आराधना’ की शूटिंग चलने के दौरान एक दिन राजेश खन्ना के पास एक दक्षिण का एक निर्माता आया। सफेद लुंगी पहने माथे पर चंदन लगाए इस निर्माता ने खुद की लिखी कहानी सुनाई। कहानी तो ठीक थी, पर उसका प्रस्तुतिकरण खन्ना को पसंद नहीं आया। जो चीज खन्ना को पसंद आई वह थी कि निर्माता उनका पूरा मेहनताना एक साथ दे रहा था। एडवांस। खन्ना को उस समय पैसों की जरूरत थी। खन्ना सलीम-जावेद से मिले। दोनों तब सिप्पी फिल्म्स (जिसने ‘शोले’ बनाई थी) में मासिक तनख्वाह पर काम कर रहे थे। अच्छे पैसे मिलने का आश्वासन देकर खन्ना ने कहा कि ‘प्यार की दुनिया’ को ठीकठाक कर दो। सलीम-जावेद की शर्त थी कि फिल्म में उनका नाम भी जाना चाहिए। खन्ना तैयार थे। फिर खन्ना ने निर्माता के बारे में जानकारी निकाली। निर्माता चिनप्पा देवर बहुत भले और धार्मिक प्रवृत्ति के अभिनेता-निर्माता थे और दक्षिण में कई तमिल फिल्में बना चुके थे। निर्देशक श्रीधर (जिन्होंने दुबली-पतली हेमा मालिनी से कहा था कि वह कभी फिल्म अभिनेत्री नहीं बन सकतीं और बाद में श्रीधर ने ही उन्हें अपनी फिल्म ‘गहरी चाल’ में लिया था) ने उन्हें हिंदी फिल्म बनाने के लिए प्रेरित किया। देवर दर्जन भर फिल्में एमजी रामचंद्रन को लेकर बना चुके थे, जिसमें रामचंद्रन और जयललिता (दोनों बाद में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बने) की जोड़ी की फिल्म भी थी।
देवर के छोटे भाई तिरुमुगम उनकी फिल्मों का निर्देशन करते थे। देवर सैंडो नाम से जाने जाते थे, क्योंकि वह पहलवान भी थे। इसी बीच ‘आराधना’ रिलीज हुई और सुपर हिट हो गई, तो एक दिन देवर खन्ना के घर मुंबई आए और कहा कि आपकी फिल्म हिट हो गई है, तो आपका मेहनताना भी बढ़ गया होगा। इसलिए बताइए कि अब आपको मुझे और कितना पैसा देना पड़ेगा। खन्ना देवर की इस पहलकदमी से बहुत प्रभावित हुए और कहा कि आपने मुझ पर विश्वास किया और पूरा मेहनताना फिल्म साइन करने से पहले ही दे दिया। अगर ‘आराधना’ नहीं चलती तो क्या आप मेरा मेहनताना कम कर देते?
खैर, ‘प्यार की दुनिया’ को सलीम-जावेद ने ठीकठाक कर दिया। यह अनाथ लड़के की कहानी थी जिसकी जान हाथी बचाते हैं। लड़का हाथियों के साथ रहने लगता है। वक्त के साथ अमीर बनता है और हाथियों के लिए एक अलग दुनिया बनाता है जिसका नाम होता है ‘प्यार की दुनिया’। मगर एकराय से खन्ना और देवर समेत सभी ने इसका शीर्षक कर दिया ‘हाथी मेरे साथी’। फिल्म दिल्ली के सिनेमाघरों में रिलीज हुई और टें बोल गई। चार-पांच दिन दिन गुजर गए। देवर निराश थे। खन्ना ने उन्हें धीरज बंधाया और कहा कि आप दिल्ली आ जाइए। देवर दिल्ली पहुंचे ही थे कि दर्शकों की भीड़ फिल्म देखने के लिए उमड़ने लगी और देखते-ही-देखते शो हाउसफुल जाने लगे। फिल्म के गाने भी हिट होने लगे।
तब राजेश खन्ना ने ‘आराधना’ के निर्माता-निर्देशक और अपने मित्र शक्ति सामंत के साथ मिल कर एक कंपनी बनाई शक्तिराज और ‘हाथी मेरे साथी’ को मुंबई वितरण क्षेत्र में खुद रिलीज किया। हालांकि इस फिल्म के लिए देवर ने शंकर जयकिशन को साइन किया था। बाद में इसमें लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल आए। दरअसल देवर ‘प्यार की दुनिया’ के लिए सबसे पहले संजीव कुमार को साइन करने पहुंचे थे। मगर संजीव कुमार को लगा कि वह इस फिल्म के लिए फिट नहीं है, तब उन्होंने देवर को फिल्म में राजेश खन्ना को लेने का सुझाव दिया था।
