। उन्होंने मेरे कान में कहा कि क्या मैं ठीक कर रहा हूं? मैंने कहा नहीं…। इसके बाद वे तुरंत सड़क से उठ गए और सामने तिलक मार्ग थाने में चले गए।’

नशे में मिला दिया था कमिश्नर को फोन: अपने जिद्दी और अड़ियल स्वभाव के लिए चर्चित राजेश खन्ना जब दिल्ली आए तब उनकी अपने ही चुनावी क्षेत्र के एक डीसीपी से भी ठन गई थी। हालांकि यह अधिकारी कभी काका का दोस्त हुआ करता था। राजेश खन्ना की जीवनी में वरिष्ठ पत्रकार और लेखक यासिर उस्मान इस घटना का जिक्र करते हुए लिखते हैं कि लाजपत नगर इलाके में एक बिल्डिंग गिराई जा रही थी। राजेश खन्ना ने डीसीपी को फोन कर कहा कि यह बिल्डिंग उनके एक परिचित की है और इसे न गिराई जाए।

डीसीपी का ट्रांसफर करवाने पर अड़ गए: हालांकि जब डीसीपी ने पता किया तो पाया कि बिल्डिंग अवैध थी और कानूनन कार्रवाई सही थी। ऐसे में उन्होंने अपने हाथ खड़े कर दिए। इस बात से काका इतने खफा हुए कि उस अधिकारी को तो भला बुरा कहा ही। एक रात करीब 3 बजे दिल्ली के तत्कालीन पुलिस कमिश्नर को भी नशे में फोन मिला दिया। राजेश खन्ना ने अपना परिचय देते हुए कमिश्नर से पूछा कि एक केंद्र शासित प्रदेश के अधिकारी के लिए सबसे दूर और कठिन पोस्टिंग कहां की होती है? बाद में काका सब कुछ छोड़ छाड़ उस डीसीपी का ट्रांसफर करवाने में जुट गए।