फिल्म -: लाइट्स कैमरा लाइज़
राइटर-डायरेक्टर -: दिनेश सुदर्शन सोई
ओटीटी प्लेटफॉर्म -: अमेज़न प्राइम वीडियो
रिलीज की तारीख -: 1 जुलाई 2025
कलाकार -: दिनेश सुदर्शन सोई आचार्य लाला शर्मा, आचिन्त्य राजावत
रेटिंग- 3/5
काम के बदले फेवर मांगने का मुद्दा एक गंभीर विषय रहा है। इस समस्या से आज तक निजात नहीं पाया जा सका है। सिनेमा जगत में तो अक्सर ही इस मुद्दे पर चर्चा होती है। न्यूकमर्स इस समस्या का ज्यादा सामना करते हैं। इसमें कुछ कॉम्प्रोमाइज कर लेते हैं तो कुछ अपने सपने को जीना छोड़ देते हैं। कॉम्प्रोमाइज ऐसा शब्द है, जो इंसान के ना केवल सपने तोड़ता है बल्कि ये उसको भी अंदर तक झकझोरकर रख देता है, जिसके बाद इंडस्ट्री के किसी भी इंसान पर शिकार हुआ व्यक्ति यकीन नहीं करता है। ऐसे में आज आपको ओटीटी प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध ऐसी ही फिल्म के बारे में बता रहे हैं, जो फेवर मांगने वाले के मुंह पर तमाचा मारती है और इंडस्ट्री के काले सच से रूबरू कराती है।
ओटीटी प्लेटफॉर्म पर आज आपको एंटरटेनमेंट की काफी वैराइटी मिल जाएगी। इस पर ढेरों जॉनर की फिल्में देखने के लिए मिल जाएंगी। यहां तक कि ओटीटी पर शॉर्ट और गंभीर मुद्दों पर बनी फिल्म डॉक्यूमेंट्री तक को जगह दी जाती है। ऐसे में ओटीटी प्लेटफॉर्म अमेजन प्राइम वीडियो पर शॉर्ट फिल्म ‘लाइट्स, कैमरा और लाइज’ रिलीज हुई है, जो मीडिया इंडस्ट्री के काले सच के बारे में बताती है। सिनेमा जगत में तो हर कोई जानता है कि कास्टिंग काउच और कॉम्प्रोमाइज होता है लेकिन, ये सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है बल्कि हर इंडस्ट्री में फेवर मांगा जाता है। लड़कियों का शोषण किया जाता है। इस सच का खुलासा शॉर्ट फिल्म ‘लाइट्स, कैमरा और लाइज’ करती है। चलिए बताते हैं इसके बारे में।
दिनेश सुदर्शन सोई द्वारा निर्देशित और निर्मित फिल्म ‘लाइट्स, कैमरा, लाइज’ में मुख्य भूमिका में आचिन्त्य राजावत हैं। इस फिल्म का टॉपिक शानदार है। कहानी तीन लड़कियों की है, जो अपना करियर बनाने के लिए मेहनत करती हैं लेकिन, उनके साथ एक सीनियर छेड़छाड़ करता है। टॉर्चर करता है। उनसे फेवर मांगा जाता है। आचिन्त्य राजावत ने आदी का रोल प्ले किया है, जो लड़कियों के लिए लड़ते हैं। 25 मिनट की इस शॉर्ट फिल्म ने फेवर मांगने वालों पर जोरदार प्रहार किया है। एक ऐसे सच से रूबरू कराती है, जिससे न्यूकमर्स कहीं ना कहीं जूझ रहे हैं।
फिल्म में क्या है?
वहीं, बात की जाए कि फिल्म में क्या है। तो इसमें एक्शन और इमोशन भरपूर है। आचिन्त्य राजावत का प्रदर्शन कमाल का होता है। आदी के किरदार में वो खूब जंचते हैं। लंबी कद-काठी के होने की वजह से उनका पर्सनैलिटी भी में इसमें खूब जंचती है। उनकी शारीरिक दक्षता और सूक्ष्म भावनात्मक अभिनय का संतुलन उन्हें समकालीन भारतीय सिनेमा के सबसे आशाजनक कलाकारों में स्थापित करता है। इसके साथ ही उनके साथ करिश्मा शर्मा, यजुर मरवाह, वरुण कस्तूरिया, श्रुतिका गोककर, प्रियंका मिश्रा और नेहा छाबड़िया जैसे एक्टर्स सपोर्टिंग कलाकारों के रूप में काम कर रहे हैं। इस कहानी में गहराई और भावनात्मक परतें जुड़ी हैं।
कम समय की फिल्मों में ज्यादा बातें कह देना बड़ा मुश्किल काम होता है। उसमें एक्शन के साथ ही कहानी में इमोशन और गंभीर मुद्दे को दिखाना अपने आपमें बड़ा मुश्किल काम है। किसी कहानी को कहने में सिर्फ डायरेक्टर और एक्टर्स का ही हाथ नहीं बल्कि सिनेमैटोग्राफर का भी होता है। सिनेमेटोग्राफर विकास के शर्मा द्वारा किया गया है। उन्होंने हर सीन पर बारीकी से काम किया है। सिनेमेटोग्राफर फिल्म निर्माण का अहम हिस्सा होता है। वहीं, एक्शन कोरियोग्राफी मास्टर हरपाल सिंह पाली ने की है।
फाइनल वर्डिक्ट
‘लाइट्स, कैमरा, लाइज़’ एक ऐसी शॉर्ट फिल्म है जो समाज के एक गंभीर मुद्दे पर जोर देती है। ये आपको सतर्क करती है कि करियर में कैसे कैसे रोड़े आते हैं। ऐसे गंभीर मुद्दों पर कम ही फिल्में बनती हैं, जो आपको आप पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रेरित करते हैं। ऐसे में ओटीटी पर आपके लिए ये फिल्म एक अच्छा विकल्प हो सकती है। यह फिल्म अब अमेज़न प्राइम और शॉर्ट्स टीवी नेटवर्क पर आधिकारिक रूप से स्ट्रीमिंग के लिए उपलब्ध है।