बंगाली फिल्म ‘सिनेमावाला’ के निर्देशक कौशिक गांगुली ने कहा कि यह फिल्म धीरे-धीरे विलुप्त हो रहे सिंगल स्क्रीन थियेटरों की याद में बनाई गई है। गांगुली को इस फिल्म के लिए पुरस्कार मिल चुका है। कौशिक ने बताया, ‘सिनेमावाला मेरी ओर से सेल्युलॉइड फिल्मों के बीते दौर को याद करने का जरिया है। यह यादों की उस दुनिया को मेरी ओर से दी गई विदाई है, जिसके साथ मैं बड़ा हुआ हूं। यह सेल्युलॉइड पर बनीं उन फिल्मों को मेरी ओर से दी गई विदाई है, जिन्होंने मुझे पे्ररित किया और यह उन सिंगल स्क्रीन थियेटरों को मेरी विदाई है, जिन्होंने मेरे सपनों को पंख दिए।’
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‘सिनेमावाला’ एक सेवानिवृत्त फिल्म वितरक प्रणबेंदु दास के जीवन के इर्द-गिर्द घूमती है। दास एक छोटे शहर से है और अब उसे अपने मूवी थियेटर कमलिनी को बंद करने पर विवश होना पड़ रहा है क्योंकि आधुनिक डिजीटल तकनीक के कारण सेल्युलॉइड फिल्मों का मानक अब पुराना हो चुका है।
कौशिक बताते हैं कि 13 मई को प्रदर्शित होने वाली ‘सिनेमावाला’ 90 के दशक तक के फिल्म प्रदर्शन की याद दिलाती है। यह वह दौर था, जब मल्टीप्लेक्स के बारे में किसी ने सुना भी नहीं था। आईएफएफआई, 2015 में यूनेस्को फेलिनी अवॉर्ड के अलावा इस फिल्म का चयन न्यू यार्क फिल्म फेस्टिवल, 2016, चेन्नई इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल, पुणे इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल, आईएफएफ दिल्ली, आईएफएफ केरल, बेंगलूरू इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल आदि के लिए हुआ था।