बीकेयू नेता राकेश टिकैत न्यूज 24 की लाइव डिबेट में पहुंचे। तो एंकर और पत्रकार मानक गुप्ता ने उनसे ढेरों सवाल किए। एंकर ने राकेश टिकैत से किसान आंदोलन को लेकर पूछा- ‘7 महीने में आपने क्या हासिल किया? क्योंकि सरकार तो अभी भी वही कह रही है। अगर आपके पास कोई अलग प्रस्ताव है तो लेकर आइए तब बातचीत होगी।’

इस पर राकेश टिकैत कहते हैं- ‘हां अलग प्रस्ताव है हमारे पास, वो लाएंगे हम। एक तो अस्पताल तलाश कर लिया है हमने किसानों का। हमारा जो इलाज होगा वो पार्लियामेंट में होगा। अस्पताल है पार्लियामेंट। वहीं किसान का भी वहीं इलाज हो जाएगा। सरकार का इलाज होगा, इनके दिमाग में बुखार है वो हम ठीक करेंगे, 3 साल लगेंगे। दवाई देंगे हो जाएंगे ठीक।’

डिबेट में एंकर पूछते हैं- ‘ऐसा लग रहा है कि आप किसान की मियात को बढ़ाते जा रहे हैं। जब आंदोलन की शुरुआत हुई थी तो आपने कहा था कि बहुत जल्दी सरकार मानेगी, मानना पड़ेगा। फिर आपने कहा अक्टूबर तक चलेगा, फिर आप बोले 2022 तक चलेगा। अब आप 2024 कह रहे हैं। ऐसा क्यों?’

 

राकेश टिकैत जवाब में कहते हैं- ‘जब सरकार नहीं मान रही, कोई आदमी बीमार पड़ जाए तो कई सालों में ठीक होता है, सरकार को लकुआ मार गया है। तो ये कई सालों में ठीक होगा। ये तो धीरे-धीरे इलाज चलेगा, देसी इलाज होगा।’

राकेश टिकैत से सवाल किया जाता है कि क्या सरकार पर आपको जरा भी भरोसा नहीं है? एक टाइम पर बड़ा भरोसा था। इस पर वह कहते हैं- ‘पहले वाले प्रधानमंत्री तो बात करते थे किसानों से अब वाले नहीं करते। इनको बालक खिलाने से ही फुर्सत हो जाए तब ना बात करें।’

सोशल मीडिया पर इस पोस्ट को देख ढेरों रिएक्शन सामने आने लगे। अमित राज नाम के यूजर बोले- कृषि कानून में गलत क्या है? कोई बता नहीं रहा है, क्योंकि गलत कुछ है ही नहीं। एक ने कहा- बिना बात किए ही किसानों के खाते में पैसे, किसानों द्वारा उपजाए अन्न का उचित दाम, किसानों को विभिन्न सुविधाएं दी जा रही है? क्यों गुमराह कर रहे हैं?

महेश नाम के यूजर बोले- ₹65 का डीजल किसान 90-95 पर खरीदता है, सरकार उनसे पहले लूट रही है दे क्या रही है? एसएस चौहान ने कहा- दुनिया की कोई सरकार या व्यवस्था MSP पर खरीद के लिए सभी खरीदारों को बाध्य नहीं कर सकती, जो ये चाहते हैं। अभी सरकार MSP पर जो खरीद करती है वह ग्लोबल मूल्य से ऊपर है, जो PDS व सरकारी योजनाओं के लिए की जाती है। ये घटिया राजनीति प्रेरित, देश विरोधी आंदोलन है जिसका टाइटल किसान है।