मुंबई में एक समाचार पत्र के लिए क्राइम की रिपोर्टिंग करने वाले रिपोर्टर ने 14 अप्रैल 1993 को बड़ी खबर का खुलासा किया था। खबर थी कि फिल्म अभिनेता संजय दत्त के पास एके-56 रायफल थी। पांच दिन बाद अभिनेता संजय दत्त को देश में लौटते ही गिरफ्तार कर लिया गया था। संजय दत्त उस वक्त देश से बाहर मॉरीशस में शूटिंग कर रहे थे।
टाडा में गिरफ्तार हुए थे संजय: संजय दत्त को गिरफ्तार करने के बाद उनके ऊपर आतंकवादी होने और आपराधिक षडयंत्र रचने का आरोप लगाते हुए टाडा के तहत मामला दर्ज किया गया था। उन पर दूसरे आतंकवादियों की मदद और संरक्षण का आरोप भी लगाया गया था। कई सालों तक चले अदालती मुकदमों के बाद संजय दत्त ने नवंबर 2006 में राहत की सांस ली। टाडा कोर्ट ने उनके खिलाफ आतंकवादी होने के आरोप खारिज कर दिए। कोर्ट ने माना कि संजय दत्त ने एके-56 रायफल को आत्मरक्षा के लिए अपने पास रखा था। हालांकि उन्हें आर्म्स एक्ट के तहत दोषी माना गया और छह साल तक जेल में रहने की सजा भी सुनाई गई।
पैसे कमाने का जरिया है फिल्म: संजय दत्त के जीवन का ये अध्याय राजकुमार हिरानी की हाल ही में रिलीज फिल्म संजू में दिखाया गया है। लेकिन बलजीत परमार ने संजू को न देखने का फैसला किया है और वह अपने फैसले पर अडिग भी हैं। बलजीत इस फिल्म को सिर्फ पैसे कमाने का जरिया भर मानते हैं।
तथ्यों को धुंधला करती है बायोपिक: अपने फेसबुक पोस्ट में उन्होंने लिखा है,” ये कथित बायोपिक उन आदमी या औरतों के हिसाब से बनाई जाती हैं, जिन पर वह आधारित होती हैं। ये दर्शकों को प्रेरणा देने के लिए नहीं होती हैं। लेकिन ये उनके दिमाग में तथ्यों को धुंधला जरूर कर देती है। ड्रग्स का इस्तेमाल या दुरुपयोग, औरतों के साथ सोना, ब्रांडिंग करने वाली मीडिया ये सब मिलकर बहुत गहरा असर दर्शक के दिलो—दिमाग पर डालते हैं।”
अपने फैसले पर अफसोस नहीं: बलराज परमार ने आगे लिखा है,”हम जाने या अनजाने में समाज और सिस्टम की विफलताएं ढूंढने में लग जाते हैं। लेकिन हम ये भूल जाते हैं कि ये सब मिलकर भी आपकी उन आपराधिक गतिविधियों को हल्का नहीं कर सकती है, जिनमें आप अपनी पिछली जिंदगी में लिप्त थे। ये आपके पिछले अपराधों के लिए माफी नहीं दिलवा सकती है। आप सहानुभूति कार्ड या पीड़ित होने का कार्ड खेल रहे हैं, यही बात संजू के बारे में भी है। मुझे संजू देखने के लिए सिनेमाहॉल से दूर रहने के अपने फैसले पर कोई अफसोस नहीं है।”
ऐसे मिला था सुराग: पत्रकार बलजीत परमार ने इस बात का खुलासा भी किया था कि कैसे उन्हें सुराग मिला था कि संजय दत्त का नाम 1993 के मुंबई में सिलसिलेवार बम धमाकों से हटाने की कोशिश हो रही थी। बलजीत का सूत्र एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी थे। वह संजय दत्त के नाम के बारे में सिर्फ इतना ही बताने को तैयार थे कि वह ‘एमपी का बेटा’ है। हालांकि परमार को शक था कि सवालों के घेरे में आने वाला एमपी सुनील दत्त ही है। मामले की जांच में जुटे हर वरिष्ठ अधिकारी ने अपने होंठ सिल रखे थे, कोई भी कुछ भी बोलने के लिए तैयार नहीं था।
जब आईपीएस ने किया कंफर्म: अपनी आखिरी कोशिश करते हुए परमार ने ब्लफ कार्ड खेला। उन्होंने माहिम के एक आईपीएस अधिकारी को फोन किया,”सुना है, आपने किसी एमपी के बेटे को उठाया है।” इस पर आईपीएस के मुंह से निकल गया,’नहीं, हमने नहीं उठाया है क्योंकि वह विदेश में शूटिंग कर रहा है।’ यहीं से मुझे मेरी बड़ी खबर मिल गई कि वह संजय दत्त ही था।”