Mahabharat: महाभारत में पांचों पांडव वनवास की ओर निकल पड़े हैं। जयद्रथ द्रौपदी को शादी करने का प्रस्ताव देता है लेकिन जब द्रौपदी उसके प्रस्ताव को मना कर देती है तो फिर वो सारी हदें पारकर उसका अपरहरण कर लेता है। ऐसे में पांडवों को इस बात की चिंता सता रही होती है कि द्रौपदी कहां गई है। युधिष्ठिर भाई भीम और अर्जुन से द्रौपदी को तलाशने के लिए कहते हैं भीम और अर्जुन द्रोपदी की तलाश कर लेते हैं। महाबली भीम और अर्जुन जयद्रथ की तलाश कर लेते हैं।

भीम, जयद्रथ को उसके कर्मों के लिए जमकर पीटते हैं। भीम का गुस्सा इतना बढ़ जाता है कि वो जयद्रथ को जान से मारने वाले ही होते हैं कि इतने में अर्जुन भीम को रोकते हुए कहते हैं कि आप इसका वध नही कर सकते हैं इसका फैसला भ्राता युधिष्ठिर को ही करने दें। युधिष्ठिर पांचाली से फैसला लेने के लिए कहते हैं। पांचाली ने जयद्रथ को दंड सुनाते हुए भीम से कहा कि आर्यपुत्र आप इस दुष्ट का सिर मोड़ दें। और इसे अपना दास बना लें जिसपर जयद्रथ युधिष्ठिर से मृत्यु की मांग करता है। आखिरकार जयद्रथ का सिर मोड़ कर 5 चोटियां छोड़ दी जाती हैं और उसे युधिष्ठिर का पैर दबाने का आदेश मिलता है। युधिष्ठिर जयद्रथ को उसके अपराधों से मुक्त करते हुए क्षमा कर देते हैं।

वहीं अर्जुन नृत्य में महारथ हासिल कर चुका है। इधर अप्सरा को भी अर्जुन खूब भाने लगे हैं। अप्सरा अर्जुन से कहती हैं कि तुम मेरा लक्ष्य हो और मैं तुम्हें पाने का प्रयत्न कर रही हूं। ऐसे में अर्जुन कहते हैं कि ये नहीं हो सकता। तभी अर्जुन अप्सरा उर्वशी को माता कहते हैं। जिसके चलते उर्वशी नाराज हो जाती है और कहती है कि तुमने मुझे माता कहा?

अर्जुन कहते हैं कि तुम मेरे लिए माता समान ही हो। उर्वशी गुस्से में आ जाती हैं और अर्जुन को श्राप देती है कि वह अब नपुंसक का जीवन व्यतीत करेगा। देवराज इन्द्र उर्वशी को समझाते हुए कहते हैं कि तुम किसी को ऐसा श्राप नही दे सकती अप्सरा होने के नाते क्रोध तुम्हें शोभा नही देता। जिसके बाद देवराज उर्वशी से कहते हैं कि तुम अपने श्राप की अवधि घटाकर 1 साल कर दो। देवराज इन्द्र की बातों से उर्वशी सहमत होती हैं। वहीं इन्द्र अर्जुन को बताते हैं कि तुम्हें पूरा जीवन नही बल्कि केवल एक वर्ष नपुंसकता का जीवन जीना होगा और ये वर्ष तुम खुद चुन सकते हो।

 

Live Blog

19:55 (IST)23 Apr 2020
जयद्रथ ने मांगा मृत्युदंड

पांचाली ने जयद्रथ को दंड सुनाते हुए भीम से कहा कि आर्यपुत्र आप इस दुष्ट का सिर मोड़ दें। और इसे अपना दास बना  लें जिसपर जयद्रथ युधिष्ठिर से मृत्यु की मांग करता है। आखिरकार जयद्रथ का सिर मोड़ कर 5 चोटियां छोड़ दी जाती हैं और उसे युधिष्ठिर का पैर दबाने का आदेश मिलता है। युधिष्ठिर जयद्रथ को उसके अपराधों से मुक्त करते हुए क्षमा कर देते हैं।

19:52 (IST)23 Apr 2020
भीम ने की जयद्रथ की पिटाई

महाबली भीम जयद्रथ को उसके कर्मों के लिए जमकर पीटते हैं। भीम का गुस्सा इतना बढ़ जाता है कि वो जयद्रथ को जान से मारने वाला ही होता है कि इतने में अर्जुन भीम को रोकते हुए कहते हैं कि आप इसका वध नही कर सकते हैं इसका फैसला भ्राता युधिष्ठिर को ही करन दें।

19:48 (IST)23 Apr 2020
जयद्रथ ने पांचाली को सुनाई खरी-खरी

द्रौपदी का जमाई जयद्रथ द्रौपदी को शादी करने का प्रस्ताव देता है लेकिन जब द्रौपदी उसका प्रस्ताव को मना कर देती है तो फिर वो सारी हदें पारकर उसका अपरहरण कर लेता है। ऐसे में पांडवों को इस बात की चिंता सता रही होती है कि द्रौपदी कहां गई है। युधिष्ठिर भाई भीम और अर्जुन से द्रौपदी को तलाशने के लिए कहते हैं भीम और अर्जुन द्रोपदी की तलाश कर लेते हैं।

19:44 (IST)23 Apr 2020
सुख या दुख का संबध राजभवन से नही होता

द्रौपदी अपने जमाई से कहती हैं कि उन्हें उनको लेकर चिंता करने की कोई जरूरत नही है वो राजभवन में भी सुखी थीं और वन में भी।

19:33 (IST)23 Apr 2020
अपने कानों को विरोध करने के लिए तैयार करो दुर्योधन

अंगराज कर्ण दुर्योधन से कहते हैं कि उसकी इज्जत करना सीखो जो तुम्हारे समक्ष तुम्हारी बुराई पेश करने की हिम्मत रखता हो क्योंकि ऐसा शख्स अपने दृष्टिकोण से सही कह रहा होता है। वहीं कर्ण दुर्योधन से कहते हैं कि उनके जीवन का केवल दो लक्ष्य है एक दुर्योधन की विजय और दूसरा अर्जुन की मृत्यु।

19:25 (IST)23 Apr 2020
भीष्म को हुई चिंता

भीष्म पिता को ये चिंता हो रही है कि अगर युद्ध हुआ तो उन्हें न चाहते हुए भी दुर्योधन का साथ देना होगा जोकि बिल्कुल अधर्म है। वहीं महामंत्री विदुर भीष्म से कहते हैं कि आप चाहकर भी ऐसा अन्याय नही कर सकते जिसपर भीष्म विदुर से कहते हैं कि वो अपनी माता और पिता को दिए हुए वचन से बंधे हैं। युद्ध में उनके शस्त्र तो दुर्योधन के साथ होंगे लेकिन उनका आशिर्वाद पांडवों के साथ होगा।

19:18 (IST)23 Apr 2020
अभिमन्यु को देख कृष्ण ने कहा बड़ी बात

अभिमन्यु को देख कृष्ण अपनी बहन सुभद्रा से कहते हैं कि ये पुत्र तुम्हारे नाम से नही बल्कि तुम इसके नाम से जानी जाओगी। ये महारथी जब युद्ध करेगा तो सब इसके कायल हो जाएंगे। सुभद्रा कृष्ण से पूछती है कि आप किस युद्ध की बात कर रहे हैं जिसपर कृष्ण कहते हैं कि तुम्हारा पुत्र ऐसा रण जीतेगा कि बड़े से बड़ा महारथी इसे प्रणाम करेंगे।

19:09 (IST)23 Apr 2020
इन्द्र ने उर्वशी को समझाया

देवराज इन्द्र उर्वशी को समझाते हुए कहते हैं कि तुम किसी को ऐसा श्राप नही दे सकती अप्सरा होने के नाते क्रोध तुम्हें शोभा नही देता। जिसके बाद देवराज उर्वशी से कहते हैं कि तुम अपने श्राप की अवधि घटाकर 1 साल कर दो। देवराज इन्द्र की बातों से उर्वशी सहमत होती हैं। वहीं इन्द्र अर्जुन को बताते हैं कि तुम्हें पूरा जीवन नही बल्कि केवल एक वर्ष नपुंसकता का जीवन जीना होगा और ये वर्ष तुम खुद चुन सकते हो।

18:42 (IST)23 Apr 2020
महाभारत 23 अप्रैल शाम का एपिसोड

अब तक आपने देखा कि कृष्ण की लीला अपरमपार है। द्रौपदी बर्तनों में देखती हैं तो खाने के लिए कुछ भी नहीं होता। ऐसे में वह पांडव और पांचाली परेशान हो जाते हैं। ऐसे में वह श्रीकृष्ण को याद करते हैं। तभी वहां श्रीकृष्ण प्रकट होते हैं। पांचाली से श्रीकृष्ण कहते हैं कि बड़ी भूख लग रही है कुछ खिलाओ। ऐसे में पांचाली अपनी परेशानी बताती हैं। इसके बाद श्रीकृष्ण पांडवों औऱ पांचाली की कठिनाई का हल करते हैं।

13:00 (IST)23 Apr 2020
अर्जुन को मिला 'नपुंसक' होने का श्राप

तभी अर्जुन अपसरा उर्वशी को माता कहते हैं। तभी उर्वशी कहती हैं कि तुमने मुझे माता कहा? अर्जुन कहते हैं कि तुम मेरे लिए माता समान ही हो। उर्वशी गुस्से में आ जाती हैं औऱ अर्जुन को श्राप देती हैं कि वह अब नपुंसक का जीवन जिएंगे।  

12:58 (IST)23 Apr 2020
भटका अपसरा उर्वशी का मन

अर्जुन नृत्य में भी महारथ हासिल कर लेते हैं। इधर अपसरा को अर्जुन खूब भाने लगे हैं। इंद्रदेव उर्वशी के पास आते हैं औऱ कहते हैं कि अपने मन की सुनो। ऐसे में अपसरा अर्जुन के पास पहुंचती हैं औऱ उनते साथ नृत्य करने लगती हैं। उर्वशी कहती है कि योद्धा की भुजाओं में नृत्यों का लोच। अगर तुम अपसरा होते तो उर्वशी और मेनका को पछाड़ देते। अपसरा अर्जुन से पूछती हैं कि क्या कभी मन भटका है आपका? अर्जुन कहते हैं कि मन तो भटकने के लिए ही होता है। ऐसे में अपसरा कहती हैं कि तुम मेरा लक्ष्य हो और मैं तुम्हें पाने का प्रयत्न कर रही हूं। ऐसे में अर्जुन कहते हैं कि ये नहीं हो सकता। 

12:49 (IST)23 Apr 2020
इंद्रलोक में नाच रहीं अपसराएं, कुंती पुत्र को देख हुई मोहित

इंद्रलोक में नाच रहीं अपसराएं, कुंती पुत्र को देख हुई मोहित: अर्जुन इंद्रदेव के पास पहुंचते हैं। इंद्र पूछते हैं कि अर्जुन तुम्हें सारे अस्त्र मिल गए? तभी अर्जुन कहते हैं हां मुझे सब मिल गए। अब धरती पर वापस जाता हूं। तभी इंद्रदेव कहते हैं अभी गांधर्व अस्त्र बाकी है। अर्जुन कहते हैं इसका मुझे क्या काम? देव इंद्र कहते हैं जरूरी है। अर्जुन कहते हैं ठीक है मैं अभी से ये शिक्षा ग्रहण करता हूं। अर्जुन नृत्य सीखना आरंभ करते हैं। अर्जनु को नृत्य करते देख अपसरा बहुत खुश होती हैं।

12:37 (IST)23 Apr 2020
भीम से फिर मिलीं हिडिंबा, राक्षस पुत्र भी आया सामने 

भीम से फिर मिलीं हिडिंबा, राक्षस पुत्र भी आया सामने :हिडिंबा अपने पुत्र से कहती है कि वह जाए औऱ माता को प्रसन्न करने के लिए एक बलि योग्य मानव ले आए। रास्ते में एक परिवार जा रहा होता है। तभी राक्षस आकर उन्हें परेशान करने लगता है औऱ कहता है कि वह उन्हें बलि के लिए ले जा रहा है। इस पर भीम वहां आ जाते हैं और उस परिवार की रक्षा करते हैं। वह राक्षस से कहते हैं कि मुझे ले चलो। जब भीम राक्षस की कुटिया में पहुंचते हैं तो हिडिंबा को देखते हैं। वह बताती हैं कि ये भीम पुत्र है। ऐसे में भीम क्रोधित हो जाते हैं औऱ कहते हैं कि बलि लेने का अधिकार तुम्हें किसने दिया? क्या तुम्हारी माता ने स्वंय आके कहा तुम्हें । ऐसा है तो लो बलि मेरी। हिडिंबा कहती हैं कि नहीं आप तो मेरे स्वामी हैं। भीम कहते है ऐसा कैसे? मुझे लाया इसलिए गया है तो लो बलि क्यों बदल लिया मन क्योंकि मैं तुम्हारा पति हूं इसलिए? इसके बाद हिड़िबा माफी मांगती है।

12:27 (IST)23 Apr 2020
भीम के सामने प्रकट हुए हनुमान

भीम के सामने प्रकट हुए हनुमान: भीम जंगल से गुजर रहे थे। तभी उन्हें एक बूढ़ा वानर दिखाई देता है वह उनके रास्ते में लेटा होता है। भीम कहते हैं आप मेरे रास्ते से हटिए। लेकिन वह नहीं हटते। भीम वानर की पूंछ हटाने की कोशिश में जुट जाते हैं। लेकिन वह हार जाते हैं। अंत में भीम वानर के आगे हाथ जोड़कर खड़े हो जाते हैं। बाद में वह कहते हैं क्या आप पवन पुत्र हनुमान हैं। हनुमान जी अपने असल रूप में आ जाते हैं । वह कहते हैं कि भीम तुम्हें शिक्षा देनी थी तभी मैं यहां आया। कि जो दिखता है वह होता नहीं।

12:17 (IST)23 Apr 2020
ऋषि मुनियों को खिलाने के लिए कुछ नहीं, श्रीकृष्ण ने हल की पांचाली की परेशानी..

पांचाली बर्तनों में देखती हैं तो खाने के लिए कुछ भी नहीं होता। ऐसे में वह पांडव और पांचाली परेशान हो जाते हैं। ऐसे में वह श्रीकृष्ण को याद करते हैं। तभी वहां श्रीकृष्ण प्रकट होते हैं। पांचाली से श्रीकृष्ण कहते हैं कि बड़ी भूख लग रही है कुछ खिलाओ। ऐसे में पांचाली अपनी परेशानी बताती हैं। इसके बाद श्रीकृष्ण पांडवों औऱ पांचाली की कठिनाई का हल करते हैं 

12:17 (IST)23 Apr 2020
पांडवों से मिलने आए ऋषि दुर्वासा

पांडवों से मिलने आए ऋषि दुर्वासा: 5 से 6 ऋषियों के साथ पांडवों से मिलने के लिए ऋषि दुर्वासा आते हैं। दुर्योधन ने उन्हें सोच समझ कर पांडवों के घर भेज दिया होता है। ऐसे में ऋषि मुनी आदेश देते हैं कि वह उनके यहां से भोजन करके ही जाएंगे। युधिष्ठर बाकी भाइयों के साथ कुटिया में आते हैं औऱ पटरानी पांचाली को बताते हैं कि ऋषि दुर्वासा आए हैं वहभोजन करना चाहते हैं।