Ikkis Movie First Review: बॉलीवुड के मेगास्टार अमिताभ बच्चन के नाती अगस्त्य नंदा की फिल्म ‘इक्कीस’ जल्द थिएटर्स में रिलीज होने वाली है। इस मूवी के साथ वह बड़े पर्दे पर अपने करियर की शुरुआत करने वाले हैं। हालांकि, इससे पहले अगस्त्य ‘द आर्चीज’ में नजर आए थे, जो ओटीटी पर रिलीज हुई थी। उसमें उनके साथ सुहाना खान, खुशी कपूर समेत कई स्टार्स नजर आए। अब ‘इक्कीस’ में अगस्त्य के साथ अक्षय कुमार की भांजी सिमर भाटिया स्क्रीन शेयर करते हुए नजर आने वाली हैं।
श्रीराम राघवन के निर्देशन में बनी यह फिल्म 1 जनवरी को थिएटर्स में रिलीज होने वाली है। ऐसे में बीते दिन सेलेब्स के लिए ‘इक्कीस’ की खास स्क्रीनिंग का आयोजन किया गया, जिसमें अगस्त्य नंदा के नाना अमिताभ बच्चन, मामा अभिषेक बच्चन और सिमर भाटिया के मामा अक्षय कुमार समेत कई स्टार्स पहुंचे। अब फिल्म रिलीज होने से पहले ही इसका रिव्यू सामने आ गया है, जो खुद अमिताभ बच्चन ने शेयर किया है।
‘इक्कीस’ का पहला रिव्यू आया सामने
स्क्रीनिंग में फिल्म देखने के बाद अमिताभ बच्चन ने मंगलवार की सुबह ‘इक्कीस’ का रिव्यू अपने ब्लॉग पोस्ट पर शेयर किया। मेगास्टार ने लिखा, “भावनाएं उमड़ पड़ती हैं… आज रात भी ऐसा ही हुआ जब मैंने अपने नाती को ‘इक्कीस’ में शानदार प्रदर्शन करते देखा। वो समय जब उनकी मां श्वेता को लेबर पेन होने पर ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल ले जाया जा रहा था।
उसका जन्म (अगस्त्य)… कुछ ही घंटों बाद उसे गोद में लेना और यह चर्चा करना कि क्या उसकी आंखें नीली थीं। फिर जब वह थोड़ा बड़ा हुआ और मैंने उसे अपनी बाहों में लिया और वह मेरी दाढ़ी से खेलने लगा। फिर उसके बड़े होने से अभिनेता बनने तक का उसका लास्ट निजी फैसले तक और आज रात उसे फिल्म के हर फ्रेम में देखना, जिससे मैं अपनी निगाहें नहीं हटा पा रहा था।”
बिग बी ने दर्शक बनकर किया रिव्यू
इसके आगे बिग बी ने अपने पोस्ट में यह साफ किया कि वह फिल्म का रिव्यू नाना के नजरिए से नहीं, बल्कि सिनेमा के एक अनुभवी दर्शक के नजरिए से कर रहे हैं। पोस्ट में उन्होंने लिखा, “उसकी मैच्योरिटी, उसकी परफॉर्मेंस में उसकी बेबाक ईमानदारी, उसकी मौजूदगी जो किरदार वह निभा रहा है, उसे सही ठहराती है।
कोई दिखावा नहीं, बस अरुण खेत्रपाल जैसा सैनिक, जिसने 21 साल की उम्र में अपनी बहादुरी से 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान देश की रक्षा की। कुछ भी ज्या नहीं, बस हर शॉट में परफेक्शन… जब वह फ्रेम में होता है तो आप सिर्फ उसे ही देखते हैं और यह कोई नाना जी नहीं बोल रहे हैं, यह सिनेमा का एक अनुभवी दर्शक बोल रहा है।”
लास्ट में उन्होंने लिखा, “और फिल्म अपने प्रेजेंटेशन में, अपनी राइटिंग में, अपने डायरेक्शन में एकदम परफेक्ट है। जब यह खत्म होती है, तो खुशी और गर्व के आंसुओं से आंखें भर जाती हैं और कुछ बोल नहीं पाते।”
