मशहूर शायर राहत इंदौरी नहीं रहे। कोरोना संक्रमण के बाद उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। इसी दौरान दिल का दौरा पड़ने की वजह से उनका इंतकाल हो गया। राहत इंदौरी ने कुछ घंटे पहले ही खुद कोरोना संक्रमण की चपेट में आने की जानकारी दी थी और गुजारिश की थी कि कोई उन्हें या उनके परिवार को फोन कर परेशान न करें। खुद अपनी सलामती की जानकारी देते रहेंगे। इसी बीच उनके देहांत की खबर आई।
जनवरी 1950 में इंदौर में जन्मे राहत इंदौरी के पिता रफ्तुल्लाह कुरैशी एक कपड़ा मिल में कर्मचारी थे, जबकि मां मकबूल उन निशा बेगम घरेलू महिला थीं। इंदौरी अपने माता-पिता की चौथी संतान थे। राहत इंदौरी की शुरुआती पढ़ाई लिखाई इंदौर में ही हुई थी। बाद में उन्होंने बरकतउल्लाह यूनिवर्सिटी से उर्दू साहित्य में एमए किया और मध्य प्रदेश के भोज मुक्त यूनिवर्सिटी से उर्दू साहित्य में पीएचडी की।
मुश्किलों भरा था बचपन: राहत इंदौरी का बचपन काफी मुश्किलों भरा था और उन्हें आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ा। बचपन से ही उनकी दिलचस्पी पेंटिंग में थी और 10 साल की उम्र में ही उन्होंने इस कला में नाम हासिल कर लिया। देखते-देखते वे इंदौर के मशहूर साइन बोर्ड पेंटर बन गए लेकिन उनका दिलो-दिमाग शेरो-शायरी में रचता-बसता था। इंदौर के इंद्रकुमार कॉलेज में उर्दू के अध्यापक रहे राहत इंदौरी स्कूल के दिनों में खेलकूद में भी माहिर थे और स्कूल की फुटबॉल और हॉकी टीम के कप्तान भी रहे थे।
खास अंदाज के लिए थे चर्चित: 19 साल की उम्र में पहली बार शायरी पढ़ने वाले राहत इंदौरी अपने खास अंदाज की वजह से चर्चित थे। वे मंच पर झूमते हुए शेर कहते और ऐसा लगता जैसे शायरी के अल्फ़ाज से बातें कर रहे हों। उन्हें चांद की आंखों में आंखें डाल कर शायरी पढ़ने वाला शायर कहा जाता था। राहत इंदौरी ने खुद्दार, बेगम जान, इश्क, मर्डर और मिशन कश्मीर जैसी फिल्मों के गीत भी लिखे थे। ‘फकीरी पे तरस आता है, अपने हाकिम की…’, पढ़ें राहत इंदौरी के बेहतरीन शेर
‘सिर्फ हिंदुस्तान याद आता है’: दो दिन पहले ही राहत इंदौरी ने अपने फेसबुक पेज पर एक इंटरव्यू का हिस्सा शेयर किया था। इस इंटरव्यू में उनसे पूछा जाता है कि आपने तमाम मुल्कों में शायरी पढ़ी है, आपका सबसे फेवरेट देश कौन सा है, हिंदुस्तान के अलावा, जो आपको याद आता हो? इस सवाल के जवाब में राहत इंदौरी कहते हैं, ‘कोई देश याद ही नहीं आता है हिंदुस्तान के अलावा…हमेशा हिंदुस्तान याद आता रहता है’। आपको बता दें कि बीते दिनों जब इंदौर में कोरोना की जांच के लिए गई डॉक्टरों की टीम पर हमला किया गया था, तब राहत इंदौरी ने ऐसे लोगों को लताड़ लगाई थी।

