नए कृषि बिल के विरोध में पंजाब से दिल्ली कूच कर रहे किसानों को हरियाणा में जगह-जगह रोकने पर राजनीति गरमाई हुई है। पिछले कुछ महीनों से पंजाब और हरियाणा सहित कई प्रदेशों के किसान लगातार इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। किसान संगठनों से लेकर विभिन्न राजनीतिक दल इसे लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साध रहे हैं। किसान आंदोलन को लेकर जाने-पहचाने पत्रकार पुण्य प्रसून बाजपेयी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लिए बगैर परोक्ष रूप से ताना मारा है।
पुण्य प्रसून बाजपेयी ने ट्वीट करते हुए लिखा है,’KBC का सवाल : वो कौन शख़्स था जिसने शास्त्री जी के नारे “जय जवान जय किसान” को 49 वर्ष बाद 2014 में बुलंद किया था।विकल्प : 1. प्रधानमंत्री पद का दावेदार, 2. आरएसएस का प्रचारक, 3. गुजरात के मुख्यमंत्री, 4. खुद को प्रधानसेवक कहने वाला।’ पुण्य प्रसून बाजपेयी के इस ट्वीट पर यूजर्स की तरह-तरह की प्रतिक्रिया सामने आ रही हैं।
भरत पांडे नाम के एक यूजर ने लिखा है,’वो कौन-सा पत्रकार है जो पिछले 20-25 सालों से चाहता है कि मोदी जी हारे, उनकी लोकप्रियता कम हो, रात दिन उनके खिलाफ मुहिम चलाता है, पत्रकार के रूप में एक कट्टर कांग्रेसी है। जिसने तेजस्वी को भी मुख्यमत्री बना दिया था लेकिन होता उल्टा है। उत्तर – पुण्य प्रसून बाजपेयी।’ वेद नाम के एक यूजर ने लिखा है,’बिहारी बाबू अपनी मोदी घृणा में इतना बेकाबू हो गया है कि इसे हर वक्त खराब सपने ही आते हैं। सोचिए इतनी असहिष्णुता का 1 प्रतिशत भी उनमें हो तो क्या परिणाम होगा।’
KBC का सवाल : वो कौन शख़्स था जिसने शास्त्री जी के नारे “जय जवान जय किसान” को 49 वर्ष बाद 2014 में बुलंद किया था
विकल्प :
1. प्रधानमंत्री पद का दावेदार
2. आरएसएस का प्रचारक
3. गुजरात के मुख्यमंत्री
4. खुद को प्रधानसेवक कहने वाला— punya prasun bajpai (@ppbajpai) November 26, 2020
संजय झा नाम के एक यूजर ने लिखा है,’अभी जब पंजाब में किसान आंदोलन हो रहा था और किसानों ने कई दिनों तक रेल पटरियों को जाम कर रखा था तो हमारे ‘क्रांतिकारी’ पत्रकारों के मुँह में कांग्रेस ब्रांड ताला लगा हुआ था।’ प्रमिला नाम की एक यूजर ने लिखा है,’आपके अनुसार तो किसान मोदी से नाराज ही हैं ? बेरोजगार मोदी से नाराज ही हैं ? छात्र मोदी से नाराज ही हैं ? बुद्धिजीवी मोदी से नाराज ही हैं ? मुस्लिम मोदी से नाराज ही हैं ? मोदी को इतना वोट कौन करता है फिर ?’
सुधीर नाम के एक यूजर ने लिखा है,’वो कौन-से पत्रकार हैं जो प्रधानमंत्री को गाहे-बगाहे टारगेट करते है 1.जिनको कांग्रेस के राज में सिर पर चढ़ाया गया लेकिन आजकल नही। 2.जिनकी झूठ और दिखावे की पत्रकारिता विफल हो गई। 3.जो पक्षपातपूर्ण और गैरजिम्मेदारना खबरें छापते हैं। 4.जो किसी एक पार्टी विशेष की चाटुकारिता करते थे।’