गन्ने के जूस की दुकान पर एक-दूसरे को देखने से लेकर, थियेटर में साथ काम करने और फिर फिल्मों में आने, शादी करने, बच्चे पैदा करने, रत्ना पाठक शाह और नसीरुद्दीन शाह के मोहब्बत का सफर काफी लंबा रहा है। लेकिन यह कपल के लिए इतना आसान नहीं था, क्योंकि जब उन्होंने शादी करने का फैसला किया तो उन्हें एक छोटी सी बाधा का सामना करना पड़ा, जिससे रत्ना पाठक का परिवार थोड़ा चिंतित हो गया।
रत्ना पाठक ने याद किया कि नसीरुद्दीन से शादी करना “सौभाग्य से आसान” था, लेकिन उनके माता-पिता उनकी शादी को लेकर “थोड़े समय के लिए चिंतित” थे, वजह ये नहीं थी कि वह मुस्लिम थे या उनसे उम्र में बड़े थे, बल्कि वजह थी उनका पहले से शादीशुदा होना, उनकी पहले शादी हो चुकी थी और एक बेटी थी। नसीरुद्दीन शाह ने पहले मनारा सीकरी से शादी की थी, और इस शादी से उनकी एक बेटी हीबा थी।
द लल्लनटॉप के साथ एक इंटरव्यू में, रत्ना ने खुलासा किया कि उनके माता-पिता इस बात को लेकर श्योर नहीं थे कि यह कपल आर्थिक रूप से कितना स्थिर होगा, क्योंकि वे अभिनेता थे – ये एक एक अस्थिर पेशा है जिसमें बहुत कम स्थिरता होती है। “तो, यह समस्या थी, और इसके ऊपर, वो ऐसी शक्ल के साथ एक्टर थे! उस समय नसीर को यह बात अक्सर सुनने को मिलती थी कि ऐसे चेहरे वाला लड़का एक्टर कैसे बन सकता है, यहां तक कि उनके परिवार से भी। भले ही आप एक बेहतरीन एक्टर हों, लेकिन एक्टर का टिके रहना हमेशा मुश्किल काम होता है। कोई भी आपको गारंटी नहीं दे सकता, यह एक कठिन जीवन है।
रत्ना ने कहा, “मेरे पिता बहुत कम उम्र में इस दुनिया से चले गए, लेकिन मेरी मां और नसीर की अच्छी दोस्ती हो गई थी, और अंत तक आते-आते दोनों एक-दूसरे के करीब आ गए। इसलिए यह बिल्कुल भी समस्या नहीं थी। नसीर के परिवार ने मुझे बिना किसी सवाल के खुशी-खुशी स्वीकार कर लिया, यह अद्भुत था।”
रत्ना ने अपनी मां के साथ अपने रिश्ते को याद करते हुए कहा कि यह “बहुत अच्छा” था। उन्होंने कहा, “वह एक बहुत ही असामान्य व्यक्ति थीं, अगर वह शिक्षित होतीं, तो वह बहुत कुछ कर सकती थीं। वह वाकई एक खूबसूरत शख्सियत थीं, अगर उन्होंने एजुकेशन ली होती तो वह एक असाधारण शख्सियत होतीं, लेकिन वह समय बहुत ही अलग था।”
जब अभिनेत्री से पूछा गया कि क्या उन्हें याद है कि उन्होंने पहली बार नसीरुद्दीन को कब देखा था, तो रत्ना ने कहा कि वह मुंबई में गन्नेवाले की दुकान पर थीं, और वे एक नाटक में सह-कलाकार थे। “मुझे पता था कि एनएसडी से तीन लड़के आए थे, नसीर, राजेंद्र जसपाल और ओम पुरी, हालांकि वह काम नहीं कर रहे थे, लेकिन वह अक्सर रिहर्सल के लिए आते थे।”
रत्ना पाठक ने तब नसीर को अपने अभिनय पर “बहुत बड़ा प्रभाव” डालने का श्रेय दिया, उन्होंने खुलासा किया कि वह उन्हें “अभिनय में अपना गुरु” मानती हैं।