फिल्म निर्माता कबीर खान ने शनिवार को कहा कि सिनेमा में देशभक्ति और राष्ट्रवाद के बीच एक अंतर है क्योंकि उनका मानना है कि देशप्रेम दिखाने के लिए विरोधी विचार की जरूरत नहीं है। ‘काबुल एक्सप्रेस’, ‘बजरंगी भाईजान’ और ‘83’ जैसी फिल्मों को लेकर सराहे गए निर्देशक ने कहा कि उनकी फिल्म उनके खुद के व्यक्तित्व का प्रतिबिंब है और हर विषय की अपनी मांग होती है।
उन्होंने कहा, ‘हर फिल्म, निर्माता का अपना खुद का प्रतिंिबंब (जो फिल्म वे बनाते हैं, उनमें) होना चाहिए। हम कभी-कभी फिल्म में तिरंगा दिखाते हैं, लेकिन आज देशभक्ति और राष्ट्रवाद में अंतर है।’ उन्होंने कहा, ‘राष्ट्रवाद के लिए, कभी-कभी हमें एक विरोधी विचार या ‘खलनायक’ की जरूरत पड़ती है। हालांकि, देशभक्ति के लिए आपको ऐसी किसी चीज की जरूरत नहीं पड़ती।
देशभक्ति अपने देश के लिए सच्चा प्रेम है और आपको किसी विरोधी विचार की जरूरत नहीं पड़ती। और (फिल्म 83) के जरिये मेरी यही कोशिश थी।’ अपनी फिल्म ‘83’ के बारे में खान ने कहा कि उन्होंने इसमें देशभक्ति दिखाने की कोशिश की। यह फिल्म 1983 में भारतीय क्रिकेट टीम के कपिल देव की कप्तानी में विश्व चैम्पियन बनने पर आधारित है।
यह पूछे जाने पर कि वे समाज के एक वर्ग द्वारा पाकिस्तान जाने की सलाह दिए पर क्या प्रतिक्रिया व्यक्त करना चाहेंगे, खान ने कहा कि उन्हें बुरा लगता है लेकिन उनका मानना है कि यह सब सोशल मीडिया के कारण हो रहा, जिसने लोगों को किसी को भी कुछ भी कहने की खुली छूट दे दी है।
हरनाज ने हिजाब को लेकर टिप्पणी पर कहा : मैंने सिर्फ अपना नजरिया रखा
हिजाब पर अपनी टिप्पणी के कारण सुर्खियों में आने के कुछ दिनों बाद, मिस यूनिवर्स 2021 हरनाज संधू ने बुधवार को कहा कि देश की एक युवा के रूप में उन्होंने इस मुद्दे पर टिप्पणी करने के लिए बस अपना दृष्टिकोण साझा किया।इस साल की शुरुआत में इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता को जीतने वाली 24 वर्षीया संधू ने कहा कि विचाराधीन मामला कुछ ऐसा है जिसे उन्होंने महसूस किया कि उन्हें संबोधित करने की ‘जरूरत’ है क्योंकि वह लोगों को उनकी पसंद के अनुसार जीने देने में विश्वास करती हैं।
संधू ने यहां एक कार्यक्रम में कहा, ‘अपने देश के युवा होने के नाते… मैं लोक प्रशासन में परास्नातक की छात्रा हूं, दुनिया भर में जो कुछ भी हो रहा है, उसके बारे में आपका दृष्टिकोण होना जरूरी है।’सोशल मीडिया पर माडल-अभिनेत्री की एक वीडियो क्लिप काफी प्रसारित हुई जिसमें एक पत्रकार ने संधू से हिजाब के मुद्दे पर उनके विचार पूछे। यह वीडियो यहां 17 मार्च को मिस यूनिवर्स-2021 की घर वापसी के सम्मान में मुंबई में आयोजित कार्यक्रम का था। अपने जवाब में संधू ने समाज से हिजाब के मुद्दे समेत, लड़कियों को निशाना बनाना बंद करने की अपील की और कहा, ‘उन्हें अपने चुने हुए तरीके से जीने दीजिए।’
संधू ने बुधवार को अपने विचारों को दोहराते हुए कहा कि उनके बयान के बाद लोगों को ऐसा लगने लगा कि वे हिजाब की प्रथा के ‘समर्थन’ में हैं।
उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि मैंने इसे सिर्फ अपना दृष्टिकोण दिया। और अंत में, उस लड़की पर पितृसत्तात्मक व्यवस्था का प्रभुत्व है या अगर वह लड़की हिजाब पहनती है, तो यह उसकी अपनी पसंद है। भले ही उस पर हावी हुआ जा रहा हो, उसे सामने आने और अपनी बात कहने की जरूरत है।’
उन्होंने कहा, ‘जब तक वह खुद की मदद नहीं करती है, मैं उसका समर्थन कैसे कर सकती हूं? और अगर वह उसकी पसंद है, तो वह उसकी पसंद है। उसे जीने दें, जैसे वह जीना चाहती है। हम सभी महिलाओं के रंग अलग है, हम महिलाएं विभिन्न संस्कृतियों से आती हैं, हमें एक-दूसरे का सम्मान करने की जरूरत है… मुझे लगता है कि हम सभी की ंिजंदगी अलग-अलग होती है, तो आप किसी और पर दबाव डालना और हावी होना क्यों चाहते हैं?’
संधू ने सोशल मीडिया पर शारीरिक बनावट को लेकर छींटाकशी (बाडी शेमिंग) के बारे में बात करते हुए खुलासा किया कि उन्हें सीलिएक बीमारी है। इसमें गेहूं, जौ, राई में मिलने वाले एक प्रोटीन ग्लूटेन को लेकर शरीर में प्रतिरोधक प्रतिक्रिया होती है। उन्होंने कहा, ‘मैं उन लोगों में से एक हूं जिन्हें पहले धमकाया गया था कि ‘वे बहुत पतली हैं’ और अब वे मुझे ‘वे मोटी’ कहकर धमकाते हैं। मेरे सीलिएक रोग के बारे में कोई नहीं जानता कि मैं गेहूं का आटा और कई अन्य चीजें नहीं खा सकती।’