साल 1990 में आई ‘आशिकी’ और साल 2013 में आई ‘आशिकी 2’ को लोगों ने काफी पसंद किया। सिर्फ फिल्म की कहानी ही नहीं, बल्कि इसके गानों को भी लोगों ने खूब प्यार दिया। इन दोनों ही फिल्मों का निर्माण भूषण कुमार की टी सीरीज और मुकेश भट्ट की विशेष फिल्म्स ने मिलकर किया। इसके बाद दोनों कंपनियों ने फिल्म का तीसरा पार्ट यानी ‘आशिकी 3’ बनाने के बारे में सोचा था।
हालांकि, तीसरे पार्ट से पहले ही भूषण कुमार की टी सीरीज ने ‘तू ही आशिकी’ और ‘तू ही आशिकी है’ नाम से फिल्मों का ऐलान कर दिया। फिर मुकेश भट्ट की कंपनी ने टी सीरीज पर यह आरोप लगाया कि वह उनकी इजाजत के बिना आशिकी वर्ड का इस्तेमाल नहीं कर सकते और इसी शब्द को लेकर विशेष फिल्म्स ने अदालत का दरवाजा खटखटाते हुए याचिका दायर की।
मुकेश भट्ट ने यह दावा किया कि टी सीरीज ने जिन ‘आशिकी’ टाइटल से फिल्म का ऐलान किया है वह भ्रामक हो सकती है। वहीं, टी सीरीज ने इस पर तर्क दिया था कि वह आशिकी फ्रेंचाइजी के जॉइंट ओनरशिप को मानती है, लेकिन वह उनके दिए हुए टाइटल ‘तू ही आशिकी’ और ‘तू ही आशिकी है’ मुकेश भट्ट की कंपनी से अलग हैं और यह किसी भी फिल्म का सीक्वल नहीं है।
इसके आगे उन्होंने यह भी साफ किया कि उनकी फिल्म ‘आशिकी’ फ्रेंचाइजी से पूरी तरह अलग होगी, जिसका पिछली फिल्मों से कोई संबंध नहीं होगा। हालांकि, इस विवाद पर दिल्ली हाईकोर्ट ने मुकेश भट्ट के पक्ष में फैसला सुनाया। इस फैसले के बाद भूषण कुमार की टी सीरीज और अन्य लोग ‘आशिकी’ शब्द का इस्तेमाल अपने किसी भी प्रोजेक्ट में नहीं कर पाएंगे।
कुछ दिन पहले जस्टिस संजीव नरूला ने यह फैसला सुनाया कि ‘आशिकी’ टाइटल सिर्फ एक मौके पर इस्तेमाल नहीं किया गया है, बल्कि ये जानी-मानी और कामयाब फिल्म फ्रेंचाइजी है। अब इस पूरे मामले पर प्रोड्यूसर मुकेश भट्ट ने आज तक से बात की है। चलिए जानते हैं उन्होंने इस बारे में क्या कहा है।
मेरे पार्टनर में नहीं थी मैच्योरिटी
आज तक के साथ बात करते हुए मुकेश भट्ट ने कहा कि जिस नियत के साथ मैंने आशिकी बनाई उसी नियत के साथ मैंने आशिकी 2 बनाई, लेकिन मुझे इसके तीसरे पार्ट को बनाने में दिक्कत आ रही थी। मैं कहना चाहता हूं कि हमें टेंपटेशन में नहीं गिरना चाहिए, बल्कि अच्छी फिल्म बनानी चाहिए। अच्छी फिल्म और अच्छा म्यूजिक ही हमें रिजल्ट देगा।
हमको अच्छी फिल्म बनानी है, प्रोजेक्ट नहीं बनाना, प्रोजेक्ट नहीं चलते है। मैं 50 साल से इंडस्ट्री में हूं और ये एक्सपीरिएंस आपको सिखाता है कि क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए। जब आप यह सीख जाते हैं, तो आप सही से काम करते हो। वो मैच्योरिटी दुर्भाग्य से मेरे पार्टनर में नहीं थी, जो मुझे दिखी।
मजबूरन जाना पड़ा कोर्ट की तरफ
इसके आगे बात करते हुए उन्होंने कहा कि मुझे लगा हमारी इतनी मेहनत, गुलशन जी और मैंने उसकी शुरुआत की थी। फिर भूषण आकर, मुझे लग रहा था कि वो अनजाने में इस फ्रेंचाइजी को मार रहा है, जिस तरीके से वो देख रहा है, ऐसे में फ्रेंचाइजी को ज्यादा नुकसान हो रहा है। फायदा नहीं हो रहा।
ऐसे में मुझे इस फ्रेंचाइजी को बचाने के लिए यह फैसला लेना पड़ा, क्योंकि यह फ्रेंचाइजी सिर्फ मेरी या भूषण की नहीं है, पब्लिक की है। हमें उसे खराब नहीं करना है। इसलिए मुझे मजबूरन कोर्ट का रुख करना पड़ा। मुझे कानूनी लड़ाई लड़ने का कोई शौक नहीं था। अब कोर्ट के फैसले से मुझे सुकून मिला है कि उन्होंने एक फ्रेंचाइजी के रूप में आशिकी को बचा लिया है।
