जातिगत जनगणना की मांग को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में 11 नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। 40 मिनट से अधिक वक्त तक चले इस बैठक को लेकर नीतीश कुमार ने कहा है कि पीएम मोदी ने हमारी बातें सुनी है। पीएम से नीतीश कुमार की मुलाकात का मुद्दा टीवी डिबेट में भी छाया रहा।

आज तक के डिबेट शो, ‘हल्ला बोल’ में जनता दल यूनाइटेड के नेता अजय आलोक ने कहा कि जातिगत जनगणना एक ऐसा छत्ता है जिसमें सभी राजनीतिक दलों को शामिल होना पड़ेगा। वो बोले, ‘जातिगत जनगणना एक ऐसा छत्ता है जिसमें सारे के सारे राजनीतिक दलों को आना पड़ेगा। इस छत्ते की रानी मधुमक्खी खुद बीजेपी है।’

उन्होंने आगे कहा, ‘जातिगत जनगणना इसलिए जरूरी है क्योंकि किसी आदमी की स्थिति कैसी है, ये जानने का हक सरकारों को है। उस हिसाब से सरकार नीति बनाएगी।’

डिबेट के दौरान संबित पात्रा ने जातिगत जनगणना को लेकर अपनी सरकार का रुख बताते हुए कहा, ‘चर्चा चल रही है और मुद्दा प्रधानमंत्री जी के ऑफिस तक पहुंचा है। उन्होंने सभी पक्षों को सुना है। स्वाभाविक रूप से जो भी निर्णय प्रधानमंत्री जी और सरकार लेगी, वो हमारे सामने आएगा। इसलिए पार्टी प्रधानमंत्री या सरकार के निर्णय से पहले अपना निर्णय नहीं सुना सकती।’

संबित पात्रा ने राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव के उस बयान पर भी टिप्पणी की जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर पेड़ पौधों की गिनती हो सकती है तो जाति क्यों नहीं।

उनकी इस टिप्पणी पर संबित पात्रा ने कहा, ‘मैं एक निवेदन करूंगा.. मैं इस पर चर्चा जरूर करूंगा लेकिन ये उदाहरण ठीक नहीं। औपनिवेशिक काल में मनुष्यों की गिनती जानवरों की तरह होती थी, मगर केवल गुलामों की होती थी। ये कोई आक्षेप नहीं है कि ओबीसी की तुलना जानवरों या पेड़ों के साथ करना कि जानवरों की गिनती होती है तो ओबीसी की भी हो सकती है, ये उदाहरण उचित नहीं है।’