इनामुलहक भारतीय सिनेमा में काम कर रहे सबसे प्रतिभाशाली लेकिन लगातार कम आंके जाने वाले अभिनेताओं में से एक है। वो ‘फिल्मिस्तान’, ‘फिराक’, ‘एयरलिफ्ट’ और ‘जॉली एलएलबी 2’ जैसी प्रशंसित फिल्मों में काम किया है। इन फिल्मों में उनके किरदार को काफी सराहा गया है। मगर उनकी अपार प्रतिभा के बावजूद, वो इंडस्ट्री में वो मुकाम हासिल नहीं कर पाए।
डिजिटल कमेंट्री के साथ हाल ही में एक इंटरव्यू में इनामुलहक ने बताया कि कैसे इंडस्ट्री उन्हें नजरअंदाज करती रही है। अपने काम के लिए तारीफ बटोरने के बाद भी लोग आज भी उन्हें अक्षय कुमार के को-एक्टर कहकर बुलाया जाता है। इनामुलहक ने बॉलीवुड के कास्टिंग के बारे में भी बात की।
उन्होंने कहा, “मैं बहुत से बाहरी लोगों को देखता हूं और आप सचमुच उनकी हताशा को महसूस कर सकते हैं। उनमें से कई वर्सोवा में रहते हैं, मैं भी वहीं रहता हूं और जब भी मैं उनसे मिलता हूं तो एक उदासी साफ नजर आती है। ये उदासी ज्यादातर कास्टिंग एजेंसियों के गलत व्यवहार को लेकर होती है। मुझे लगता है कि निर्देशकों को ज्यादा जिम्मेदारी लेने की जरूरत है। वे आराम से अपने एसी वाले ऑफिस में बैठते हैं, 10 एक्टर्स की एक शॉर्टलिस्ट उन्हें मिलती है और उसके आधार पर अपना निर्णय लेते हैं। लेकिन मेरा सवाल ये है कि ये 10 अभिनेता कौन हैं जिन्हें शॉर्टलिस्ट किया जा रहा है? क्या ये संभव नहीं है कि वे केवल कास्टिंग निर्देशकों के करीबी लोग हों? क्या हम सचमुच कह सकते हैं कि ये सही है? इन लिस्ट में हेरफेर होने से कौन रोक रहा है?”
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इनामुलहक ने उस दौर को याद किया जब इंडस्ट्री ज्यादा ओपन थी, जब कलाकारों को ऑडिशन में जाने की आजादी थी, एक ऐसी व्यवस्था जिसमें असली प्रतिभाओं को खोजा जा सकता था। इस बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, “पहले, बस आने की आजादी होती थी। कास्टिंग विभाग इन-हाउस हुआ करते थे। अगर किसी निर्देशक की नजर ऐसे ही किसी ऑडिशन के दौरान किसी पर पड़ जाए, तो सब कुछ बदल सकता था। सुभाष घई ने जैकी श्रॉफ को इसी तरह खोजा था।”
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साउथ में भगवान की तरह पूजे जाने वाले रजनीकांत का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा, “रजनीकांत बस कंडक्टर थे जब किसी ने उन्हें देखा और आज वे एक लीजेंड हैं। लेकिन आज के माहौल में अगर रजनीकांत जैसा कोई नया कलाकार होता तो शायद कोई कास्टिंग निर्देशक उसकी प्रोफाइल भी आगे न बढ़ाए। इसलिए सिर्फ कास्टिंग निर्देशकों को दोष देने के बजाय, मैं निर्देशकों और निर्माताओं से कहना चाहता हूं: कृपया इन-हाउस कास्टिंग को वापस लाएं। आप पिछड़ रहे हैं, और इसलिए हमें स्क्रीन पर वही 10-12 चेहरे दिखाई देते रहते हैं।”