CineGram: महान गायक मोहम्मद रफ़ी को किसी परिचय की जरूरत नहीं है। 1944 में वह गायक बनने के लिए मुंबई आए थे और फिर उनकी आवाज और सुरों ने लोगों के दिल में जो जगह बनाई वो आज उनके जाने के बाद भी जिंदा है। जब उन्होंने अपने करियर की शुरुआत की थी, उस वक्त वो ये नहीं जानते थे पूरी दुनिया उनकी आवाज की दीवानी होगी। मगर उनकी खुद की पत्नी उनके गाने नहीं सुनती थीं। जी हां, मोहम्मद रफ़ी ने दो शादियां की थीं और उनकी दूसरी पत्नी को उनके गाने सुनना पसंद नहीं था। मोहम्मद रफ़ी का करियर करीब 40 साल का था और इन सालों में उन्होंने अलग-अलग भाषाओं में 7,000 गाने गाए।

 रफ़ी ने दो शादियां की थी, पहली शादी उन्होंने अपनी कजिन से ही की की। उनकी पहली पत्नी पत्नी का नाम बशीरा बीबी था और उनसे रफ़ी ने 13 साल की उम्र में अपने पुश्तैनी गांव में शादी की थी। दोनों की शादी टूटने का कारण था बशीरा का भारत आकर न रहना। दरअसल आजादी की लड़ाई में उनके मां-बाप की जान चली गई थी, जिसके बाद बशीरा ने भारत आकर रहने से मना कर दिया और वो पाकिस्तान चली गईं। ऐसे दोनों की शादी भी टूट गई।

इसके बाद मोहम्मद रफ़ी ने 19 साल की उम्र में बिलकिस से शादी की थी। बिलकिस को संगीत में रुचि नहीं थी, इसलिए वो उनके गाने नहीं सुना करती थीं। रफ़ी पर लिखी किताब ‘मोहम्मद रफ़ी: माई अब्बा: ए मेमॉयर’ में उनकी बहू यास्मीन खालिद ने लिखा है कि बिलकिस और रफ़ी के बीच गानों पर रॉयल्टी भुगतान को लेकर उनके बीच मतभेद थे, जिसके कारण वो उनके गाने नहीं सुनती थीं।

सिंगिंग करियर बनने से पहले नाई थे मोहम्मद रफ़ी

रफ़ी का जन्म 24 दिसंबर, 1924 को अमृतसर के पास एक गांव कोटला सुल्तान सिंह में एक पंजाबी जाट मुस्लिम परिवार में अल्लाह राखी और हाजी अली मोहम्मद के घर पर हुआ था। वह छह भाइयों में दूसरे नंबर पर थे। बाद में उनका परिवार लाहौर चला गया। सात साल की उम्र में, रफ़ी अपने परिवार के साथ लाहौर चले गए, जहां उनके बड़े भाई नाई की दुकान चलाते थे। चूंकि उनकी रुचि पढ़ाई में नहीं थी, इसलिए वे दुकान में अपने भाई की मदद करते थे।

रिपोर्टों से पता चलता है कि रफी का संगीत के प्रति प्रेम तब शुरू हुआ जब एक सूफी फकीर उनके गांव आए और उनके हुनर से वह इतने प्रभावित हुए कि उनकी नकल करने लगे और सड़कों पर उनके साथ गाने लगे। 1945 में, मोहम्मद रफ़ी ने फिल्म ‘गांव’ की गोरी के लिए जी. एम. दुर्रानी के साथ ‘अजी दिल हो काबू में तो दिलदार की ऐसी तैसी’ गाने के साथ सिंगिंग करियर की शुरुआत की थी। बता दें कि करीब 40 साल के अपने करियर में उन्होंने कई भाषाओं में 7,000 गानों को अपनी आवाज दी। बता दें कि रफ़ी धर्म से मुस्लिम थे लेकिन उनकी गायकी से लोग ऐसा नहीं मानते थे। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…