कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को आतंकी हमला हुआ, जिसमें आतंकवादियों ने वहां घूमने गए पर्यटकों से उनका धर्म पूछा और हिंदू बताने पर 26 लोगों को मार दिया। इस हमले के बाद से ही देश के लोगों में गुस्सा देखने को मिल रहा है। हर कोई सरकार से कड़ा एक्शन लेने की मांग कर रहा है। इसी बीच अब महेश भट्ट ने एक ऐसा किस्सा शेयर कर दिया है, जिसकी वजह से वह सुर्खियों में आ गए हैं। हाल ही में बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया है कि उनकी मां मुसलमान थीं और पिता हिंदू थे। इस इंटरव्यू में उन्होंने यह भी शेयर किया कि उनकी मां ने उन्हें बचपन में क्या सलाह दी थी।

डर लगे तो कहना ये बात: महेश भट्ट

इंटरव्यू में बात करते हुए जब महेश भट्ट से उनके बचपन के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा, “1948 में एक आजाद भारत में हमारा जन्म हुआ। हमारी वालिदा जो थीं, मां वो शिया मुसलमान और बाप हमारे नागर ब्राह्मण भट्ट फिल्ममेकर थे अपने वक्त के। हम शिवाजी पार्क, मुंबई का एक फेमस पार्क है, उसके बिल्कुल पास हमारा घर था। वहां हमारा जन्म हुआ। मां बचपन से ही नहलाती थी स्कूल भेजती थी, तो यह कहती थी कि बेटा तू एक नागर ब्राह्मण का बच्चा है। तेरा भार्गव गोत्र है, अश्विन साखा है। मगर अगर डर लगे तो ना तो या अली मदद बोल दिया कर।”

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डॉन बॉस्को में महेश भट्ट ने की पढ़ाई

इसके आगे उन्होंने कहा, “फिर हम डॉन बॉस्को में पले, वहां पढ़ाई की हमने। तो हम तो एक मिसाल थे उस वक्त के हिंदुस्तान की। एक तहजीब का हम एक गहना थे। कभी सोचा नहीं था हमने कि एक दौर ऐसा भी आएगा कि तहजीब हमारे जिस्म की, रोम-रोम की सच्चाई है, उसको एक घाव की तरह लेकर घूमना पड़ेगा। मगर मैं आज भी छाती ठोंककर कहता हूं कि ये बहुसंस्कृति ही हमारी पहचान है। अगर मैं किसी भी एक हिस्से से कट गया मेरे, तो आधा-अधूरा रह जाऊंगा। वो जो है उसकी गूंज कही पर आज भी रहती है।”

हम एक सच को छिपाते थे: महेश भट्ट

महेश भट्ट ने आगे कहा, “बहुत रिच था वो… मेरा बचपन। एक किस्म की बेचैनी थी, एक तकलीफ थी। एक घाव की तरह हम एक सच को छिपाते थे। हमारे वालिद साहब ने समाज की नजरों में हमारी वालिदा से ब्याह नहीं किया था। ये एक कलंक की तरह था, जिसको पूरा परिवार छिपाता था। मुझे समझ नहीं आता था कि ये क्या है। एक तरह तो सिखाया जाता है कि सच बोलो। हम बेबाकी से इस बात का जिक्र करते थे, तो घरवाले खफा होते थे कि घर की बातें बाहर नहीं किया करते, तो बाहर वालों को मैं अगल ही नहीं समझता था।”

डायरेक्टर बोले, “वो अगल मकान में रहते हैं, अगल घरों में रहते हैं। अगर हम एक-दूसरे को काटें तो खून ही निकलेगा ना। तो हम कहने के लिए अलग हैं, लेकिन हम एक जैसे हैं। तो ये सारी बातें साये की तरह मेरा पीछा करती रहती थीं। मैं पढ़ाई में इतना अच्छा नहीं था। क्लास में मैथ्स पढ़ाई जाती थी, तो समझ नहीं आता था कि ये क्या है। मैं सड़कों पर बाहर भागता था। स्ट्रीट लाइफ और वेंडर्स की लाइफ देखने में ज्यादा मन लगता था।”

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