नेपाल कोर्ट ने गुरुवार को हिंदी फिल्मों से बैन हटा दिया है। अब वह प्रभास स्टारर ‘आदिपुरुष’ भी दिखाई जाएगी। अब वहां अधिकारियों से देश के सेंसर बोर्ड द्वारा पारित किसी भी फिल्म की स्क्रीनिंग न रोकने का निर्देश दे दिया गया है। दरअसल ‘आदिपुरुष’ में सीता माता को भारत की बेटी बताया गया है, इसी को लेकर काठमांडू के मेयर बलेंद्र शाह ने फिल्म की स्क्रीनिंग पर रोक लगाने को कहा था।
मेयर ने कही ये बात
अब शाह ने कहा है कि शाह ने गुरुवार को कहा कि वह किसी भी सजा का सामना करने के लिए तैयार हैं, लेकिन फिल्म की स्क्रीनिंग की अनुमति नहीं देंगे क्योंकि मामला “नेपाल की संप्रभुता और स्वतंत्रता” से संबंधित है। अपने फेसबुक पोस्ट में मेयर बलेंद्र ने लिखा कि वह न्यायालय के आदेश का पालन नहीं करेंगे। शाह पोस्ट में कहा,”मैं इसके लिए कोई भी सजा भुगतने को तैयार हूं लेकिन फिल्म नहीं चलेगी और चलने नहीं दी जाएगी।”
पाटन हाई कोर्ट ने एक अल्पकालिक आदेश जारी करते हुए कहा कि सेंसर बोर्ड से अनुमति ले चुकी फिल्मों की स्क्रीनिंग नहीं रोकी जानी चाहिए। नेपाल मोशन पिक्चर एसोसिएशन के अध्यक्ष भास्कर धुंगाना ने मीडियाकर्मियों को बताया कि याचिकाकर्ता अदालत के लिखित आदेश का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “अब हम सेंसर बोर्ड द्वारा पारित सभी फिल्में प्रदर्शित करेंगे।”
आदिपुरुष और अन्य हिंदी फिल्मों के संवादों पर विवाद के बाद सोमवार को नेपाल में प्रतिबंध लगा दिया गया, जिसमें सीता (कृति सनोन द्वारा अभिनीत) का “भारत की बेटी” के रूप में उल्लेख किया गया था। कई लोगों का मानना है कि सीता, जिन्हें जानकी भी कहा जाता है, का जन्म दक्षिण पूर्व नेपाल के जनकपुर में हुआ था।
फिल्म के लेखक मनोज मुंतशिर ने इसपर कहा था,”नेपाल भारत के अधीन है, इससे भारत की गलत मंशा साफ झलकती है। इसे नेपाल सरकार की नौटंकी बताने और अदालत द्वारा फिल्म दिखाने के पक्ष में आदेश जारी करने का मतलब यह स्वीकार करना है कि नेपाल कभी भारत के शासन में था, अदालत और सरकार दोनों भारत के गुलाम हैं।”