पिछले काफी समय से संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावती चर्चा का विषय बनी हुई है। फिल्म के ट्रेलर को लोगों से जहां सराहना मिली थी वहीं इसकी रिलीज डेट के नजदीक आते ही विरोध प्रदर्शन इतने तेज हो गए थे जिसकी वजह से फिल्म निर्माताओं ने रिलीज डेट आगे खिसकाने का निर्णय लिया। करणी सेना शुरुआत से ही फिल्म का विरोध कर रही थी लेकिन इसके बाद कई राजनीतिक और धार्मिक संगठनों ने फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने की मांग कर दी। उनका कहना है कि फिल्म में तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है जिसकी वजह से इसपर बैन लगना चाहिए।

देशभर में फिल्म के विरोध में चल रही लहर की वजह से निर्माताओं ने 1 दिसंबर को फिल्म रिलीज ना करने का फैसला किया। वहीं केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड ने भी फिल्म को सर्टिफिकेट नहीं दिया और इसे वापस लौटा दिया था। ऐसा माना जा रहा था कि विरोध की वजह से बोर्ड ने फिल्म को सर्टिफाई करने से मना कर दिया है लेकिन असल वजह एप्लीकेशन का अधूरा होना है। हिंदुस्तान टाइम्स के साथ बातचीत करते हुए सेंसर बोर्ड के सीईओ अनुराग श्रीवास्तव ने कहा- निर्माताओं ने डिस्क्लेमर नहीं दिया था। हम निर्माताओं से जानना चाहते हैं कि आपका इसपर क्या आधिकारिक स्टैंड है। यह फिक्शन पर आधारित है या फिर ऐतिहासिक तथ्यों पर- आपको यह बताना होगा। इसे बताए बिना डॉक्यूमेंट अधूरा था। परीक्षा के उद्देश्य से हमें यह पता होना चाहिए कि निर्माता फिल्म में क्या कह रहे हैं।

रिलीज से कुछ दिनों पहले पद्मावती को सेंसर बोर्ड के पास सबमिट किया गया था। जबकि नियम 68 दिन पहले जमा कराने का है। यह नियम पिछले काफी समय से है लेकिन इसे सख्ती से अमल में नहीं लाया गया क्योंकि इसे अव्यवहारिक माना जाता है।

अनुराग ने कहा- नियम काफी समय से बना हुआ है। कई बार लोग हमारे पास आते हैं और कहते हैं कि मुझे अपनी फिल्म कल या परसों रिलीज करनी है जबकि उन्होंने आज अप्लाई किया होता है। हमारे पास बहुत सारी एप्लिकेशन होती है और बहुत सारे बचे हुए काम होते हैं खासतौर से मुंबई में। हमें उन निर्माताओं को कहना पड़ता है कि हम ऐसा नहीं कर सकते क्योंकि इससे दूसरे प्रभावित हो सकते हैं।