अमेरिका के वाशिंगटन स्थित कैपिटल हिल पर ट्रंप समर्थकों द्वारा उत्पात और हिंसा के बाद कई लोग डोनाल्ड ट्रंप की आलोचना कर रहे हैं। ट्रंप पर यह आरोप है कि उन्होंने ही लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार के विरुद्ध अपने समर्थकों में अविश्वास पैदा किया और उन्हें भड़काया है। इसी बात को लेकर अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन ने एक ट्वीट किया कि इस देश का राष्ट्रपति कानून से ऊपर नहीं है।

उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि न्याय लोगों की सेवा के लिए है न कि शक्तिशाली को बचाने के लिए। उनके इस ट्वीट को रीट्वीट करते हुए वरिष्ठ पत्रकार पुण्य प्रसून बाजपेयी ने एक ट्वीट किया और कहा कि जो राष्ट्राध्यक्ष खुद को कानून से ऊपर माने वो या तो तानाशाह होता है या सिरफिरा। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, ‘वो तानाशाह है या सिरफिरा.. जो भी राष्ट्राध्यक्ष खुद को कानून से ऊपर माने।’

उनके इस ट्वीट पर यूजर्स भी खूब कमेंट कर रहे हैं। रोहित आनन्द नाम के यूज़र ने लिखा, ‘हर दिन मोदी को कोसने के अलावा कुछ आता भी है आपको। आजतक का एडिटिंग वाला आपका वीडियो अरविंद केजरीवाल जी के इंटरव्यू के बाद यही दिखाता है कि मेनुपुलेशन आप भी करते थे। कुछ अलग नहीं हो आप उनसे जिनको आज आप दरबारी बोलते हो। आप भी दूसरी तरफ हो और वो सरकार की तरफ के।’

वेल रीड नाम के यूज़र ने लिखा, ‘ट्रंप ने गलत देश और लोगों के साथ पंगा लिया। उसने अपने दोस्त की सुनी और ये हाल हुआ। ये बिना रीढ़ वाला कानून और लोकतंत्र थोड़ी था।’ शैलेंद्र सिंह ने लिखा, ‘सत्ता की मलाई ऐसी ही होती है जाने के बाद आदमी पागल हो जाता है। सत्ता रहने पर अहं ब्रम्हासी का एहसास होता है, सत्ता जाने के बाद अहं चुहानशी का एहसास होता है। कोई टीका लगवाने से मना कर देता है। चाटुकारों से घिरे ये लोग सत्ता जाने के बाद भी अपने आप को सबका आका ही मानते हैं।’

 

चौकीदार आलोक सिंह ने लिखा, ‘अमेरिका की तरह भारत में भी कभी कोई था जो कहता था, संसद भ्रष्ट है सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा नहीं है मीडिया बिक गयी है संविधान नाकामयाब हो चूका है इसलिए मैं अराजकता फ़ैलाने आया हूं याद आ रहा है कोई?’

गणेश ने लिखा, ‘सर आजकल आप क्रांतिकारी इंटरव्यू नहीं करते क्या? काफ़ी साल हो गए..।’ नरेंद्र देबखेरा ने लिखा, ‘आपकी यह बात ममता बनर्जी पर बहुत फिट बैठती है।’ मनोहर चौधरी ने लिखा, ‘अमेरिका से सबक लें, लोकतंत्र में भक्ति नहीं, आलोचना की शक्ति ज़िंदा रखिए वरना सेवक को शासक बनते देर नहीं लगती। फैन नहीं मतदाता बनिए।’