बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा एनडीए ने जीत हासिल की है। जहां तमाम लोग इस बात की खुशियां मना रहे हैं, वहीं विपक्ष के साथ-साथ कुछ ऐसे भी हैं जो इसे घपला बता रहे हैं। उनमें से एक लोक गायिका नेहा सिंह राठौर भी हैं, जिन्होंने एक्स पर वीडियो शेयर कर जमकर भड़ास निकाली है। उनका कहना है लोगों के खाते में 10-10 हजार ट्रांसफर करके वोट दिलवाए गए हैं।
नेहा ने पहला वीडियो शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा, “बिहारवासियों को गमछा लहराने और कट्टा की बात करने वाला ऐसा नेता चाहिए जो दस हजार खाते में भिजवा दे… उन्हें रोजगार और विकास से पहले मनोरंजन चाहिए।” वीडियो में नेहा कह रही हैं, “बिहार के इस दस हजारी चुनाव ने ये साबित कर दिया है कि बिहार के लोगों को बिहार के विकास और रोजगार जैसी बेकार सी चीजों में कोई रुचि नहीं है।”
“उन्हें तो बस मनोरंजन चाहिए। एक ऐसा नेता चाहिए जो कट्टा और गमछे की बात करे। उनके बिहारीपने को समझे और उनकी मजदूरों वाली पहचान को संरक्षित करे। सही भी है, बिहार की पहचान सिर्फ बाटी-चोखा और चंपारण मटन थोड़ी है।बिहार की असली पहचान तो यहां कि बेरोजगारी और पलायन है। जो भी उनकी ये पहचान खत्म करना चाहेगा ये उसको हराकर ही दम लेंगे।”
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नेहा ने आगे कहा, “बिहार में कारखाने लग जाएंगे तो विरह के गीतों का क्या होगा। घर के मर्द ट्रेनों में भरकर परदेश नहीं जाएंगे, रेलिया बैरन जैसे गीत कौन गाएगा? है कि नहीं? पर्व त्योहार में परदेश से लौटने का जो सुख है, बिहार के लोग उससे महरूम नहीं होना चाहते। 36 घंटों तक ट्रेन मैं ठूसे रहने के बाद ट्रेन से निकलकर बाहर खुली हवा में सांस लेने का जो सुख है वो अपने गांव में कहां मिल पाता है….”
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अपने वीडियो के अंत में नेहा ने कहा, “10 हजार की रकम कोई मामूली रकम तो होती नहीं है। अगले पांच साल का खर्चा तो चल ही जाएगा और पांच साल बाद दोबारा खाते में आ भी जाएगा। है कि नहीं? बाकी जवान बेटा मांगने पर लाठी खाए तो खाए। आदमी जहरीली शराब से मरे तो मरे। मरीज बिना इलाज अस्पताल के बाहर खत्म हो जाए तो हो जाए। दूसरे राज्यों के कारखानों में लोहा पीटने जाना पड़े तो कोई गम नहीं। कोई भाषा के नाम पर बेइज्जत कर दे तो उदास नहीं होना है। सबसे जरूरी 10 हजार रुपये का एहसान चुकाना है। 10 हजार की रकम के वफादार बने रहना है।” आखिर में नेहा ने कहा कि 10 हजार रुपये का
