कवि कुमार विश्वास (Kumar Vishwas) आज की गिनती जाने माने कवियों में होती है। गाजियाबाद के पिलखुवा गांव से नाता रखने वाले कुमार विश्वास को हिन्दी जगत में उनके दिलकश कविताओं के लिए जाना जाता है। कविराज डॉ. कुमार विश्वास ना सिर्फ कविताओं के लिये बल्कि राजनीति पर अपनी बेबाक टिप्पणियों की वजह से भी चर्चा में रहते हैं। कुमार विश्वास आज अपना 52वां जन्मदिन मना रहे हैं। कवि ने सिर्फ भारत में बल्कि दुनियाभर में हिन्दी साहित्य का नाम बढ़ाया है और इन्हीं कविताओं के जरिए कविराज ने अपने प्रेम की शुरूआत की थी। विश्वास की लव स्टोरी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। आज कुमार विश्वास के जन्मदिन के मौके पर हम आपको उनकी लव स्टोरी के बारे में बताने जा रहे हैं।

टीचर को दिल दे बैठे थे कुमार विश्वास

रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुमार विश्वास के पिता चाहते थे कि वह इंजीनियरिंग (B.Tech) की पढ़ाई करके जीवन में आगे बढ़े। क्योंकि कवि के पिता को पसंद नहीं था कि वह एक कवि बनें। लेकिन कुमार विश्वास ने 1994 में अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई छोड़ राजस्थान के एक कॉलेज में हिंदी प्रोफेसर के रुप में नौकरी शुरु कर दी थी। जहां उनकी मुलाकात मंजू शर्मा से हुई। विश्वास ने मंजू के लिए कविताएं लिखने की शुरुआत की। यह कविताएं श्रृंगार रस से जुड़ी होती थीं। इन्हीं कविताओं ने मंजू को और प्रभावित किया। इसके बाद दोनों ने शादी का फैसला किया। दोनों कब एक दूसरे को दिल दे बैठे उनको खुद इस बात का अंदाजा नहीं लगा। धीरे-धीरे दोनों का प्यार परवान चढ़ा। लेकिन दोनों की जाति अलग-अलग होने की उन्होंने बिना किसी को बताए मंदिर से शादी कर ली।

पिता ने घर से निकाला

जब कुमार विश्वास ने अपनी शादी की शादी के बाद दोनों ने अपने घर वालों को सूचना दी, दोनों परिवारों में इस शादी का विरोध हुआ। कुमार विश्वास और उनकी पत्नी को घरवालों ने अपनाने से मना कर दिया। कुमार विश्वास ने लगभग 2 साल अपने घरवालों को मनाने की भी कोशिश की थी, लेकिन उन्हें घर में एंट्री नहीं मिली। तकरीबन दो साल तक कुमार के बड़े भाई और बहन पिता को समझाते रहे, जिसके बाद कुमार विश्वास की बड़ी बेटी के पैदा होने से पहले उनको और उनकी पत्नी को घर में एंट्री मिली।

कवि बनने के लिए इनको मानते हैं प्रेरणा

बता दें कि कुमार विश्वास अपने कवि बनने के पीछे 4 महिलाओं का बड़ा योगदान मानते हैं, उनकी मां जिन्होंने उन्हें गाने का सलीका सिखाया, बड़ी बहन जिन्होंने यह नाम दिया, लवर जो कविता लिखने की प्रेरणा थीं और पत्नी जिन्होंने उन्हें कवि बनने के लिए हिम्मत दी।