पूर्व आईएएस सूर्य प्रताप सिंह इन दिनों सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव नजर आ रहे हैं। समसामयिक मुद्दों पर सूर्य प्रताप सिंह बेबाकी से अपनी राय पेश करते हैं। हाल ही में उन्होंने ट्वीट कर महात्मा गांधी की अंत्येष्टि से जुड़ी तस्वीर साझा की है, जिसमें चारों तरफ केवल भीड़ ही भीड़ नजर आ रही है। इस तस्वीर को साझा करते हुए पूर्व आईएएस सूर्य प्रताप सिंह ने कोरोना महामारी के दौरान गंगा किनारे दफनाए गए शवों का भी जिक्र किया। उन्होंने लिखा कि अगर बापू वह लाशें देखते तो कहते ‘हे राम!’
महात्मा गांधी को लेकर किया गया सूर्य प्रताप सिंह का यह ट्वीट सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। सूर्य प्रताप सिंह ने गांधी जी के अंतिम संस्कार से जुड़ी तस्वीर साझा करते हुए लिखा, “गांधी जी की अंत्येष्टि में ऐसे उमड़ा था भारत-1948।”
सूर्य प्रताप सिंह ने गंगा किनारे दफनाए गए शवों का जिक्र करते हुए आगे लिखा, “बापू यदि आज जीवित होते तो गंगा में तैरती/दफन, लाचार लोगों की लाशों को देखकर बोलते- हे राम!” पूर्व आईएएस के इस ट्वीट का जवाब देने से सोशल मीडिया यूजर भी पीछे नहीं हटे।
गांधी जी की अन्त्येष्टि में ऐसे उमड़ा था भारत -1948
बाबू यदि आज जीवित होते तो गंगा में तैरती/दफन, लाचार लोगों की लाशें को देख बोलते- हे राम! https://t.co/o6Dvcqd8ON
— Surya Pratap Singh IAS Rtd. (@suryapsingh_IAS) July 24, 2021
एक यूजर ने सूर्य प्रताप सिंह के ट्वीट के जवाब में लिखा, “बापू अगर आज जिंदा होते तो न मोदी जी पीएम होते और न योगी जी सीएम होते और न ही कोरोना से हालात इतने भयावह होते कि गंगा में लाशें तैर रही होतीं।” तनवीर नाम के एक यूजर ने लिखा, “दुर्भाग्य यह है कि आज उसके हत्यारे को इस देश में पूजा जाता है और उसका मंदिर बनाया जाता है।”
अनुराधा नाम की यूजर ने सूर्य प्रताप सिंह के ट्वीट के जवाब में लिखा, “राष्ट्र के पिता की कोई तुलना नहीं हो सकती है।” वहीं एक यूजर ने लिखा, “नमन है बापू आपको।” बता दें कि इससे पहले सूर्य प्रताप सिंह ने केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी द्वारा किसानों को मवाली कहे जाने पर भी ट्वीट किया था।
सूर्य प्रताप सिंह ने ट्वीट में लिखा था, “जिन्हें आप मवाली कह रही हैं, ये बॉर्डर पर दुश्मन से लोहा लेने वाले उसके वीरपुत्रों का अपमान है। शेर-ए-हिंद उधम सिंह जैसे किसान सपूतों का भी अपमान है, जिसने जनरल डायर जैसे जल्लाद से लंदन में बदला लिया था। देश सब देख रहा है लेखी जी।”