सिनेमा जगत में कॉमेडी जॉनर की ढेरों फिल्में रिलीज होती हैं। लेकिन, इसमें कई फिल्में ऐसी होती हैं, जो पर्दे पर छाप छोड़ जाती हैं। उन्हें सालों साल देखना लोग पसंद भी करते हैं। इसी में से साल 2000 में रिलीज हुई अक्षय कुमार, सुनील शेट्टी और परेश रावल की फिल्म ‘हेरा फेरी’ थी। इसमें राजू, श्याम और बाबूराव गणपत राव आप्टे का किरदार आज भी लोगों के जहन में है। इनकी तिकड़ी को हिंदी सिनेमा की आइकॉनिक तिकड़ी माना जाता है। ऐसे में अब ये किरदार एक बार फिर से आपको हंसाने के लिए आ रहे हैं। ‘हेरा फेरी’ फ्रेंचाइजी के तीसरे सीक्वल का ऐलान हो चुका है और लगभग चीजें फाइनल हो चुकी है। लेकिन, फिल्म में थोड़ा बदलाव देखने के लिए मिल रहा है। इसमें बाबू भैया का रोल निभाने वाले परेश रावल ने फिल्म को छोड़ दिया, जिसकी वजह तक सामने नहीं आई है।

परेश रावल ने ‘हेरा फेरी 3’ को छोड़ने का अचानक से ऐलान किया और कहा कि इसमें कोई क्रिएटिव डिफ्रेंसेस नहीं हैं। उनका ये फैसला खुद से लिया हुआ है। इसे छोड़ने के उनके अपने कारण हैं। फिल्म की शूटिंग शुरू होने से पहले उन्होंने द लल्लनटॉप से बात की थी और इस दौरान उन्होंने कहा था कि वो बाबू भैया वाले किरदार से छुटकारा पाना चाहते हैं। उन्होंने कहा था कि ये उनके गले का फंदा बन गया है। ये किरदार उनको दम घुटा हुआ महसूस कराता है। इसकी वजह में उनका मानना है कि वो एक गंभीर अभिनेता के रूप में इस छवि से बंधे हुए हैं। अब ऐसा उन्होंने क्यों कहा, उनके मन में क्या चल रहा था, यह साफ नहीं।

पहला पार्ट जब आया था तो उन्होंने ये बातें तो नहीं कही थी। दूसरा पार्ट आया तो भी नहीं कहा, फिर तीसरे पार्ट की जब चर्चा हुई तो ये बातें बोलना और फिर शूटिंग शुरू होने से पहले फिल्म को छोड़ देना? अब इन सवालों के जवाब तो तभी मिल पाएंगे जब खुद परेश रावल दिल खोलकर सारी बातें शेयर करेंगे, लेकिन अगर बात एक डाई हार्ड बाबू भैया फैन रूप में सोची जाए तो महसूस जरूर होता है कि अगर परेश रावल पीछे हटे हैं, इसमें मेकर्स का भी हाथ हो सकता है।

दरअसल, ‘हेरा फेरी’ की सफलता और फैन फॉलोइंग को देखते हुए इसका दूसरा पार्ट ‘फिर हेरा फेरी’ बनी, जिसे साल 2006 में रिलीज किया गया, जिसमें राजू, श्याम और बाबू भैया की तिकड़ी को एक बार फिर से देखा गया था। राजू और श्याम के किरदार को पहले पार्ट से अमीर और बुद्धिमान दिखाया गया। लेकिन, इस फ्रेंचाइजी का फैन होने के नाते हमें लगता है कि बाबू भैया के साथ न्याय नहीं किया गया।

‘हेरा फेरी’ को तो लगभग सभी ने बहुत ही करीब से और कई बार देखा होगा। राजू (अक्षय कुमार), श्याम (सुनील शेट्टी) और बाबू भैया (परेश रावल), इन तीनों किरदारों से हम सभी साल 2000 में ‘हेरा फेरी’ में मिले थे। इसमें बाबू भैया की पूरी कहानी को दिखाया गया था, जिनके पास अपना घर और गैराज होता है या एक तरह से कह लें कि वह वो मालिक होते हैं, जो कर्जे में तो डूबा होता है मगर फिर भी उसके पास सब कुछ अपना है। वो इसमें एक गार्जियन की तरह लगते हैं, जो कि फिल्म का सेंटर होते हैं। बाबू भैया ही बेरोजगारी की आग में जल रहे राजू और श्याम को अपने घर में पनाह देते हैं। इसमें बाबू भैया की सोच होती है कि वो अपने पिता के कर्ज को खत्म करके भले एक ही दिन के लिए मगर घर के बाहर सिर ऊपर करके चौड़े में कुर्सी डालकर बैठना चाहते हैं। उनका किरदार काफी समझदार इंसान वाला लगता है, जिसमें इंसानियत होती है, इमोशन होते हैं। वो सब कुछ समझते हैं। बस आंखों से दिखाई कम देता है।

जब ‘हेरा फेरी’ आई थी तो उस समय इंटरनेट का कम ही इस्तेमाल हो पाता था। गिने-चुने लोगों के पास इंटरनेट होता था। मगर आज इंटरनेट सबके पास है। आज का समय मीम्स का है, जिसमें अगर सबसे ज्यादा मीम्स देखने के लिए मिले हैं तो वो बाबू भैया ही हैं। ऐसा कोई सर्वे नहीं कहता लेकिन, पिछले कुछ सालों में बने मीम्स को देखकर तो फीलिंग्स यही आती है। अब बाबू भैया का रोल उस समय राजू और श्याम से ज्यादा पॉपुलर क्यों था क्योंकि फिल्म के पहले पार्ट का आधार ही वही थे। उनकी हाजिरजवाबी और किसी भी सिचुएशन में चौकस रहना ही दिखाता है कि बाबू भैया का रोल कितना मजबूत था। वो जरूरत पड़ने पर राजू और श्याम को नसीहत भी देते हैं। लेकिन, उसूल के पक्के होते हैं। किराया लेना है तो लेना है अगर नहीं लेंगे तो वो खुद को मकान मालिक समझ लेंगे। बाबू भैया की डायलॉग डिलीवरी, स्टाइल और झन्नाटेदार थप्पड़ तो सभी को याद होगा। ये सारी चीजें उनके रोल को बेहद ही खास बनाती हैं।

इतना ही नहीं, ‘हेरा फेरी’ में जो ध्यान देने वाली बात है, वो ये है कि बाबू भैया ही वो शख्स होते हैं, जो सबसे पहले ‘बाजीगर’ जैसे हैट और मास्क वाला कॉस्ट्यूम पहनकर फिरौती लेने जाने का आईडिया देते हैं। वहीं, फिरौती लेने के लिए भी आगे बाबू भैया ही जाते हैं। फिरौती के लिए कॉल भी वही सुनते हैं। जब पुलिस और खड़ग सिंह रायता फैला देते हैं तो बाबू भैया ही होते हैं, जो समझदारी दिखाते हुए कहते हैं कि पैसा अभी बांट लेना चाहिए। पहले पार्ट में ऐसी ही बहुत सी चीजें होती हैं, जो परेश रावल यानी कि बाबू भैया के किरदार के साथ न्याय करती हैं और फिल्म के सेंटर प्वॉइंट पर लाकर खड़ा करती हैं। कुल मिलाकर देखें तो कहना गलत नहीं होगा कि ‘हेरा फेरी’ की कहानी उनके इर्द-गिर्द ही घूमती है।

लेकिन, ‘फिर हेरा फेरी’ में बना दिया ‘जोकर’

वहीं, जब ‘हेरा फेरी’ की फ्रैंचाइजी की फिल्म ‘फिर हेरा फेरी’ आई तो किसी के पास कुछ नहीं होता है। राजू पैसा आने के बाद भी मां को खो देता है। श्याम की लव स्टोरी का द एंड हो जाता है क्योंकि उनके लव इंटरेस्ट अनुराधा की एक एक्सीडेंट में जान चली जाती है। इसके साथ ही बाबू भैया के पास खोने के लिए कुछ था ही नहीं तो उन्होंने दूसरे पार्ट में अपना ‘दिमाग’ ही खो दिया, जो पहले पार्ट में समझदारी की बातें करता है वो दूसरे पार्ट में बेवकूफों वाले सवाल करने लगता है। सपनों में लग्जरी लाइफ के सपने देखने वाला ‘फिर हेरा फेरी’ में पूल में लोटे से नहाता है। राजू और श्याम के पास उनकी पुरानी संपत्ति नहीं थी। लेकिन, बाबू भैया के पास विरासत में मिला जरजर घर और गैराज तो था, जो कि बाबू भैया के पास होता ही नहीं है। इतना ही नहीं, सीक्रेट को सिगरेट सुनने वाले बाबू भैया का ह्यूमर तक गिराने की कोशिश की गई।

गौरतलब है कि ऑरिजनल ‘हेरा फेरी’ को डायरेक्टर प्रियदर्शन ने निर्देशित की थी। लेकिन, इसके सीक्वल का उन्होंने निर्देशन करने से इनकार कर दिया तो ये फिल्म नीरज वोरा की झोली में जा गिरी। आज नीरज वोरा हमारे बीच नहीं हैं। 2016 में हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक से 2017 में उनका निधन हो गया था। सभी डायरेक्टर्स का स्टोरी कहने का अपना अलग अंदाज होता है। नीरज वोरा के डायरेक्शन ने भले ही बाबू भैया के रोल को बेवकूफाना बना दिया हो लेकिन, वो खुद एक बेहतरीन एक्टर रह चुके थे। वो अपनी शानदार कॉमेडी के लिए जाने जाते रहे हैं। पर्दे पर उनके अभिनय को देखा गया है। नीरज वोरा ने 4 फिल्में डायरेक्ट की हैं। 2000 में नीरज ने ‘खिलाड़ी 420’ बनाई थी, इसके बाद फिल्म ‘फिर हेरा फेरी’ की थी। ‘रंगीला’ के राइटर भी वही थे। नीरज भले ही एक कॉमेडी एक्टर रहे लेकिन, फिल्मों को लेकर उनका टेस्ट रोमांटिक और एक्शन वाला जोनर रहा तो ऐसे में कैसे उम्मीद की जा सकती है कि ‘फिर हेरा फेरी’ में बाबू भैया के किरदार के साथ न्याय हो सकता है?

‘हेरा फेरी’ के मुकाबले ‘फिर हेरा फेरी’ में बाबू भैया के रोल में काफी हल्कापन देखने के लिए मिला। सिर्फ उनके ही किरदार में नहीं बल्कि सभी किरदार में कहीं ना कहीं कुछ ना कुछ कमी खली थी। ऐसे में अब जब परेश रावल ने ‘बाबू भैया’ के किरदार से खुद को आजाद करने का फैसला किया तो लोगों को चिंता हो गई कि आखिर क्यों छोड़ा? अक्षय कुमार ने फिल्म के राइट्स खरीदे थे तो उन्होंने 25 करोड़ का मुकदमा ठोक दिया। ऐसे में एक सच्चे फैन को तो ऐसा ही लगता है कि कहीं ना कहीं ‘बाबू भैया’ के किरदार का स्तर गिरा देना भी एक वजह फिल्म को छोड़ने की हो सकती है। जिस किरदार को दूसरे ही पार्ट में जोकर जैसा दिखा दिया गया था, तीसरे पार्ट में वो कहां तक चला जाता? देखिए फिल्म को छोड़ने की वजह कुछ भी हो सकती है, लेकिन फैन की मासूम सी ऑब्जर्वेशन आपके मन में भी एक सवाल तो लाएगी- क्या हमारे बाबू भैया के किरदार के साथ न्याय नहीं हुआ?

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