कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली के बॉर्डर्स पर प्रदर्शन कर रहे किसान कृषि कानूनों को वापस लेने की अपनी मांग पर डटे हुए हैं। सरकार और किसानों के बीच बातचीत का दौर भी जारी है लेकिन गतिरोध बना हुआ है। सरकार की तरफ़ से तीनों कृषि कानूनों को डेढ़ साल के लिए रोकने का भी प्रस्ताव दिया गया है जिसे किसानों ने इंकार कर दिया।

इस बीच किसानों और सरकार के मध्य 22 जनवरी को 11वें दौर की बैठक हुई, जो पहली बैठकों की तरह ही बेनतीजा साबित हुई। दोनों पक्ष अपनी बात से हटते नहीं दिख रहे। इसी बात पर वरिष्ठ पत्रकार पुण्य प्रसून बाजपेयी ने लिखा कि किसान विज्ञान भवन, जहां किसान और सरकार की बातचीत होती है, में डेरा डाल लें। उन्होंने अपने ट्विटर पर लिखा, ‘किसान आज से विज्ञान भवन में डेरा डाल लें..बातचीत के लिए हर दिन चौबीसों घंटे उपलब्ध..।’

उनके इस ट्वीट पर यूजर्स भी अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। कृषि कानूनों के समर्थक कुछ लोग उन्हें ट्रोल भी कर रहे हैं। बीडी नाम के एक यूजर ने लिखा, ‘प्रसून जी आप भी आजतक ऑफिस के बाहर धरना दीजिए, हमें कारण चाहिए कि आपको क्यों निकाला।’ आपको बता दें कि पुण्य प्रसून बाजपेयी आजतक में पत्रकार रह चुके हैं।

किशोर कुमार मिश्रा ने लिखा, ‘क्यों, संसद पर ही क्यों न कब्जा कर लें। उनके मन के अनुकूल नियम नहीं बनाती है? राष्ट्रपति भवन पर भी, राष्ट्रपति राहुल की बात नहीं सुन रहे। और सुप्रीम कोर्ट पर भी क्योंकि उसने इन ‘पंजाबी अन्नदाताओं’ के मामले को सुनने की हिमाकत की।’

 

आलोचक नाम के यूज़र ने लिखा, ‘जब देश कोरोना महामारी, चीनी घुसपैठ, पाकिस्तानी आतंकवाद से परेशान था तो देश का विपक्ष जनता द्वारा चुनी हुई सरकार के साथ न रहकर भारत सरकार के विरुद्ध था। अनावश्यक आंदोलन, शांति भंग करने के लिए बयान दिए गए। देश याद रखेगा विपक्ष के कारनामे को।’

मुकेश कुमार ने लिखा, ‘किसान तो आएगा ही, लेकिन वामपंथी, देशद्रोही और खालिस्तानी आतंकवादियों का आना पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है।’ कर्मवीर नामक यूज़र ने तंज कसते हुए लिखा, ‘आपको आपको ज़्यादा दूर जाकर खुले में रहकर खबरें लाने की जहमत नहीं उठानी पड़ेगी।’