अनन्या पांडेय की उम्मीद
बॉलीवुड में हर दौर में गॉडफादर रहे हैं, जो नए सितारों का मार्गदर्शन करते हैं। उन्हें अपनी फिल्मों में काम देते हैं। उनसे तीन फिल्मों का अनुबंध करते हैं। इस तरह से वे फिल्मजगत को नया हीरो या हीरोइन सौंप देते हैं। जैसे कभी सुभाष घई किया करते थे। उन्होंने उभरती हुई अभिनेत्री माधुरी दीक्षित को अपनी फिल्मों में मौका दिया। मनीषा कोइराला, मीनाक्षी शेषाद्रि से लेकर महिमा चौधरी तक को सुभाष घई का गॉडफादर कहा जाता रहा है। आजकल यह काम करण जौहर कर रहे हैं।
करण जौहर ने फिल्मजगत को नए निर्देशक और कलाकार दिए। आलिया भट्ट, वरुण धवन, जान्हवी कपूर जैसे कलाकारों के बाद करण जौहर की पाठशाला से निकली हैं अनन्या पांडे। अनन्या चंकी पांडे की बेटी हैं। 2019 में जौहर की ‘स्टूडेंट आॅफ द इयर 2’ से फिल्मों में उतरी अनन्या ने ‘पति पत्नी और वो’, ‘अंग्रेजी मीडियम’ और ‘खाली पीली’ में काम किया। मगर इन तीनों ही फिल्मों ने अनन्या के करिअर को कोई फायदा नहीं पहुंचाया। इससे पहले कि फिल्म इंडस्ट्री में अनन्या हाशिए पर फेंक दी जाएं, करण जौहर उनकी मदद करने के लिए फिर आगे आ गए। इस समय अनन्या के हाथ में दो बड़ी फिल्में हैं और दोनों ही करण जौहर की हैं। एक है ‘लाइगर’ और दूसरी शकुन बत्रा के निर्देशन में बन रही है। हो सकता है कि इनमें से कोई चल जाए और अनन्या के करिअर में चमत्कार हो जाए।
अर्जुन रामपाल का मुकाम
इस फिल्म इंडस्ट्री में 20 साल तक खुद को टिकाए रखना आसान काम नहीं है और वह भी ऐसी सूरत में जब न आप किसी कैम्प से जुड़े हैं न कोई आपका गॉडफादर है। अर्जुन रामपाल बीते 20 सालों से चल रहे हैं। न वे चोटी के सितारों में गिने गए, न हाशिए पर डाले गए। 2001 में उन्हें राजीव राय ने अपनी फिल्म ‘प्यार इश्क और मोहब्बत’ से परदे पर उतारा था। राजीव राय आमतौर पर अपराध की दुनिया को अपनी फिल्मों में दिखाते रहे हैं।
1997 में उन पर जानलेवा हमला हुआ और उसके बाद राजीव राय ने देश छोड़ दिया था। इसके बाद उन्होंने ‘प्यार इश्क और मोहब्बत’ बनाई थी। बाद में उन्होंने ‘असंभव’ में भी अर्जुन को मौका दिया। ‘गुप्त’, ‘मोहरा’,‘त्रिदेव’ ‘विश्वात्मा’ बनाने वाले धाकड़ निर्माता राजीव राय बॉलीवुड से चाहे गायब हो गए, मगर अर्जुन रमपाल 20 साल बाद भी टिके हैं। रामपाल को पहली सफलता मिली ‘आंखें’ में जिसमें वह अमिताभ बच्चन और अक्षय कुमार के साथ थे। ‘ओम शांति ओम’, ‘रॉक आॅन’, ‘डॉन’, ‘हाउसफुल’, ‘रा.वन’ जैसी फिल्मों के दम पर अर्जुन का फिल्मी सफर चलता रहा और उन्होंने दो दशक पूरे कर लिए। इस समय भी अर्जुन के पास चार फिल्में- ‘धाकड़’, ‘हरि हर वीरा मल्लू’ (पवन कल्याण की चार भाषाओं में बन रही फिल्म), ‘द बैटल आॅफ भीमा कोरेगांव’ और ‘नास्तिक’-हैं।
आदित्य की पृथ्वीराज
आमतौर पर ऐसा हुआ नहीं है कि बॉलीवुड में दीपावली पर किसी ऐसे निर्देशक की फिल्म रिलीज हो, जो मुख्यधारा के की हिंदी फिल्मों का निर्देशक नहीं माना गया हो। इस साल अगर दीपावली पर सिनेमाघरों में फिल्में रिलीज होने की स्थिति बनती है तो दर्शकों को चंद्रप्रकाश द्विवेदी की फिल्म ‘पृथ्वीराज’ देखने को मिलेगी, जिसके निर्माता आदित्य चोपड़ा हैं। चंद्रप्रकाश द्विवेदी को दर्शक दूरदर्शन के धारावाहिक ‘चाणक्य’ (1991) में मुख्य भूमिका निभाते देख चुके हैं। इसके बाद द्विवेदी ने ‘मृत्युंजय’ तथा ‘एक और महाभारत’ जैसे धारावाहिक किए। बॉलीवुड में उन्होंने 2003 में बतौर निर्देशक ‘पिंजर’ बनाई, जिसमें उर्मिला मातोंडकर ने अपनी ‘रंगीला’ छाप ग्लैमरस छवि के विपरीत भूमिका निभाई थी। विभाजन की पृष्ठभूमि पर अमृता प्रीतम के लिखे उपन्यास पर यह फिल्म बनी थी। अब 18 साल बाद द्विवेदी अपनी फिल्म ‘पृथ्वीराज’ के साथ बॉलीवुड की दीवाली मनाने के लिए तैयार हैं।