कांग्रेस नेता राहुल गांधी बीजेपी सरकार पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर रोक लगाने के आरोप लगाते रहे हैं। हाल ही में उन्होंने भारत के लोकतंत्र पर टिप्पणी की थी। अब राहुल गांधी ने अभिव्यक्ति की आज़ादी पर एक और बयान दिया है जिस पर बॉलीवुड फिल्ममेकर अशोक पंडित ने उन्हें अपने सरकार पर लगे आरोपों के संबंध में सवाल पूछा है। अशोक पंडित ने महाराष्ट्र के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के गृहमंत्री अनिल देशमुख पर आरोपों को लेकर राहुल गांधी पर निशाना साधा है। महाराष्ट्र में शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की गठबंधन सरकार है, जिसके गृहमंत्री पर आरोप है कि उन्होंने असिस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर सचिन वाजे को हर महीने 100 करोड़ वसूली का टारगेट दिया था।
इसी मुद्दे को लेकर अशोक पंडित ने राहुल गांधी पर निशाना साधा है। अशोक पंडित ने अपने ट्वीट में लिखा, ‘परमबीर सिंह ने जो आपकी सरकार पर वसूली का आरोप लगाया है, उसके बारे में भी कुछ अपने मन से बोल दीजिए, या फिर आपको अपना हिस्सा मिल गया है?’
राहुल गांधी ने जो ट्वीट किया, उसमें लिखा है, ‘बोलने की आज़ादी सिर्फ़ ‘मन की बात’ तक सीमित है।’ राहुल ने इस ट्वीट के साथ #FreeSpeech का हैशटैग भी इस्तेमाल किया है। अपने इस ट्वीट में राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ का ज़िक्र किया है जहां प्रधानमंत्री देशवासियों को संबोधित करते हैं। बहरहाल, दोनों ही ट्वीट्स पर लोगों की प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है।
#ParambirSingh ने जो आपकी सरकार पर वसूली का आरोप लगाया है उसके बारे भी कुछ अपने मन से कुछ बोल दीजिए !
या फिर आपको अपना हिस्सा मिल गया है ! https://t.co/JDvGORbkEU— Ashoke Pandit (@ashokepandit) March 21, 2021
धीरेश कुमार झा ने लिखा, ‘सर इनसे (राहुल गांधी) भी कुछ पूछताछ हो। ये हर समय अंबानी, अडानी पर आरोप लगाते हैं। कहीं ये घटनाक्रम इन्हीं से तो प्रभावित नहीं?’ श्री नाम की एक यूजर लिखती हैं, ‘हां बोलने की आज़ादी अब केवल एक आदमी, एक संस्था, एक पार्टी और वो जो इनके समर्थन में बोलते हैं, उन तक सीमित हो गई है।’
अमन चौहान नाम के यूजर ने राहुल गांधी की बात पर लिखा, ‘हिंदुस्तान की जनता मन की बात सुनना पसंद करती है फालतू की बात नहीं। आप 6 साल से बोल रहे हैं, किसी ने रोका आपको? बोलने की आजादी अगर आपको है तो दूसरों को भी है।’
इससे पहले राहुल गांधी ने भारत के लोकतंत्र पर कहा था कि भारत अब लोकतांत्रिक देश नहीं रहा। उन्होंने अमेरिका के फ्रीडम हाउस और स्वीडन की संस्था वी- डेम के रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए अपनी बात कही थी। दोनों ही रिपोर्ट्स में भारत के लोकतंत्र को क्रमशः ‘आंशिक स्वतंत्र’ और ‘निर्वाचित निरंकुशता’ का दर्जा दिया था।