परेश रावल की फिल्म ‘द ताज स्टोरी’ विवादों में घिरी हुई है। अयोध्या के एक भाजपा नेता ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और सीबीएफसी में शिकायत दर्ज कर परेश रावल स्टारर फिल्म ‘द ताज स्टोरी’ पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। उन्होंने दावा किया है कि यह फिल्म उनके द्वारा उच्च न्यायालय में दायर याचिका के विषय पर आधारित है। अयोध्या से भाजपा प्रवक्ता रजनीश सिंह ने अक्टूबर 2022 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ में एक याचिका दायर की, जिसमें ताजमहल के अंदर 22 बंद कमरों को खोलने की मांग की गई, जिसमें दावा किया गया कि यह स्मारक मूल रूप से एक मंदिर था।

याचिका में उन्होंने 17वीं शताब्दी के स्मारक पर स्पष्टता देने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को शामिल करते हुए एक समिति के गठन की मांग की थी, जिसे उच्च न्यायालय ने मई 2022 में खारिज कर दिया था।

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) को सोमवार को दी गई अपनी शिकायत में सिंह ने कहा, “मैंने ताजमहल के 22 बंद कमरों को खोलने के लिए एक जनहित याचिका दायर की थी। मेरा उद्देश्य केवल पारदर्शिता सुनिश्चित करना और ऐतिहासिक तथ्यों का सत्यापन सुनिश्चित करना था। मुझे पता चला है कि फिल्म ‘द ताज स्टोरी’ मेरी याचिका के विषय पर आधारित है।” उन्होंने यह भी दावा किया कि फिल्म के पोस्टर, प्रचार सामग्री और कहानी में न्यायिक विषय और याचिका का संदर्भ उनकी अनुमति के बिना “भ्रामक” तरीके से दिया गया है।

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सिंह ने कहा, “यह मेरे बौद्धिक और कानूनी अधिकारों का उल्लंघन है। न्यायिक मामले का व्यावसायिक उपयोग भी अनुचित है।” उन्होंने सेंसर प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाने और “द ताज स्टोरी” के सार्वजनिक प्रदर्शन की मांग करते हुए कहा, “ऐसी फिल्म के प्रदर्शन से न केवल न्यायिक प्रक्रिया प्रभावित होगी, बल्कि सामाजिक और धार्मिक भावनाओं में भी अनावश्यक तनाव पैदा होगा।” सिंह ने कहा कि फिल्म की स्क्रिप्ट और स्टोरीलाइन की जांच की जानी चाहिए।

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