दिग्गज लिरिक्स और स्क्रिप्ट राइटर जावेद अख्तर अकसर त चर्चा में बने रहते हैं। गीतकार भारतीय फिल्म इंडस्ट्री का बड़ा नाम है। उन्होंने कई हिट फिल्मों की कहानियां तो लिखी ही इसी के साथ कई गानों अपनी शब्दावली से पिरोया है। जावेद अख्तर अपने बेबाक अंदाज के लिए जाने जाते हैं। वह हर मुद्दे पर बड़ी ही बेबाकी के साथ अपनी राय रखते नजर आते हैं। अब हाल ही में उन्होंने हिंदू-उर्दू भाषा पर अपनी राय रखी है। उन्होंने कहा कि भाषाएं रीजन बेस्ड होती हैं ना कि रिलीजन बेस्ड। इसी के साथ उन्होंने ये भी कहा कि ऐसा कही नहीं लिखा है कि हिंदी हिंदुओं की भाषा है और उर्दू मुस्लमानों की। जावेद अख्तर ने और क्या कुछ कहा चलिए आपको बताते हैं।

जावेद अख्तर ने भाषा को लेकर क्या कहा

दरअसल जावेद अख्तर हाल ही में इंडिया इंटरनेशनल सेंटर के कार्यक्रम का हिस्सा बने थे। जहां उन्होंने कहा कि 200 साल पहले हिंदी और उर्दू एक समान हुआ करती थीं। लेकिन राजनैतिक कारणों से दोनों अलग हो गईं। शायद ही किसी कविता को सुनकर कोई बता पाए कि हिंदू कवि ने लिखी है या मुस्लिम कवि ने। यह सब ब्रिटिश लोगों ने उत्तर भारत में सांस्कृतिक रूप से फूट डालने के लिए किया था। अगर उर्दू एक मुस्लिम भाषा है तो बंगाल में 10 करोड़ लोग ईस्ट पाकिस्तान हैं। मलयालम लेखक मोहम्मद बशीर उर्दू में लिखा करते थे। मिडिल ईस्ट, उजबेकिस्तान, कजागिस्तान के लोग उर्दू नहीं बोलते हैं, लेकिन कई भारतीय क्षेत्रों में इसे बोला जाता है। कोई भी उर्दू को मिटाने के लिए सालों से चली आ रही सरकारों को दोषी नहीं ठहरा सकता क्योंकि जो लोग खुद को संस्कृति का रक्षक मानते हैं उन्होंने सही जानकारी देने का काम नहीं किया है।’

भाषाओं का बंटवारा नहीं किया जा सकता

जावेद अख्तर ने आगे कहा कि ‘पाकिस्तान और भारत के बंटवारे से पहले सिर्फ हिंदुस्तान हुआ करता था। इसी तरह हिंदी सिर्फ हिंदू भाषा नहीं है। यह सारी बकवास बाते हैं। भाषाएं धर्मों से नहीं हुआ करतीं। वो क्षेत्रों से होती हैं। जमीन का बंटवारा किया जा सकता है लेकिन भाषा का बंटवारा नहीं किया जा सकता। कई ऐसे शब्द हैं जिन्हें तब से अभी तक नहीं बदला गया क्योंकि उनका कोई और दूसरा विकल्प नहीं था।’

उर्दू हिंदुस्तान की भाषा है…

वहीं एक इवेंट में जावेद अख्तर ने कहा था कि ‘उर्दू किसी और जगह से नहीं आई है। ये हमारी हिंदुस्तान की भाषा है। ये हिंदुस्तान के बाहर नहीं बोली जाती। ये पाकिस्तान या इजिप्ट की भाषा नहीं है। पाकिस्तान का भी पहले कोई वजूद नहीं था। वो भी हिंदुस्तान से ही निकला है।’