मशहूर कवि, लेखक और व्यंग्यकार अरुण जेमिनी सोशल मीडिया पर खूब एक्टिव रहते हैं। वह अकसर अपने बेबाक विचारों को सोशल मीडिया पर साझा करते हुए भी नजर आते हैं। हाल ही में उन्होंने फेसबुक पर एक कविता साझा की है, जिसमें उन्होंने बताया कि जब पकौड़े तलना व्यवसाय नहीं होता था, तब देश में कौन-कौन से रोजगार थे जिसमें लोग अपना हाथ आजमा सकते थे। अरुण जेमिनी की इस कविता पर सोशल मीडिया यूजर भी जमकर कमेंट कर रहे हैं। अपनी कविता को साझा करते हुए उन्होंने लिखा कि यह कविता 1983-83 की है, जब पकौड़े तलना व्यसाय में शामिल नहीं था।

अरुण जेमिनी ने फेसबुक पर साझा की गई कविता में लिखा, “ये कविता 1983-84 की है। उस समय तक पकौड़े तलना व्यवसाय में शामिल नहीं हुआ था। इसलिए वो इस कविता में शामिल नहीं है। क्षमा प्रार्थी हूं, बाकी सब यूं का यूं है। गंदा है पर धंधा है।”

अरुण जेमिनी ने अपनी कविता में आगे लिखा, “बेरोजगारी से दुखी हमारे एक मित्र ने हार कर कहा- अब मैं क्या करूं? मैंने कहा धंधों की इस देश में क्या कमी है। कुछ नहीं बन सकते तो नेता बन जाओ, खादी का कुर्ता पहनो और देश को च्विंगम समझकर चबाओ। अखबार नहीं पढ़ते तुम, इस देश में नेताओं का सबसे अधिक उत्पादन है।”


अरुण जेमिनी ने नेतागिरी से जुड़े व्यवसाय का जिक्र करते हुए आगे लिखा, “तुम एक ईंट उठाओगे, उसके नीचे बीस नेता पाओगे, सभी के मुंह भाषण देने की मुद्रा में खुले होंगे। सभी के हाथ वोट मांगने की मुद्रा में जुड़े होंगे। नेता बनने के बाद जनता के हारे में सोचना भी पाप है, क्योंकि उसके बाद तो कुर्सी ही बीवी, कुर्सी ही मां और कुर्सी ही बाप है।”

अरुण जेमिनी ने कविता में आगे लिखा, “मेरा दोस्त बोला- नेता बनना अपने बस की बात नहीं खादी का कुर्ता और खादी की धोती बहुत सताती है। तुम्हें पता नहीं खादी बड़े आदमी को बड़ा और छोटे को छोटा बनाती है। इस पर मैंने कहा कि फिर कवि बन जाओ।” अरुण जेमिनी की इस कविता को लेकर सोशल मीडिया यूजर ने भी खूब कमेंट किये।

बनज कुमार ने अरुण जेमिनी की तारीफ में लिखा, “कमाल की कविता है, मेरा सौभाग्य है कि मैं इसे किसी कवि सम्मेलन में आपसे सुन चुका हूं।” सुरेंद्र राठी नाम के एक यूजर ने लिखा, “सुंदर कटाक्ष।” रासबिहारी नाम के एक यूजर ने लिखा, “जवाब नहीं है आपका।” शशांक नाम के एक यूजर ने लिखा, “वाह भाई वाह।” शशिभूषण नाम के एक यूजर ने लिखा, “लाजवाब आदरणीय, ये हर युग की कविता है और रहेगी।”