अलग स्टाइल और डायलॉग्स के लिए मशहूर दिवंगत एक्टर राजकुमार से जुड़े कई किस्से मशहूर हैं। राजकुमार का जन्म पाकिस्तान में हुआ था और विभाजन के बाद उनका परिवार जम्मू में आकर रहने लगा था। एक्टर बनने का सपना लेकर राजकुमार ने मुंबई का रुख किया, लेकिन यहां पुलिस में सब-इंस्पेक्टर बन गए। राजकुमार ने अपने एक्टर बनने की उम्मीद नहीं छोड़ी और आखिरकार साल 1952 में रिलीज हुई फिल्म ‘रंगीली’ से उन्हें ब्रेक मिला।
इसके बाद राजकुमार ने कई हिट फिल्में दीं और बॉलीवुड में उन्हें ‘जानी’ के नाम से भी जाना जाता था। वरिष्ठ पत्रकार बलजीत परमार ने राजकुमार से जुड़ा एक किस्सा साझा किया है। बलजीत याद करते हैं, ‘चेतन आनंद की फिल्म हीर-रांझा की शूटिंग पंजाब में हो रही थी और इसमें राजकुमार भी काम कर रहे थे। राजकुमार के बर्थडे पर हमने केक काटा। अगले साल फिर मुंबई पहुंचे तो फिल्म का बाकि काम चल रहा था तो राजकुमार का फिर बर्थडे आया।’
परिवार के साथ बर्थडे पार्टी में आए राजकुमार: बलजीत परमार आगे बताते हैं, ‘चेतन जी ने राजकुमार को कहा कि फिल्म के सहारे हमारा परिवार बहुत बड़ा हो गया है और अगर आप बुरा न मानें तो हमारे सेट पर इस बार अपना बर्थडे सेलिब्रेट करिए। राजकुमार ने शर्त रख दी कि बर्थडे तो मैं मना लूंगा, लेकिन बाहर का कोई व्यक्ति नहीं होना चाहिए। मेहमानों में कोई नहीं था सिर्फ देव आनंद जी को बुलाया गया था। दूसरी तरफ राजकुमार का पूरा परिवार आया था। यूं ही 10-12 लोग रहे होंगे।’
बलजीत परमार ने बताया, ‘अगले साल भी हमने ऐसा ही किया और चेतन साहब के घर के गार्डन में राजकुमार की पार्टी रखी गई। इस दौरान प्राण भी किसी को मिलने उस एरिया में आए। उनके दिमाग में आया कि चेतन साहब का घर साथ में है तो चलो उनसे मिलते जाएं। वहां चेतन साहब का छोटा सा घर और उसमें लोगों की भीड़ और सेलिब्रेशन देखकर वो वापस चले गए। मैंने वो गाड़ी देख ली कि प्राण साहब आए थे।’
प्राण ने भेजा चेतन आनंद के घर बुके: वरिष्ठ पत्रकार ने आगे कहा, ‘आधे घंटे के बाद एक आदमी आया। उसके हाथ बड़ा-सा बुके था। प्राण साहब को नहीं पता था कि किस बात सेलिब्रेशन चल रहा है। वो आए भी नहीं क्योंकि आमंत्रित नहीं किया गया था। बाहर जाकर उन्होंने आदमी के हाथ स्पेशल बुके भेजा था और चेतन साहब के लिए स्पेशल उर्दू में छोटा सा नोट भी लिखा था। उसमें लिखा था, ‘मुझे मालूम नहीं कि आपके घर में किस बात की खुशी मनाई जा रही है और मैं इसमें शामिल होना चाहता हूं इसलिए ये बुके आपको भेज रहा हूं।’
दमदार आवाज वाले राजकुमार ने जब बुके देखा तो वो भावुक भी हो गए थे। बलजीत परमार ने ये किस्सा याद करते हुए बताया, ‘वो बुके चेतन साहब ने नोट के साथ राजकुमार को दे दिया। उस नोट को पढ़ने के बाद राजकुमार की आंखों से खुशी के आंसू छलक उठे। ये पहली बार था जब मैंने राजकुमार को भावुक होते देखा था।’