लेजेंड गीतकार जावेद अख्तर ने हिंदी सिनेमा को एक से बढ़कर एक गाने दिए हैं। उनके लिखे हुए गीत लोग खूब सराहते हैं, उनमें कभी झूमते हैं तो कभी गाते हैं। लेकिन एक गाना जावेद अख्तर ने लिखा था जिसे काफी क्रिटिसिजम झेलना पड़ा था। दरअसल, इस गाने में लिरिक्स कम और गिनती ज्यादा था। गाना माधुरी दीक्षित पर फिल्माया गया था। गाने का नाम था- एक दो तीन। हालांकि ये गाना माधुरी दीक्षित के करियर का सुपरहिट गाना साबित हुआ। इस गाने ने फिल्म तेजाब को औऱ सक्सेस दिलाई थी।

जावेद अख्तर बताते हैं कि इस गाने को लेकर उन्हें काफी आलोचनाएं झेलनी पड़ी थीं। ऐसे में वह एक जगह कविता का पाठ करने गए थे, वहां पीछे ऑडियंस में बैठे कुछ लोगों ने उनके गाने का उनके ही सामने मजाक उड़ाया था। उस किस्से को याद करते हुए लिट्रेचर फेस्टिवल में उन्होंने बताया था-‘ हर गाना लिखने की एक सिचुएशन होती है, जैसे एक दो तीन चार, जिसमें मुझे बहुत क्रिटिसाइज किया गया था। आप कैसे ऐसा गाना लिख सकते हो? एक नौटंकी में मोहिनी नाम की एक लड़की है जो काम करती है। उस नौटंकी में वो डांस कर रही है औऱ गा रही है।’

जावेद अख्तर ने कहा- ‘अब अगर नौटंकी के गाने में मैं कोई गालिब की गजल लिख दूंगा, तो जरा ठीक नहीं लगेगा। उस सिचुएशन पर वो लाइट सॉन्ग होना चाहिए। वो लाइट सॉन्ग भी मीनिंगलेस नहीं है। हमारे यहां एक ट्रेडीशन है- बारामासा। इसमें एक बिरहन है जिसका प्रेमी परदेस गया है और कब से नहीं लौटा है। वो बिरहन उसे याद कर रही है, तो वह ये गाने में बताती है कि वह कैसा महसूस कर रही है अपने प्रेमी के बगैर, ये है बारामासा। मैंने उस बारामासा को कॉम्पैक करके एक महीने में डाल दिया।’

‘उन्होंने आगे बताया-‘कई कॉन्फ्रेंस में मुझे पीछे से आवाजें आती हैं, एक बार मैं पोइट्री सुनाने खड़ा हुआ था मंच पर। तभी पीछे से आवाज आई- अरे वो सुनाई, एक दो तीन चार। तो मैंने भी कहा जी ठीक वही सुनाता हूं सबसे पहले और अगर खराब लगे तो उठ लीजिएगा। फिर मैंने सुनाया। बारामासा मैंने आपको बताया सुनिए- ‘एक दो तीन, चार पांच छ, सात आठ नौ, दस ग्यारह, बारह तेरह, तेरा करूं दिन गिन गिन के इंतजार, आजा पिया आई बहार।’

उन्होंने आगे कविता सुनाई- ’14 को तेरा संदेसा आया, 15 को आउंगा ये कहलाया, 14 को आया न 15 को तू, तड़पाके मुझको तूने क्या पाया? 16 को भी 16 किए थे श्रृंगार, आजा पिया आई बहार। 17 को समझी संग टूट गया, 18 को दिल टूट गया, रो रो गुजारा मैंने सारा 19, 20 को दिल के टुकड़े हुए 20, फिर भी नहीं दिल से गया तेरा प्यार, आजा पिया आई बहार। 21 बीती 22 गई, 23 गुजरी 24 गई। 25-26 ने मारा मुझे बिरहा की चक्की में मैं पिस गई। दिन बस महीने के हैं और 4 आजा पिया आई बहार।’ इसे मंच पर बोलने के बाद जावेद अख्तर ने कहा- ‘कोई खराबी है इसमें?’