Hrithik Roshan Mere Rashke Qamar Sanskrit Song: 80 के दशक में एक कव्वाली आया था। जिसको पाकिस्तानी संगीत जगत की नामचीन हस्ती उस्ताद नुसरत फतेह अली खान ने गाया था। कव्वाली का नाम था- मेरे रश्के कमर (Mere Rashke Qamar)। हाल में इस कव्वाली को उनके भतीजे राहत फतेह अली खान ने अजय देवगन की फिल्म बादशाहो के लिए गाया था। इसके बाद एक म्यूजिक एल्बम आया जिसमें इस गाने का एक नया वर्जन देखने को मिला। इस नए वर्जन में ऋतिक रोशन (Hritik Roshan)और सोनम कपूर (Sonan Kapoor) नजर आए थे।

गौरतलब है कि इस कव्वाली को विभिन्न भाषाओं में भी इसका अनुवाद किया जा चुका है। पिछले दिनों इस कव्वाली का संस्कृत भाषा में अनुवाद किया गया, जो सोशल मीडिया पर खूब देखा और शेयर किया जा रहा है। संस्कृत में अनुवादित ‘मेरे रश्के कमर…’ के शब्द हो सकता है बहुत से लोगों को समझने में कठिनाई हो सकती है लेकिन कहते हैं न कि संगीत की कोई भाषा नहीं होती, इस गाने को भी लोग खूब प्यार दे रहे हैं।

बता दें मेरे रश्के कमर गाने का संस्कृत में अनुवाद विपिन शुक्ला ने किया है। सोशल मीडिया पर वायरल इस कव्वाली के संस्कृत वर्जन में वीडियो के साथ-साथ सबटाइटल्स भी चलते दिख जाएंगे ताकि भाषा के जानकर इसको पढ़कर भी समझ सकें। अब बात करते हैं इस गाने के असल राइटर की। अगर आप गूगल पर इस गाने को सर्च करेंगे तो आपके सामने इतने सारे लिंक और वीडियो खुल जाएंगे कि मूल वीडियो को पता लगाना काफी मुश्किल हो जाएगा। और इसके राइटर के नाम को जानना और मुश्किलभरा हो सकता है। लेकिन हम बता दें कि इस मशहूर गजल (कव्वाली) को पाकिस्तान के शायर मुहम्मद हनीफ ने लिखा था। मुहम्मद हनीफ अपना तखल्लुस नाम फना बुलंदशहरी लिखते हैं। वर्ष 1988 में पहली बार उस्ताद नुसरत फतेह अली खान ने फना बुलंदशहरी की लिखी इस कव्वाली को अपने संगीत और आवाज से अमर कर गए।

ये रहा संस्कृत में गीत पूरा गीत-

संस्कृत अनुवादकः  विपिनशुक्ला

संस्कृत में गाने वाले गायक-राजेश उपाध्याय

मम चन्द्रद्विषे आद्य-सम्मेलने , यत्त्वयालोकितं तद् महद् रञ्जितम् – 3
यत्त्वयालोकितं तद् महद् रञ्जितम्
दामिनी स्रन्सिता , ध्वंस-विध्वंसितं , दाह एतादृशः , तद् महद् रञ्जितम्
मद्यपात्रे च संश्रित्य रूपोन्मदं , चन्द्रिका च स्मिता ,तद् महद् रञ्जितम्
निरवगुण्ठन-मुखा सम्मुखं साડगता
यौवनं यौवनेनाभिसङ्घट्टितम्
यौवनं यौवनेनाभिसङ्घट्टितम्

दृष्टिरोधोડभवत् तादृशश्चावयोः
दृष्टिरोधोડभवत् तादृशश्चावयोः
लोकयित्त्वा रणं , तद् महद् रञ्जितम्
मम चन्द्रद्विषे आद्य-सम्मेलने , यत्त्वयालोकितं तद् महद् रञ्जितम

मम चन्द्रद्विषे …………………………………..

नेत्रयोरास्त लज्जा च प्रतिमेलने पाटलत्त्वं कपोलौ प्रसंगे गतौ
पाटलत्त्वं कपोलौ प्रसंगे गतौ

लज्जया च तया हन्त ! प्रश्नेषु मे
लज्जया च तया हन्त ! प्रश्नेषु म
आननं यन्नतं तद् महद् रञ्जितम्