देश में चल रहे ‘किसान आंदोलन’ को लेकर वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा ने एक ट्वीट किया। अपने पोस्ट में रजत शर्मा ने फॉर्मर प्रोटेस्ट को लेकर सवाल पूछा कि ‘कल रात अमित शाह के साथ किसान नेताओं की मीटिंग में रास्ता क्यों नहीं निकला? वो कौन है जो किसानों और सरकार के बीच बातचीत की डोर तोड़ने में लगा है? किसने किसानों के आंदोलन को सियासी रंग दे दिया?’
रजत शर्मा के इस पोस्ट पर ढेर सारे रिएक्शन आने लगे। वहीं रजत शर्मा द्वारा पूछे गए इन सवालों के जवाब भी लोग देने लगे। एक यूजर ने कहा- ‘ पंडित जी आपकी सुई इस बात पर अटक गई है कि किसानों को कोई भड़का रहा है। अब आंदोलन किसान नेताओं के कंट्रोल से भी बाहर होने लगा है। दोनों गुजराती बात को समझ नहीं रहें हैं। तुम जैसे लोग सरकार की ग़लत बात पर भी साथ देते हो। ये शर्मनाक है, अपनी बताओ तुम्हें किसानों के ख़िलाफ़ कौन भड़का रहा है?’
एक यूजर ने कहा- ‘सांसदों को समझना चाहिए, भविष्य में बिलों को पारित नहीं करना है, जो ऐसे जटिल हों? सत्ता में पार्टी के योगदान के लिए ये कानून किसी और के लिए फायदेमंद हो सकते हैं?’ पटेल नाम के शख्स ने कहा- ‘ये कैसे किसान हैं, टेक्नोलॉजी का बहिष्कार कर रहे हैं। अरे उस किसानों को कौन समझाए किसान और कॉरपोरेट की आय -अर्थव्यवस्था एक दूसरे पर निर्भर हैं।’ एक यूजर ने कहा- ‘अडानी-अंबानी की सभी सेवाओं और उत्पादों का बहिष्कार (रिलायंस पेट्रोल पंप, जियो टेलिकॉम, जियो मार्ट, बिग बाजार, अडानी-विलमार, फार्च्युन तेल वगैरह)।’
एक यूजर ने रजत शर्मा के सवाल का जवाब देते हुए कहा- ‘रास्ता क्यों नहीं निकला? ये अमित शाह से पूछो। कानून को बस रद्द करना है फिर किसानों को लेकर मसौदा बनाकर नया कानून बनाना है। सीधी सी बात है, कोई अगर भड़काता तो आज अरविंद केजरीवाल किसानों के मंच पर होते। अन्ना आंदोलन भी इसी तरह शुरू हुआ था, समझ जाओ।’
एक ने कहा- ‘पिछले साल 14 दिसम्बर से CAA विरोध के नाम पर जामिया इस्लामिया के सामने बसें जलाना, दंगे हिंसा करना शुरू हुआ था CAA विरोध के नाम पर देश भर में पुलिस थाने, रेलवे स्टेशन जलाए गए थे। सड़कें ब्लॉक की गईं, दंगे किए गए। दोबारा पैटर्न एकदम वहीं है, बस बहाना नया हैं।’