नए कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसानों के बीच बातचीत के साथ – साथ गतिरोध भी जारी है। किसानों के प्रतिनिधियों और सरकार के बीच 9 दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन हर दौर की वार्ता बेनतीजा ही खत्म हुई है। अब अगले दौर की बातचीत 19 जनवरी को तय की गई है। किसान अपनी बात पर कायम हैं कि केंद्र सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस लें तभी उनका आंदोलन खत्म होगा।
इस बीच किसानों के आंदोलन का समर्थन कर रहे कुछ लोगों को NIA (नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी) ने नोटिस भेजकर पूछताछ के लिए आज बुलाया था। किसानों की ओर से सरकार के साथ बातचीत में शामिल किसान नेता बलदेव सिंह सिरसा को भी NIA का यह नोटिस दिया गया था और आज उनसे पूछ्ताछ होनी थी। हालांकि स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए वो आज NIA के समक्ष पेश नहीं हुए।
इसी बात को लेकर वरिष्ठ पत्रकार पुण्य प्रसून बाजपेयी ने तंज कसा है और कहा है कि जहां एक तरफ़ सरकार के मंत्री किसानों से बात कर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ उन्हें नोटिस भी भेजा जा रहा है। कई लोगों का कहना है कि सरकार ऐसा आंदोलन के समर्थकों को डराने, धमकाने के लिए कर रही है।
उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘मंत्री करें बात, संत्री भेजे नोटिस.. नज़र तो खेती की ज़मीन पर है।’ उनके इस ट्वीट पर यूजर्स भी अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। अनुराग वर्मा ने लिखा, ‘किसान बिल का फायदा सिर्फ अडानी अंबानी को होगा। किसान की जमीन पर उद्योगपतियों का राज होगा और किसान अपनी ही जमीन पर मज़दूर। किसानों को फार्म बिल्स मंजूर नहीं।’
मंत्री करें बात संत्री भेजे नोटिस….
नजर तो खेती की ज़मीन पर है !https://t.co/sifo8ejfXR via @YouTube— punya prasun bajpai (@ppbajpai) January 17, 2021
मनोज जैन ने लिखा, ‘यही हाल है इस सरकार का (उल्टा चोर कोतवाल को डांटे) सरकार नहीं ड्रामा कंपनी है।’ हरिओम सोनकिया ने लिखा, ‘निर्दयी, हठधर्मी सरकार से याचक बनकर किसान कुछ पाने की उम्मीद न करें। अब समय आ गया है अराजनैतिक से राजनैतिक बनने का।हम खेत में भी रहें और संसद में बैठने की भी कोशिश करें।’
कुछ लोग पुण्य प्रसून बाजपेयी को ट्रोल भी कर रहे हैं। एक राष्ट्रभक्त नाम के यूज़र ने लिखा, ‘खालिस्तानी पैसा भेजे, लुटियन मीडिया आग लगाए, ध्येय दोनों का एक ही ..जैसे तैसे दंगे भड़काए।’