फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ तमाम विवादों में घिरने के बाद भी बॉक्स ऑफिस पर अच्छी कमाई कर रही है। फिल्म ने 200 करोड़ से अधिक की कमाई कर ली है। वहीं इस मूवी को ट्रेलर रिलीज बाद जगह-जगह बैन करने की मांग उठी। बंगाल और तमिलनाडु में इस मूवी की रिलीज पर रोक तक लगा दी गई। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस बैन को हटा दिया। वहीं, इस मुद्दे पर कई हस्तियों ने अपनी राय रखी, लोगों ने इसे प्रोपेगेंडा का हवाला देकर इसका विरोध किया था।
फिल्म जगत से भी इस मूवी पर अलग-अलग रिस्पॉन्स मिला। अब हाल ही में फिल्म को लेकर साउथ सुपर स्टार कमल हासन की भी प्रतिक्रिया सामने आई थी। उन्होंने भी फिल्म को प्रोपेगेंडा बताया। उन्होंने फिल्म की कहनी को लेकर सवाल खड़े किए थे और कहा था कि ‘सच्ची कहानी’ लिख देना ही काफी नहीं। इस मूवी की कहानी सच नहीं है। अब कमल हासन के रिएक्शन पर डायरेक्टर सुदीप्तो सेन की प्रतिक्रिया सामने आई है।
कमल हासन ने क्या कहा था
दरअसल कमल हासन ने आबू धाबी मीडिया से बात करते हुए कहा था कि मैं प्रोपेगेंडा के खिलाफ हूं। लोगो के तौर पर फिल्म में नीचे सिर्फ सच्ची कहानी लिख देना काफी नहीं है। उसे सच भी होना होगा और ये फिल्म बिल्कुल सच नहीं।’
सुदीप्तो सेन ने दी अपनी प्रतिक्रिया
सुदीप्तो सेन ने हील ही में ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ से एक्सक्लूसिव बात करते हुए कहा कि ‘मैं इस तरह के बयानों पर रिएक्ट नहीं करता हूं, पहले मैं समझाने की कोशिश करता था लेकिन अब, मैं ऐसा नहीं करता क्योंकि जो लोग इसे देखने के बाद इसे प्रोपेगेंडा फिल्म कहते हैं। ये उनके लिए अच्छी बात है। जिन लोगों ने फिल्म को नहीं देखा वो इसकी आलोचना कर रहे हैं। जैसे इसे पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में रिलीज नहीं किया गया। इन लोगों ने फिल्म नहीं देखी इसलिए उन्हें लगता है कि यह प्रोपेगेंडा है। हमारे देश में बहुत ही मूर्खतापूर्ण स्टीरियोटाइप्स हैं। उनके हिसाब से जीवन को काला या सफेद होना चाहिए, वो नहीं जानते कि और भी रंग मौजूद है।’
अगर बीजेपी फिल्म को पसंद कर रही है तो फिल्म उनकी नहीं- सुदीप्तो
सुदीप्तो सेन ने आगे कहा कि ‘अगर बीजेपी फिल्म को पसंद कर रही है, तो इसका यह बिल्कुल मतलब नहीं है कि यह उनकी फिल्म है। बीजेपी ही नहीं, कांग्रेस सहित अन्य राजनीतिक पार्टियां और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 37 देशों में लोग इसे पसंद कर रहे हैं। अगर वो इसकी आलोचना भी करते हैं तो वो मुझे फोन कर इस पर चर्चा कर रहे हैं। मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। एक शख्स बिना देखे इस फिल्म पर अपनी राय बना रहा है और इसे प्रोपेगैंडा फिल्म बता रहा है। इसे हिप्पोक्रेसी नहीं तो और क्या कहेंगे। इसके अलावा और क्या शब्द होंगे।’