Shahrukh Khan, Karan Johar: सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) की मौत के बाद से ही बॉलीवुड में भाई-भतीजावाद और बाहरी-बनाम भीतरी की बहस तेज हो गई है। इसी बीच वरिष्ठ पत्रकार शेखर गुप्ता ने बॉलीवुड की स्याह परतों पर विस्तार से प्रकाश डाला है। उन्होंने अपने कॉलम ‘नेशनल इंट्रेस्ट’ में अपने अनुभवों के आधार पर तमाम चीजों का जिक्र किया है और बताया है कि बॉलीवुड में किस हद तक खेमेबाजी है और अवार्ड के लिए सेलिब्रिटीज किस हद तक जा सकते हैं।

बकौल शेखर गुप्ता, साल 2010 में आई शाहरुख की फिल्म ‘माई नेम इज खान’ काफी चर्चित रही थी। हालांकि साल 2011 के स्क्रीन अवार्ड में इस फिल्म को किसी कैटेगरी में अवार्ड के लिए नहीं चुना गया। शेखर गुप्ता भी इस अवार्ड समारोह से जुड़े थे। उन्होंने लिखा, सारी तैयारियां कर ली गई थीं। जूरी भी अपने फैसले लेकर तैयार थी कि किस-किस को अवॉर्ड देना है। अभिनेता अमोल पालेकर जूरी के हेड थे।

हालांकि जब लिस्ट सामने आई तो करण जौहर की फिल्म ‘माय नेम इज खान’ का नाम इसमें शामिल नहीं था। यह देख कर करण जौहर बुरी तरह से भड़क गए थे। उन्होंने कहा कि आखिर जूरी ने अनुराग कश्यप की मामूली फिल्म उड़ान को चुनने की हिम्मत कैसे की? करण ने कहा कि अगर उन्होंने फंक्शन में उनके फिल्म के नाम की चर्चा नहीं की तो वह (करण) और शाहरुख उनके फंक्शन को बॉयकॉट करेंगे।

पिता की इज्जत नहीं की तो अवार्ड कैसे लूं? : शेखर गुप्ता ने एक और किस्सा शेयर किया है। उन्होंने लिखा कि साल 2007 में ऋतिक रोशन को फिल्म कृष के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का अवार्ड मिलना था। उनसे मंच पर प्रोग्राम प्रस्तुत करने का भी कांट्रेक्ट था। हालांकि ऐन मौके पर ऋतिक ने अवार्ड लेने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि वे प्रोग्राम तो देंगे, लेकिन पुरस्कार नहीं लेंगे।

ऋतिक ने इसकी वजह बताते हुए कहा, जिस जूरी ने उनके पिता को इज्जत नहीं दी, जो उस फिल्म के निर्देशक थे, उसका अवार्ड कैसे ले सकते हैं। हालांकि बाद में ऋतिक मान गए और अवार्ड लिया। लेकिन अवार्ड समारोह के बाद हुई पार्टी का बायकॉट किया।