हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता नसीरुद्दीन शाह को उनके काम के लिए पसंद किया जाता है। साल 2014 में उनकी ऑटोबायोग्राफी लॉन्च की गई थी। जिसका टाइटल था ‘एंड देन वन डे’। किताब में नसीरुद्दीन शाह के जीवन से जुड़े बहुत से दिलचस्प किस्से हैं। इन्हीं में एक किस्सा ऐसा भी था, जिसने उनके फैंस को हैरान कर दिया था।
नसीरुद्दीन शाह ने किताब में जिक्र किया था कि उनके को-एक्टर और पुराने दोस्त ने उनपर चाकू से वार करने की कोशिश की थी। उस वक्त उनकी जान दिवंगत अभिनेता ओम पुरी ने बचाई थी। ये किस्सा साल 1977 का है, जब वह फिल्म ‘भूमिका’ की शूटिंग कर रहे थे। एक्टर ने बताया कि वह और ओमपुरी एक रेस्टोरेंट में डिनर कर रहे थे, जब उनके एक एक्टर दोस्त जसपाल वहां आए।
उस वक्त जसपाल और नसीरुद्दीन के बीच अच्छे संबंध नहीं थे और दोनों एक दूसरे से बात नहीं करते थे। एक्टर ने किताब में जिक्र करते हुए बताया है, “हमने एक दूसरे को अनदेखा किया लेकिन उसकी आंखें मुझपर ही टिक गई थीं। वह दूसरे टेबल पर बैठने के लिए मेरे पीछे से निकला, तो मुझे लगा…लेकिन थोड़ी ही देर बाद मेरी पीठ के बीच में तेज मुक्के के तरह कुछ चुभा और मुझे याद आया कि वह मेरे पीछे है। मैंने उठने की कोशिश की। लेकिन मैं हिल पाता, ओम ने दबी हुई चीख के साथ मेरे पीछे किसी चीज़ की ओर देखा। मैंने मुड़कर देखा कि जसपाल के हाथ में एक छोटा सा चाकू था, उसकी नोक से खून टपक रहा था, उसका हाथ फिर से वार करने के लिए उठा हुआ था और ओम और दो अन्य लोग उसे काबू में करने की कोशिश कर रहे थे।”
इस घटना के बाद रेस्टोरेंट के मालिक ने पुलिस को बुलाया। नसीर ने बताया, “ओम ने मुझे बताया कि जसपाल को रसोई में ले जाया गया है और उसका इलाज किया जा रहा है। वह मुझे डॉक्टर के पास ले जाना चाहता था लेकिन रेस्टोरेंट के स्टाफ ने पुलिस के आने तक कहीं भी जाने से लिए मना किया था।”
नसीर ने आगे लिखा है, “जब एंबुलेंस आई, ओम ने बिना अनुमति के चढ़ने की बड़ी गलती की। उसने पुलिस को मेरे साथ नरम होने के लिए कहा। उसे उतरने को कहा गया और काफी मिन्नत करने के बाद उसे एंबुलेंस में रुकने की अनुमति दी गई। हममें से किसी को भी अंदाज़ा नहीं था कि हम कहां जा रहे हैं, लेकिन मैंने प्रार्थना की कि यह पुलिस स्टेशन न हो।”
नसीरुद्दीन को पहले कूपर अस्पताल और इसके बाद जसलोक अस्पताल ले जाया गया था। अस्पताल में नसीर को पता चल गया था कि जसपाल को पुलिस ने गिरफ्तार तो किया था, लेकिन बेल पर रिहा भी कर दिया था। ये सब फिल्ममेकर सईद अख्तर मिर्जा ने किया था। जिस वक्त नसीरुद्दीन अपने जख्म से उभर रहे थे, तब उन्हें पता चला कि जसपाल को दो रातें हिरासत में बिताने के बाद सईद मिर्जा ने जमानत दिलवा दी थी। जिनकी फिल्म में उन्होंने मेरी जगह अरविंद देसाई को लिया था।