सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त को दिल्ली-एनसीआर से सभी आवारा कुत्तों को हटाने के आदेश दिए हैं। कुत्तों के हमलों की बढ़ती घटनाओं और रेबीज से होने वाली मौतों की चिंताजनक संख्या को देखते हुए, सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों को इन जानवरों को शेल्टर होम में रखने का आदेश दिया था। इस पर बॉलीवुड हस्तियों की तीखी प्रतिक्रिया सामने आ रही है। जॉन अब्राहम, जान्हवी कपूर, वीर दास ने इस आदेश की आलोचना की है।

जॉन अब्राहम ने भारत के चीफ जस्टिस बी.आर. गवई को एक तत्काल अपील भेजकर दिल्ली के कम्युनिटी डॉग शेल्टर में भेजने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को रिव्यू करने का आग्रह किया है।

क्या है जॉन अब्राहम की अपील?

भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई को लिखे पत्र में जॉन अब्राहम ने लिखा, “ये व्यापक रूप से रिपोर्ट किया गया है कि माननीय न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और माननीय न्यायमूर्ति आर महादेवन की खंडपीठ ने हाल ही में एक फैसले में दिल्ली में सभी आवारा कुत्तों को सार्वजनिक स्थानों से हटाकर आश्रय स्थलों या दूरदराज के क्षेत्रों में ले जाने का निर्देश दिया है। मुझे उम्मीद है कि आप इस बात से सहमत होंगे कि ये “आवारा” कुत्ते नहीं हैं, बल्कि कम्युनिटी डॉग हैं, जिन्हें कई लोग सम्मान देते हैं और प्यार करते हैं, और ये अपने आप में दिल्लीवासी हैं, जो पीढ़ियों से इस क्षेत्र में मनुष्यों के पड़ोसी के रूप में रह रहे हैं।”

जॉन ने लेटर में आगे लिखा, “दशकों से पशु संरक्षण के क्षेत्र में कार्यरत एक व्यक्ति के रूप में, मैं सम्मानपूर्वक ये बताना चाहता हूं कि ये निर्देश पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) नियम, 2023, जिसे पूर्व में पशु जन्म नियंत्रण (कुत्ते) नियम, 2001 कहा जाता था, और इस मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय के अपने निर्णयों के साथ सीधे तौर पर विरोधाभासी है, जिसमें विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा 1990 में अनुशंसित व्यवस्थित नसबंदी कार्यक्रम को सामुदायिक कुत्तों की आबादी से निपटने का एकमात्र प्रभावी और वैज्ञानिक समाधान माना गया है। एबीसी नियम कुत्तों के विस्थापन पर रोक लगाते हैं, इसके बजाय उनकी नसबंदी, टीकाकरण और उन्हें उनके निवास स्थान पर वापस भेजने का आदेश देते हैं। जहां एबीसी कार्यक्रम ईमानदारी से लागू किया जाता है, वहां ये कारगर साबित होता है। जयपुर में 70% से ज्यादा कुत्तों की नसबंदी हो चुकी है; लखनऊ में 84%। दिल्ली भी ऐसा ही कर सकता है। नसबंदी के दौरान, कुत्तों को रेबीज का टीका लगाया जाता है, और नसबंदी के परिणामस्वरूप जानवर शांत रहते हैं, झगड़े और काटने की घटनाएं कम होती हैं, क्योंकि उनके पास बचाने के लिए कोई पिल्ले नहीं होते। चूंकि सामुदायिक कुत्ते क्षेत्रीय होते हैं, इसलिए वे बिना नसबंदी वाले, बिना टीकाकरण वाले कुत्तों को अपने इलाके में आने से भी रोकते हैं…”

वरुण धवन और जान्हवी कपूर जैसी हस्तियों ने भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश का विरोध किया है और इसे सभी कुत्तों के लिए मौत की सजा बताया है।